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Saturday, 21 December, 2024
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मैं अपनी गर्लफ्रेंड की ज़िन्दगी में दखल नहीं देता, सिवाय उनके कपड़ों के : संजय दत्त ने कभी कहा था

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पहली फिल्म रॉकी की शूटिंग के दौरान संजय दत्त की जिंदगी एलएसडी और टीना के साथ उनके अफेयर का मिश्रण थी। यासिर उस्मान की लिखी पुस्तक संजय दत्तः द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड ब्वॉय के इस भाग को पढ़ें।

रॉकी फिल्म की शूटिंग की योजना और तैयारी पूरी तरह से जोरों पर थी। सुनील दत्त ने अपने बेटे की पहली फिल्म को दमदार बनाने के लिए अपने निर्देशन में कोई कसर न छोड़ी थी।

हालांकि, संजय अपनी यात्रा (नशे) पर थे। एसिड उनको एक आश्चर्यजनक जोश से भर देता जिसके बाद उनका दिमाग धीमा और धुंधला हो जाता और कभी-कभी वह हेलुसिनेट (मतिभ्रम जैसे कार्य) करना शुरू कर देते। संजय ने उन दिनों की एक मजेदार घटना को याद किया जिससे यह पता चलता है कि सुनील को बहुत ही कम पता था कि उनका बेटा क्या कर रहा थाः “मैं कुछ एसिड, एलएसडी के नशे में था। इसे पर्पल हेज़ कहा जाता है। थोड़ी देर के बाद आपको इसका नशा चढ़ता है।“

संजय अपने कमरे में अकेले बैठे थे और ड्रग का नशा चढ़ने का इंतजार कर रहे थे। अचानक घर के फोन की घंटी बजी। यह सुनील के ऑफिस से ऑपरेटर का फोन था। उसने संजय को बताया कि उनके पिता उनसे बात करना चाहते हैं। ‘उन्होंने कहा ऑफिस आ जाओ।’ एलएसडी का नशा जल्द ही चढ़ने वाला था यह जानकर संजय मना करना चाहते थे। लेकिन सुनील सख्त थे – उनको संजय से तुरंत मिलना था। शायद वह रॉकी फिल्म के लिए शूटिंग के कार्यक्रम (शेड्यूल) के बारे में बात करना चाहते थे।

जैसे ही संजय अपने पिता के ऑफिस पहुँचे एलएसडी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। उस शाम को याद करते हुए संजय ने कहा कि, ‘पिता जी मुझसे बात कर रहे हैं और अचानक इसने (एलएसडी) मुझ पर अपना असर दिखा दिया। वह मुझसे बात कर रहे हैं और मैं उनके उच्चारण को अस्पष्ट रूप से सुन सकता था, अब मैं अपने आप से कह रहा हूँ, “संजू, तुम नशे में हो। घबराओ मत। सिर हिलाते रहो।“ इसलिए मैं सिर हिलाता रहा और अस्पष्ट आवाज में मैं उनको सुनता रहा।“

मेज के दूसरी ओर झुंझलाए हुए सुनील को लगा कि संजय उनकी बातों में रूचि नहीं ले रहा। तभी संजय ने हेलुसिनेट करना शुरू कर दिया: ‘मैने देखा कि अचानक उनके सिर पर नकली बाल लग गए हैं और उन नकली बालों में आग लग गई है………और मैं उनको देख रहा हूँ और सोच रहा हूँ यह क्या गड़बड़ हो रही है।‘ संजय अपने पिता को बचाना चाहते थे इससे पहले कि आग उनको निगल जाए।

उनके दिमाग का दूसरा हिस्सा उनको याद दिला रहा था कि यह केवल नशे (ट्रिपिंग) का असर है। लेकिन जल्द ही उन्होंने वास्तविकता के साथ अपना संपर्क खो दिया। ‘पिता जी ने मोम की तरह पिघलना शुरू कर दिया। वह एक मोमबत्ती की तरह थे।‘ संजय ने ‘उन पर छलांग मारी‘ और उनके चेहरे को संभालने की कोशिश की।‘ वह चिल्लाये डैड! डैड! मेरे लिए मत मरो। मत पिघलो।

लेकिन सुनील को अभी भी कुछ पता नहीं चला था। बिना कुछ जाने परेशान होकर वह पंजाबी में चिल्लाए, ‘की होया…की होया यार मेरे पुत्तर नू? [क्या हुआ? मेरे बेटे को क्या हुआ?]’

