प्रयागराज: विश्व हिंदू परिषद द्वारा कुंभ में आयोजित धर्म संसद के पहले दिन सबरीमाला, समाजिक समरसता समेत तमाम प्रस्तावों पर चर्चा हुई. इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चीफ मोहन भागवत व योग गुरू बाबा रामदेव भी शामिल हुए. वहीं जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, गोविन्द गिरि, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, चिदानंद मुनि समेत तमाम संतों ने हिस्सा लिया.
धर्म संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चीफ मोहन भागवत ने सबरीमाला मंदिर में प्रतिबंधित उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदुओं की भावनाओं का खयाल नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने फैसला तो सुना दिया, लेकिन इससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं एवं सम्मान आहत हुआ है, जिसका खयाल नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की साजिश चल रही है. आरएसएस चीफ मोहन भागवत बोले, सबरीमाला में महिलाओं के साथ भेदभाव का कोई मामला नहीं है. मोहन भागवत ने कहा कि उनकी अपनी परंपरा रहती है, लेकिन देशभर के करोड़ों हिन्दुओं की भावनाओं का सम्मान इससे आहात होगा. कोर्ट ने यह नहीं विचार किया.
बच्चा न पैदा करने वाले को सम्मानित करे सरकार: रामदेव
बाबा रामदेव ने कहा कि दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों से वोट का अधिकार छीन लेना चाहिए. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे लोगों को सारी सुविधाओं से भी महरूम कर देना चाहिए. साथ ही रामदेव ने जो बच्चे पैदा न करें उन्हें सरकार सम्मानित करे. बाबा के मुताबिक आज भारत में राजनीतिक धार्मिक और आर्थिक संकट है, जिससे उबरने के लिए हमें संतों के साथ चलना होगा. संत समाज के अलग होने से देश की दशा और दिशा पर प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने धर्म संसद के आयोजन की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन से देश को बल मिलता है.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बहिष्कार किया
इस धर्म संसद का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बहिष्कार किया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा है कि ये धर्म संसद नहीं, राजनीति है. अखाड़ा परिषद इस बैठक में शामिल नहीं होगा. इसमें सिर्फ महामंडलेश्वर को जाने की अनुमति है. वह इस धर्म संसद में अपनी बात रखेंगे. महंत नरेंद्र गिरी ने ऐलान किया है कि वह 4 मार्च के बाद साधु-संतों के साथ अयोध्या जाएंगे और मुस्लिम पक्षकारों से राम मंदिर मसले पर चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि हम मुस्लिम पक्षकारों से कहेंगे कि वे मस्जिद की जिद छोड़ दें.
उम्मीद से कम आई भीड़, कई कुर्सियां भी खाली
धर्म संसद के पहले दिन वीएचपी कार्यकर्ताओं की उम्मीद से कम भीड़ पहुंची. इसका एक अहम कारण अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का बहिष्कार करना भी था. पंडाल में कई कुर्सियां भी खाली दिखीं. धर्म संसद के दूसरे दिन राम मंदिर मुद्दे पर चर्चा होगी. इस कारण वीएचपी को भीड़ जुटने की पूरी उम्मीद है.