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शनिवार, 24 मई, 2025
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तमन्ना को मैसूर सैंडल का ब्रांड एंबेसडर बनने पर मंत्री ने दिया समर्थन, विवाद में आया हॉलीवुड ट्विस्ट

सरकारी स्वामित्व वाली केएसडीएल द्वारा निर्मित मैसूर संदल साबुन के ब्रांड एंबेसडर के रूप में गैर-कन्नड़ अभिनेता के चयन पर उठे विवाद के बीच, एमबी पाटिल ने कहा कि यह व्यापारिक विवेक का मामला है, पहचान का मामला नहीं.

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बेंगलुरु: कर्नाटक में कन्नड़ भाषा से न जुड़ी एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया को मैसूर सैंडल साबुन का ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने को लेकर विवाद के बीच, कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने शुक्रवार को इस फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा कि यह एक कारोबारी रणनीति है, कन्नड़ पहचान से जुड़ा मुद्दा नहीं.

राज्य सरकार की कंपनी कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट्स लिमिटेड (KSDL), जो यह साबुन बनाती है, के इस फैसले के बाद से सोशल मीडिया और जनता में काफी विरोध हो रहा है. कंपनी ने 2 साल के लिए ‘बाहुबली’ फिल्म की एक्ट्रेस भाटिया को 6.2 करोड़ रुपये में ब्रांड एंबेसडर बनाया है.

भाटिया (35) मुंबई से हैं और उन्होंने हिंदी फिल्मों से करियर शुरू किया था, लेकिन वह अब तेलुगु और तमिल फिल्मों के ज़रिए जानी-पहचानी चेहरा बन चुकी हैं.

पाटिल ने शुक्रवार को बेंगलुरु में पत्रकारों से कहा, “उनके 28 मिलियन यानी 2.8 करोड़ इंस्टाग्राम फॉलोअर्स हैं. इस नज़र से देखा जाए तो यह एक पैन-इंडिया अपील है. क्योंकि मैसूर सैंडल (साबुन) केवल कर्नाटक में नहीं बिकता. अगर सिर्फ कर्नाटक में बिकता, तो हम यहीं की किसी अभिनेत्री को लेते.”

मंत्री ने कहा कि मैसूर सैंडल साबुन का 18% कर्नाटक में बिकता है और बाकी 82% दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में.

उन्होंने कहा, “अब इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाना है. यह पहला चरण है. अगर भगवान चाहें, तो भविष्य में हम अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी जा सकते हैं और तब हमें हॉलीवुड अभिनेत्री को भी लेना पड़ सकता है. यह कारोबार और व्यापार का मामला है, कन्नड़ से जुड़ा नहीं है.”

यह विवाद इस ब्रांड के आर्थिक और उत्पादन में सुधार की उपलब्धियों को पीछे छोड़ सकता है.

कई प्रो-कन्नड़ संगठनों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने राज्य की पहचान से जुड़े इस ब्रांड के लिए गैर-कन्नड़ अभिनेत्री को लेने पर नाराज़गी जताई है.

इस मुद्दे ने कन्नड़ बनाम बाहरी बहस को और हवा दे दी है.

प्रो-कन्नड़ समर्थकों ने कन्नड़ अभिनेत्रियों की तस्वीरें पोस्ट कीं ताकि सरकार पर फैसला बदलने का दबाव बनाया जा सके. दिलचस्प बात यह है कि कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री को ‘सैंडलवुड’ कहा जाता है.

कन्नड़ एक्टर और एक्टिविस्ट चेतन कुमार अहिंसा ने एक्स पर लिखा, “विवाद के बीच, कर्नाटक सरकार को तमन्ना भाटिया को किसी ऐसे व्यक्ति या समूह से बदलना चाहिए जो राज्य की संस्कृति से जुड़ा हो और #MysoreSandalSoap की पहुंच भी बढ़ाए. ‘जब आप गड्ढे में हों तो खुदाई मत करो’—यह कहावत एमबी पाटिल पर फिट बैठती है, जो बार-बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके खुद को मूर्ख बना रहे हैं.”

प्रो-कन्नड़ संगठनों ने गुरुवार को बेंगलुरु में प्रदर्शन भी किया.

