नई दिल्ली: ग्यारहवीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम दिलाए जाने पर फेल होने वाले रघुबीर यादव 15-16 साल की उम्र में मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित अपने घर से भाग गए थे, जिसके बारे में इउनका मानना है कि ‘‘तब भी कुछ जोड़ना चाहता था और आज भी जोड़ रहा हूं’’.
वर्तमान समाज में बदलती प्राथमिकताओं के साथ हम देख रहे हैं कि परिवार बिखरने लगे हैं. बच्चे मां-बाप से अलग रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि परिवार उन्हें नहीं समझ सकता. इस मुद्दे के इर्द-गिर्द जल्द एक फिल्म आने वाली है ‘‘यात्रीज़’’, जिसमें परिवार, भावनाओं, रोमांच की एक दिल छू लेने वाली कहानी है, जिसमें मध्यम वर्गीय परिवार की बैंकॉक की यात्रा और उसके सहारे बिखरते रिश्तों के जुड़ाव को दिखाया जाएगा.
कभी अमेज़न प्राइम की सीरीज़ पंचायत में ‘प्रधान जी’, कभी नाटकों की दुनिया के मुंगेरीलाल हर बार लीक से हटकर नए किरदारों को निभाने वाले अभिनेता रघुबीर यादव इस बार अपने परिवार को जोड़ने के लिए नए अंदाज़ में नज़र आएंगे, जिसमें वो बिखरते रिश्तों की नींव को संभालने के लिए एक यात्रा पर निकले हैं.
इस कहानी की अपनी ज़िंदगी से कनेक्शन होने, पारिवारिक ज़रूरतों और स्कूल में फेल होने को अपनी शर्मिंदगी बताते हुए उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘‘ज़ाहिर है…बिल्कुल ज़ाहिर है कि ये कहानियां आपस में जुड़ी हुई हैं. मैं अपनी नाकामी की शर्मिंदगी को दूर करने के लिए घर से निकला था.’’
यादव ने कहा, ‘‘उस नाकामी के कारण जो शर्मिंदगी मुझे मिली थी तब ऐसा लगा कि यह ज़िंदगी किसी काम की नहीं है और मैं किसी काम को जोड़ने के लिए निकला था जिसे शायद आज कहीं न कहीं जोड़ पा रहा हूं.’’
वहीं, 90 के दशक में टेलिविजन सिनेमा के जरिए लोगों के दिलों पर राज करने वालीं बड़की अब मां बन चुकी हैं. कभी फिल्म गंगूबाई में शीला मौसी, नेटफ्लिक्स की सीरीज़ जामताड़ा में गंगादेवी, फिल्म बरेली की बर्फी में बिट्टी की मम्मी का रोल करने वालीं अभिनेत्री सीमा पाहवा हरेक किरदार में अपने को ढाल लेती हैं, जैसे कि ये उन्हीं के लिए गढ़ा गया हो, जिसका श्रेय वो खुद के काम अपनी ‘थिएटर’ की ट्रेनिंग को देती हैं. पाहवा इस फिल्म में मां के रोल में नज़र आने वाली हैं.
इन सभी रोल्स में हर बार इतनी बेहतरीन अदाकारी का कारण बताते हुए पाहवा ने कहा, ‘‘मेरे इन किरदारों के पीछे का सबसे बड़ा कारण थिएटर है क्योंकि उसकी वजह से आप बहुत सारी लाइफ जीने के आदि हो जाते हैं.’’
वे कहती हैं, ‘‘जब फिल्में आती हैं तो हमें बार-बार ग्राफ बदलने की आदत हो जाती है.’’
वहीं, इतने वर्षों बाद सिनेमा में एक सफल मुकाम हासिल कर लेने के बारे में यादव ने कहा, ‘‘जहां चाह हो वहां राह खुद-ब-खुद बन जाती है और मुझे लगता है कि शायद तब इसलिए फेल हुआ क्योंकि मुझे ये रास्ता अख्तियार करना था.’’
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‘मुझमें संभावनाएं तलाशिए’
प्रसिद्ध अभिनेता जॉनी लीवर की बेटी इस फिल्म में पाहवा और यादव की बेटी का किरदार निभाने वाली हैं. परिवार को जोड़ने वाली इस कहानी और बिखरते परिवारों के बारे में उनका मानना है कि ‘‘परिवार हो या दोस्त सभी में कम्युनिकेशन बहुत ज़रूरी है.’’
अपने पिता के साथ सोशल मीडिया पर कईं रील्स बनाने का ज़िक्र करते हुए लीवर ने कहा, ‘‘आपकी ज़िंदगी में परिवार सबसे पहले होना चाहिए’’.
वहीं, पाहवा ने कहा, ‘‘परिवार आपके लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है और सब कुछ है. आदमी की सही पहचान करनी है तो उसके साथ कहीं रहिए. आपको व्यक्ति की असलियत का पता चल जाएगा.’’
इधर, यादव ने कहा, परिवार को समझने के लिए एक साथ वक्त बिताना बहुत ज़रूरी होता है.
उन्होंने कहा, ‘‘घर में किसी को कुछ समझ नहीं आता क्योंकि सभी की अपनी-अपनी चीज़ें होती हैं और वो उन्हीं में उलझे रहते हैं. अपनी चीज़ों पर अकड़ते हैं. इसलिए परिवार के साथ बाहर निकलने पर सब समझ आ जाता है और ये बहुत ज़रूरी है.’’
