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Friday, 1 November, 2024
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हिंदी के लेखक ने कैसे शुरू की सोशल मीडिया पर ‘गमछा क्रांति’

12 नवंबर की रात को हिंदी साहित्य के लेखक नीलोत्पल मृणाल को कनॉट प्लेस के एक रेस्त्रां में घुसने से मना कर दिया गया जिनकी बगावत सोशल मीडिया पर छा गई और आखिर में जीत हुई.

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नई दिल्ली : बात 12 नंवबर की रात की है जब हिंदी साहित्य के लेखक नीलोत्पल मृणाल को कनॉट प्लेस के एक रेस्त्रां में घुसने से मना कर दिया गया. ऐसा इसलिए हुआ कि नीलोत्पल ने अपने कंधे पर गमछा रखा हुआ था. गमछा यानी कि देहात के मेहनतकश लोगों का प्रतीक. खेतों में काम करता हुआ किसान पसीना पोंछने के लिए रखता है. मजदूर खाना-खाने से पहले गमछे से हाथ-मुंह पोंछता है लेकिन एक गमछे ने हिंदी के एक साहित्कार को रेस्त्रां में जाने से रोक दिया.

और इसने सोशल मीडिया पर गमछा क्रांति की एक तरह से शुरुआत कर दी. हिंदी बेल्ट में यह खास खबर पिछले पांच दिनों छाई हुई है. गांधी की 150वी जयंती वर्ष में इस गांधीवादी मुहिम की सफलता और भी अधिक मायने रखती है.

दिप्रिंट से उस दिन का वाकया साझा करते हुए नीलोत्पल बताते हैं, ‘मैं दिल्ली सरकार द्वारा पूर्वांचल महोत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लौट रहा था. क्यूबा रेस्त्रां में घुस ही रहा था कि मैनेजर ने मुस्कराते हुए कहा कि इसे लेकर अंदर नहीं आ सकते. ये बुरा लग रहा है. यहां का माहौल ऐसा नहीं है. मैंने उससे काफी देर बहस की. मैंने डेमोक्रेसी से लेकर फ्रीडम व अधिकारों की बात गिनवा दी. फिर भी वो मुस्कराता रहा और अंदर जाने से मना करता रहा. सच कहूं तो मैं सन्न रह गया था लेकिन फिर मैं जबर्दस्ती घुस गया और पहले फ्लोर पर जाकर बैठ गया.’


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वो आगे जोड़ते हैं, ‘जब मेन्यू देखा तो पाया कि लहरिया समोसा लिखा हुआ है. मैंने वेटर को कहा कि आपका मैनेजर मेरे गमछे की वजह से अंदर नहीं आने दे रहा और मेन्यू में भोजपुरी शब्द इस्तेमाल करते हो. इसके लिए भी अंग्रेजी का शब्द क्यों नहीं ढूंढ़ लेते.’ नीलोत्पल हिंदी की डार्क हॉर्स और औघड़ बेस्टसेलर किताबों के लेखक हैं. डार्क हॉर्स दिल्ली के मुखर्जी नगर में यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं की जिंदगी पर आधारित है तो औघड़ ग्रामीण राजनीति की परतें खोलने वाली किताब है.

12 तारीख को नीलोत्पल ने दिल्ली सरकार से आग्रह करते हुए पोस्ट लिखी कि आप एक तरफ पूर्वांचल महोत्सव रखते हो और दूसरी तरफ दिल्ली के सीपी में गमछे से दिक्कत हो गई है. इस पोस्ट ने यूपी-बिहार के लोगों को आहत किया. लोगों ने इसे अस्मिता और देसी पहनावे की बेइज्जती के तौर पर देखा. इसके बाद शुरू हुआ गमछे वाली तस्वीरों का सिलसिला. गमछा ट्टिटर से लेकर फेसबुक पर ट्रेंड करने लगा. इस घटना के एक दिन बाद आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडेय भी उसी रेस्त्रां में गमछा पहनकर ही गए. बिग बॉस सेलिब्रिटी और गायक दीपक ठाकुर ने भी गमछा के साथ तस्वीरें शेयर कीं.


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कुछ लोग इकट्ठे होकर रेस्त्रां के बाहर गमछे पहनकर फेसबुक लाइव करने लगे. इतना ही नहीं एक के बाद एक ग्रुप वहां गमछा पहनकर खाना खाने गए. आखिरकार मैनेजर को माफी मांगनी पड़ी. साथ ही रेस्त्रां ने अपने स्टाफ को भी गमछा पहनाया. आखिरकार 17 तारीख को कुछ लोगों ने मैनेजर को भी गमछा पहनाकर इस सांकेतिक विरोध को खत्म किया.

दिप्रिंट ने रेस्त्रा पहुंचकर वहां काम करने वाले स्टाफ से बात की. इनमें ज्यादातर यूपी बिहार के रहने वाले हैं जिनके घर परिवार के लोग खुद भई गमछा पहनते हैं. स्टाफ में से एक शख्स ने कहा, ‘उस दिन जो कुछ हुआ उसको लेकर किसी की कोई मंशा नहीं थी, गलती से हो गया. अब हम उनके समर्थन में खुद गमछा पहन रहे हैं. मैनेजर अभी बाहर हैं उनसे बात नहीं हो पाएगी.’

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