प्रतिष्ठित साबुन का जन्म

सरकारी चंदन तेल फैक्ट्री की स्थापना 1916 में मैसूर के तत्कालीन महाराजा नलवाड़ी कृष्ण राजा वाडियार और दीवान सर एम. विश्वेश्वरैया द्वारा मैसूर में की गई थी.

कंपनी के अनुसार, महाराजा मैसूर के प्रसिद्ध चंदन तेल को ‘भारत की खुशबू का ब्रांड एंबेसडर’ बनाने को लेकर उत्साहित थे. चंदन से तेल निकालने का पहला प्रयोग बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में प्रोफेसर सडोरो और प्रोफेसर वॉटसन की अगुवाई में किया गया था. ब्रिटिश फार्माकोपिया (एक दवाओं और स्वास्थ्य उत्पादों की नियामक एजेंसी) मानक के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाला चंदन तेल मैसूर की सरकारी साबुन फैक्ट्री द्वारा दुनिया को पेश किया गया.

कहानी के अनुसार, 1918 में एक विदेशी मेहमान ने मैसूर के तत्कालीन महाराजा नलवाड़ी कृष्ण राजा वाडियार को चंदन तेल से बना एक दुर्लभ साबुन गिफ्ट किया. इसी से मैसूर राज्य में मौजूद प्राकृतिक चंदन तेल का उपयोग कर साबुन बनाने का विचार आया, कंपनी के अनुसार.

एस.जी. शास्त्री, जो एक प्रशिक्षित औद्योगिक रसायनशास्त्री थे, उन्हें साबुन और इत्र बनाने की तकनीक में उन्नत प्रशिक्षण के लिए लंदन भेजा गया. जब वे लौटे, तो प्रतिष्ठित मैसूर सैंडल साबुन की शुरुआत भी हुई.

क्या है विवाद 

पूर्ववर्ती मैसूर राजघराने के उत्तराधिकारी और मैसूरु-कोडागु से बीजेपी सांसद यदुवीर वाडियार ने भी कर्नाटक सरकार के फैसले को “बेहद गैर-जिम्मेदाराना और असंवेदनशील” बताया.

एक लंबे एक्स पोस्ट में यदुवीर ने कहा कि यह ब्रांड राज्य के लोगों के लिए गर्व का स्रोत रहा है. “मैसूर सैंडल साबुन सिर्फ एक उत्पाद नहीं है; यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और घरेलू विरासत का हिस्सा है, खासकर उन कन्नड़वासियों के लिए, जिन्होंने दशकों से इन उत्पादों का समर्थन किया और इस्तेमाल किया है.

“अब इस ऐतिहासिक ब्रांड के लिए एक गैर-कन्नड़ अभिनेत्री को चेहरा बनाना, और बताया जा रहा है कि उन्हें 6 करोड़ रुपये से ज्यादा भुगतान करना, यह बिल्कुल अस्वीकार्य है. अगर ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करना ही था, तो कई सम्मानित और प्रतिभाशाली कन्नड़ कलाकार हैं जिन्हें चुना जा सकता था—जो कर्नाटक की भावना और गौरव को दर्शाते हैं…” उन्होंने कहा.

हालांकि, मंत्री पटिल ने कहा कि भाटिया को ब्रांड एंबेसडर बनाने में कन्नड़ या प्रोकन्नड़ संगठनों का कोई अपमान नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि पूरी जांच के बाद यह फैसला लिया गया और इसमें रश्मिका मंदाना, दीपिका पादुकोण, कियारा आडवाणी जैसी कई अभिनेत्रियों पर भी विचार किया गया था.

मंत्री ने कहा कि कंपनी का लक्ष्य है कि वह 2030 तक 5000 करोड़ रुपये का टर्नओवर हासिल करे, जो कि 2024-25 में 1785.99 करोड़ रुपये है.

नेट प्रॉफिट जो 2022-23 में लगभग 182 करोड़ रुपये था, वह 2023-24 में लगभग दोगुना होकर 362 करोड़ रुपये हो गया, जब कंपनी ने 1570 करोड़ रुपये मूल्य के 37,916 टन उत्पाद बेचे. 2024-25 में कंपनी का मुनाफा 415 करोड़ रुपये रहा.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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