फिल्म में एक डायलॉग है ‘कुछ बदलने से बहुत कुछ बदल जाता है’ और इन दिनों अपने कईं इंटरव्यू में जेमी कहती रही हैं कि वो अपनी ‘इमेज’ को बदलना चाहती हैं. कईं स्टेज शो कर चुकीं अभिनेत्री चाहती हैं कि लोग उन्हें और भी किरदारों में देखें और जानें.
जेमी ने कहा, ‘‘इस फिल्म से मैंने काम करने का अपना एरिया बदला है. कॉमेडी तो मैं हमेशा करती रहीं हूं, इसलिए उससे हटकर ये फैमिली ड्रामा मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. मुझे उम्मीद है कि लोग देखें कि ये (अभिनेत्री) केवल एक चीज़ नहीं कर सकती है और भी चीज़ें हैं’’.
उन्होंने आगे कहा, ‘‘अगर लोग मुझमें केवल संभावनाएं देखने लगें तो भी मेरे लिए काफी है. इसलिए मैंने कुछ इस तरह का अलग किया है और उम्मीद करती हूं कि लोगों को ये पसंद आएगा.’’
‘संगीत मेरी ज़िंदगी है’
रघुबीर यादव एक अच्छे सिंगर भी हैं और अपनी कामयाबी का सबसे बड़ा श्रेय वो संगीत को ही देते हैं और अपने इस प्रेम को वो अपने अकेलेपन का सबसे बड़ा साथी भी मानते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं ज़िंदगी में कभी अकेला नहीं रहा और संगीत एक ऐसा साथी है जो आपको कभी अकेले नहीं रहने देता.’’
यादव ने कहा, ‘‘ज़िंदगी की सीख में संगीत ने मेरा बहुत साथ दिया है. कोई भी दुख, तकलीफ, परेशानियां, ज़िंदगी की उठा पटक भी हुई मुझे यहां तक पहुंचाने में संगीत का बहुत बड़ा हाथ है. संगीत के जरिए आप कहीं भी मतलब ईश्वर के पास भी पहुंच जाते हैं.’’
रघुबीर यादव के साथ पहली बार स्क्रीन शेयर कर रहीं पाहवा ने अपनी एक्साइटमेंट शेयर करते हुए कहा कि ऐसे लोगों के साथ काम करने में बहुत मज़ा आता है.
उन्होंने कहा, ‘‘रघु जी के साथ काम करना अपने आप में बहुत ही अच्छा एक्सपीरियंस रहा क्योंकि इतने पुराने एक्टर हैं और इतना काम कर चुके हैं और जब आप ऐसे लोगों के साथ काम करते हैं तो मज़ा तो आता ही है.’’
हालांकि, सीमा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि नए एक्टर के साथ मज़ा नहीं आता उनके साथ अलग मज़ा आता है, ‘‘चूंकि हम दोनों थिएटर से हैं, ज़मीन से जुड़े हुए हैं हमारा एक अलग रिश्ता है और इस रिश्ते का असर फिल्म में ज़रूर दिखाई देता है.’’
वहीं जेमी ने कहा कि रघुबीर की तुलना अपने पिता से करते हुए कहा कि उन्होंने काम के प्रति आपका एटीट्यूड कैसा होना चाहिए इसकी सीख हर दिन ली है.
उन्होंने कहा, ‘‘रघु सर मुश्किल परिस्थितियों में भी खुश रहते हैं, जहां भी हों अपना सौ फीसदी देते हैं. उनके पास बहुत पॉजिटिव एटिट्यूड है और मेरी बहुत केयर करते हैं. मुझे उनके साथ पापा के जैसी ही फीलिंग आई.’’
लीवर ने कहा, ‘‘सीमा मैम के साथ ये बहुत ही बेहतरीन अनुभव था, वो सेट पर मेरी मां, मेरी बेस्ट फ्रेंड रहीं. हमने बहुत मस्तियां की है. गॉसिप किया है, शॉपिंग की है. अच्छा खाना खाया, बहुत घूमे हैं हम अभी तक मैं इसे एंजॉय कर रही हूं. ये अब तक का सबसे अच्छा एक्सपीरियंस था. मैं बहुत खुश हूं.’’
काशी इन दिनों केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण चर्चा में नहीं है, बल्कि परिवारों में दूरियां, रिश्तों के टूटने की कहानियां अब केवल बड़े शहरों से नहीं, बल्कि जहां संस्कृति से इतना जुड़ाव देखा जाता है, वहां से भी ऐसी खबरे आ रही हैं कि रिश्तों में बिखराव होने लगे हैं. बच्चे परिवार के साथ नहीं रहना चाहते. ऐसे मैं ये परिवार अपने घर को कैसे ठीक कर पाएगा, ये देखने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना पड़ेगा.
‘बनारस टू बैंकॉक’ तक के फैमिली ट्रिप के बारे में पाहवा ने हंसते हुए कहा, ‘‘हमने बनारस की खूब चाट पकौड़ियां खाई हैं और बैंकॉक जाकर अलग स्टिकी राइस और हमारा सारा ध्यान तो खाने पर ही रहता है.’’
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