प्रयागराजः राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ चीफ मोहन भागवत ने सबरीमाला मंदिर में प्रतिबंधित उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदुओं की भावनाओं का खयाल नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने फैसला तो सुना दिया, लेकिन इससे करोड़ों हिंदुओं का सम्मान व भावनाएं आहत हुई हैं, जिसका खयाल नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की साजिश चल रही है. उन्होंने यह बातें प्रयागराज के संगम में चल रही धर्म संसद को संबोधित करते हुए कही. गुरुवार सुबह सीएम योगी ने भी आरएसएस चीफ मोहन भागवत व तमाम संतों से प्रयागराज में मुलाकात की.
भागवत ने कहा, कोर्ट ने कहा है कि अगर महिला प्रवेश करना चाहती है तो करने दें, पर कोई जाना ही नहीं चाह रहा है. बिना नाम लिए केरल सरकार को आड़े हाथों लेते हुए भागवत ने कहा, श्रीलंका से महिलाओं को लाया जाता है और पीछे के दरवाजे से प्रवेश कराया जाता है. उन्होंने कहा, ये ऐसे संगठन हैं जो देश को तोड़ने की घोषणा कर रहे हैं. विश्व हिंदू परिषद की धर्मसभा में राम मंदिर पर विस्तार से चर्चा होगी.
इसके अलावा नृत्यगोपाल दास समेत कई अन्य धार्मिक गुरू भी इसमें शामिल हो रहे हैं. गोरक्षा और गंगा पर भी मंथन होगा. वीएचपी की धर्म संसद से पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अध्यक्षता में हुई परम धर्म संसद ने मामले को और तेज कर दिया है. परम धर्म संसद ने प्रयागराज कुंभ से बुधवार को राम मंदिर बनाने का ऐलान किया और कहा कि 21 फरवरी को साधु संत इसका शिलान्यास करेंगे.