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Tuesday, 5 November, 2024
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असली एकता तभी दिखेगी जब पार्टियां बूथ स्तर पर एक-दूसरे का समर्थन करेंगी’ – विपक्ष पर उर्दू प्रेस ने क्या कहा

दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पूरे सप्ताह विभिन्न न्यूज़ इवेंट्स को कवर किया, और उनमें से कुछ का संपादकीय रुख क्या रहा.

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नई दिल्ली: कथित दिल्ली शराब घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी (आप) नेताओं की गिरफ्तारी इस सप्ताह उर्दू प्रेस में हावी रही, संपादकीय में विपक्षी नेताओं को ऐसी सरकारी कार्रवाई के सामने “एकजुट रहने” की चेतावनी दी गई.

3 अप्रैल को इंकलाब के संपादकीय में कहा गया कि विपक्षी नेताओं पर सरकार की कार्रवाई के दो उद्देश्य प्रतीत होते हैं – पहला, यह धारणा बनाना कि वे सभी भ्रष्ट हैं, और दूसरा चुनाव से पहले उनका मनोबल गिराना..

संपादकीय में कहा गया है, ”जो भी हो, यह चुनाव विपक्षी दलों के लिए अब तक का सबसे कठिन चुनाव है, इसलिए उनकी तैयारी युद्ध स्तर पर होनी चाहिए.”

हालांकि मौजूदा विपक्षी एकता सराहनीय है, लेकिन यह केवल पहला कदम है.

“असली एकता तभी दिखेगी जब पार्टियां बूथ स्तर पर एक-दूसरे का समर्थन करेंगी. हमें नहीं पता कि इसके लिए कितनी तैयारी की गई है, लेकिन इतना तय है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनकी एकता सिर्फ कागजों पर ही रह जाएगी.’

आगामी लोकसभा चुनाव और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के स्कूली पाठ्यपुस्तकों में किए गए नवीनतम संशोधन पर उर्दू अखबारों में व्यापक रूप चर्चा की गई. यहां उर्दू प्रेस के पहले पन्ने और संपादकीय में शामिल सभी खबरों का सारांश दिया गया है.

आम आदमी पार्टी और भ्रष्टाचार

संपादकीय ने कथित आबकारी नीति घोटाले में आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की जमानत पर रिहाई पर विजयी मुद्रा में इसे अपने उस रुख की पुष्टि के रूप में देखा कि विपक्ष को निशाना बनाया जा रहा है.

सियासत के 3 अप्रैल के संपादकीय में कहा गया है, “संजय सिंह को दिल्ली आबकारी घोटाले में जमानत दे दी गई, जिससे केंद्र सरकार को विपक्षी दलों, खासकर AAP पर निशाना साधने का मौका मिल गया. अब, ऐसे संकेत हैं कि जांच एजेंसियों के लिए अदालत में अपने आरोपों को साबित करना मुश्किल हो सकता है,”.

उसी दिन रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा ने अपने संपादकीय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भ्रष्टाचार को जड़ से ख़त्म करने का दावा करते हुए दागी नेताओं को शरण देने का आरोप लगाया. इसके लिए उसने जी. जनार्दन रेड्डी के मामले का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा में लौटने के बाद खनन कारोबारी का बयान दिखाता है कि बीजेपी और भ्रष्ट व्यक्ति “प्राकृतिक रूप से एक-दूसरे के सहयोगी” हैं.

अवैध खनन के आरोपों का सामना कर रहे कर्नाटक के पूर्व मंत्री रेड्डी मार्च में भाजपा में लौट आए.

संपादकीय में कहा गया है, “जनार्दन रेड्डी को लगता है कि लंबे समय के बाद भाजपा में उनकी वापसी उनके लिए एक राहत है. वह (कहते हैं) अपनी मां की गोद में लौट आए हैं. और फिर भी, (इस घटना के बावजूद), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की बात करते हैं,”

लोकसभा चुनाव

5 अप्रैल को अपने संपादकीय में, सियासत ने कहा कि भाजपा, क्षेत्रीय दलों से निपटने के बाद, अब कांग्रेस को “निशाना” बनाने की ओर बढ़ रही है. इसका इशारा कांग्रेस से दलबदल करके बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं का था, जिसमें सबसे ताजा मामला पूर्व प्रवक्ता गौरव वल्लभ का है.