संजय बताते हैं, ‘उस समय कोई नहीं जानता था कि ये चीजें क्या थीं। वहां कोई भी चिकित्सा केन्द्र नहीं थे। मेरे पिता जी को नहीं पता था, मेरी बहन को नहीं पता था, दोस्तों को नहीं पता था। कोई भी नहीं जानता था कि यह पाउडर क्या है।’ संजय बुरी तरह फिसल रहे थे। उनको मदद की जरूरत थी।

हालांकि कश्मीर में कार्यक्रम के दौरान, संजय कुछ समय तक अपने ड्रग्स के सेवन को कम करने में कामयाब रहे थे। वह शूटिंग के दौरान अपने पिता की निरंतर उपस्थिति से डरते थे। वह अपने करियर के लिए ड्रग्स की निर्भरता को भी नियंत्रित करना चाहते थे। लेकिन यह सिर्फ बोलना आसान था। जब वह मुंबई वापस आए, तब संजय ने फिर से ड्रग्स लेना शुरू कर दिया। लेकिन इस लत के अलावा, संजय के जीवन में एक नया जुनून था – टीना।

वह प्यार में थे। जल्द ही उन्होंने टीना को डेट करना शुरू किया और नए युवा प्रेमी जोड़े की खबर फैल गई। उन शुरुआती सालों में संजय के साथ काम करने वाले एक सह-कलाकार ने याद करते हुए बताया कि उन्हें और टीना को उस समय अलग नहीं किया जा सकता था।
सेठ स्टूडियो और महबूब स्टूडियो के कॉरीडोर और मेक-अप रूम और वहां काम करने वाली फिल्म यूनिट उनकी नजदीकियों की साक्षी थीं। अगर वहां एक की शूटिंग हो रही होती, तो दूसरा/दूसरी वहां पहुँच जाता/जाती। 1981 में टीना ने एक साक्षात्कारकर्ता से कहा था, ‘मैं वही चीजें उनसे बताती हूं जो लड़कियां आम तौर पर अपने बॉयफ्रेंड को बताती हैं – अगर हम अलग हो जाते हैं, तो मैं मर जाऊंगी या आत्महत्या कर लूंगी या उसके लिए अपनी जान दे दूंगी और ऐसी ही कुछ बचकानी बातें। मुझे पता है कि मैं अपनी जिंदगी से क्या चाहती हूँ। हम तहे दिल से एक-दूसरे की परवाह करते हैं और यह मेरी इच्छा है कि हम लंबे समय तक एक साथ रहने में सफल हों। ‘

एक फिल्म निर्माता ने याद करते हुए बताया, ‘मुझे जुहू पर सन-एन-सेंड में संजय और टीना से अचानक मिलना याद है। वे बहुत छोटे थे, लगभग किशोर थे। संजय एक युवा लड़के (छोकरा) थे। वह पीने के शौकीन थे और हम इंडस्ट्री वाले जानते थे कि वह ड्रग्स के भी आदी हैं। लेकिन मुझे लगता है कि शुरुआत में टीना को उनके ड्रग्स लेने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। दोनों प्यार में डूबे हुए थे और संजू एक बहुत ही पजेसिव (बहुत हक़ जताने वाला) बॉयफ्रेंड था। उनके पजेसिव होने का स्तर जुनूनी था।‘

लेकिन उस समय जब संजय से पूछा गया कि क्या वह एक पजेसिव और दूसरे के जीवन में जादा हस्तक्षेप करने वाले बॉयफ्रेंड थे, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से जवाब दिया, ‘सचमुच, मैंने उसके कपड़ों के मामलों को छोड़कर, मेरी प्रेमिका के करियर में कभी हस्तक्षेप नहीं किया है। मैं उसके बारे में बहुत पजेसिव हूँ। वह मेरी है और मुझे उसका उन कपड़ों में (छोटे कपड़े) स्क्रीन पर आना पसंद नहीं है। यही वह चीज़ है जो उसके करियर में मेरी रूचि समाप्त कर देती है। मैं नहीं चाहता कि वह तीन साल से पहले इंडस्ट्री छोड़ें, क्योंकि उसके बाद मैं शादी करना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि वह जीवन का आनंद उठाएं और तब तक वह जो भी करना चाहे कर सकती है।’

जगरनॉट प्रकाशन से अनुमति के साथ उद्धृत

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