संपादकीय में ऐसे असंतुष्ट नेताओं को धैर्य रखने की सलाह देते हुए कहा गया है, “कांग्रेस के नेताओं को पार्टी में शामिल होने के लिए उकसाकर ऐसा लगता है कि बीजेपी कांग्रेस को प्रभावित करने और दबाव बनाने की कोशिश कर रही है. कुछ कांग्रेस नेता पिछले अवसर दिए जाने के बावजूद असंतुष्ट हैं,”

4 अप्रैल को अपने संपादकीय में सहारा ने ईवीएम का मामला उठाया. हर मशीन की तरह ईवीएम में भी खामियां होती हैं. संपादकीय में कहा गया है कि हालांकि, ईवीएम के इस्तेमाल के बाद बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग करना ट्रेन दुर्घटना के बाद बैलगाड़ी से यात्रा की वकालत करने जैसा है.

“ईवीएम के आगमन से पहले, जब मतपत्रों का उपयोग किया जाता था, तो चुनाव परिणाम आने में कई दिन लग जाते थे. हालांकि, आधुनिक मशीनों ने इस प्रक्रिया को आसान और तेज़ बना दिया है. मतदान को बेहतर और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए हाल के वर्षों में प्रयास किए गए हैं.”

2 अप्रैल को इंकलाब के संपादकीय में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि कैसे राजनीतिक बयानबाजी और भाषण देश की वास्तविक समस्याओं पर ग्रहण लगा देते हैं. इसमें कहा गया है कि हालांकि सबसे बड़ी गलती मीडिया की है, लेकिन प्रभावशाली लोग जागरूकता पैदा करने के अपने कर्तव्य से बच नहीं सकते.

संपादकीय में कहा गया, ”देश में जो हो रहा है उसे लोगों के सामने रखना चाहिए.”

उसी दिन सियासत के संपादकीय में कहा गया कि यह धारणा बनाने की कोशिश की गई है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक छोड़ दिया है और अकेले चुनाव लड़ रही हैं.

“हालांकि ममता बनर्जी वास्तव में बंगाल में अकेले चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन उन्होंने गठबंधन को अलविदा नहीं कहा है. टीएमसी नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने आज कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही इंडिया ब्लॉक का हिस्सा रही है और आगे भी रहेगी.” संपादकीय में कहा गया है कि हालांकि उनके बीच मतभेद हो सकते हैं, वे एक साथ आए हैं एक उद्देश्य के लिए और “रक्षा करना उनकी ज़िम्मेदारी है.”

एनसीईआरटी संशोधन

5 अप्रैल को, सहारा ने एनसीईआरटी के नवीनतम संशोधनों पर टिप्पणी की. अपने नवीनतम कदमों में, एनसीईआरटी ने 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ को न सिर्फ हटाने का फैसला किया है, बल्कि राम जन्मभूमि आंदोलन को सकारात्मक तरीके से पेश करने की कोशिश की है. एनसीईआरटी के अनुसार, कंटेंट को “राजनीति में नवीनतम घटनाओं के अनुसार” अपडेट किया जा रहा है.

हालांकि, संपादकीय ने इसे इतिहास को “विकृत” करने के प्रयास के रूप में देखा.

इस संपादकीय में कहा गया, ”भारत में सब कुछ उल्टा हो गया है.”

संपादकीय में कहा गया, “पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत से लेकर विकास के आधुनिक युग तक, पाषाण युग से वर्तमान तक, भारत मानव जाति के उद्भव और विकास को लेकर अपना दृष्टिकोण बदल रहा है, जो कि दुनिया (और उसके विचारों) के साथ सुसंगत नहीं है, और यह आने वाले दिनों के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.“ इसमें कहा गया कि इससे भारत” ज्ञान की दुनिया से अलग हो सकता है”.

(उर्दूस्कोप को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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