नई दिल्ली: आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कर्नाटक में जोरदार प्रचार और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्षी एकता के प्रयासों ने इस सप्ताह उर्दू अखबारों में पहले पृष्ठ पर जगह बनाई. इसके अलावा, अफ्रीकी देश की सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच संघर्ष के चलते सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए केंद्र सरकार के ‘ऑपरेशन कावेरी’ को भी प्रमुखता से जगह दी गई.
यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद बृजभूषण शरण सिंह के विरोध में प्रमुख पहलवानों के दिल्ली के जंतर-मंतर पर लौटने की ख़बरों को भी व्यापक कवरेज मिली.
उर्दू के तीनों प्रमुख अखबारों- रोजनामा राष्ट्रीय सहारा, इंकलाब और सियासत के संपादकीय कर्नाटक चुनाव, विपक्षी एकता की राजनीति और पहलवानों के विरोध पर केंद्रित थे.
इस सप्ताह उर्दू प्रेस में सुर्खियां बटोरने वाली सभी खबरों के बारे में पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप.
यह भी पढ़ेंः ‘कर्नाटक विधानसभा चुनाव’ को लेकर एक्शन में PM मोदी, आज बेंगलुरु में मेगा रोड शो, तीन जनसभाएं भी करेंगे
कर्नाटक विधानसभा चुनाव
24 अप्रैल को सहारा ने अपने पहले पेज पर खबर दी कि राहुल गांधी 10 मई को होने वाले कर्नाटक चुनाव के प्रचार के लिए दो दिवसीय दौरे पर बागलकोट जिले में आए थे. अखबार ने उनके “भव्य रोड शो” की सूचना दी और बताया कि कैसे गांधी अपने वाहन से लगातार भीड़ में खड़े लोगों से हाथ हिलाकर उनका अभिवादन कर रहे थे.
उसी दिन, सहारा ने अपने पहले पृष्ठ पर एक अलग रिपोर्ट में कर्नाटक में लिंगायत मुख्यमंत्री के लिए बीजेपी के आह्वान पर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के विवादास्पद बयान को छापा. सिद्धारमैया ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि वर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी लिंगायत थे और भ्रष्टाचार में लिप्त थे, जिस पर भाजपा ने कहा कि यह लिंगायत समुदाय का अपमान है.
इस बीच सियासत के एक संपादकीय में दावा किया गया कि लोग भाजपा सरकार (कर्नाटक में) से नाराज़ थे क्योंकि इसने हिजाब, हलाल मांस और अन्य मुद्दों का राजनीतिकरण करने की कोशिश की लेकिन भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया. इसमें आगे दावा किया गया कि टीपू सुल्तान को निशाना बनाने की पार्टी की रणनीति को उसके हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए अपनाया गया था, लेकिन इससे भी उसे चुनावों से पहले जनता का समर्थन हासिल करने में मदद नहीं मिली.
अगले दिन इंकलाब ने ‘कर्नाटक में कांग्रेस कितनी मजबूत है’ शीर्षक से एक संपादकीय प्रकाशित किया. इसमें राज्य में पार्टी के मजबूत होने के कई कारणों को सूचीबद्ध किया गया. कहा गया कि पार्टी जीत की भूखी है. 1985 के बाद से मतदाताओं ने हमेशा सरकार बदलने के लिए अपने वोट का इस्तेमाल किया है, इसलिए इस बार बीजेपी के सत्ता से बाहर होने की संभावना है.
इसने कहा, “40 प्रतिशत सरकार” के आरोप ने जनता को प्रभावित किया है, इसने भाजपा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है. इसमें कहा गया है कि भाजपा ने हिजाब विवाद और मुस्लिम दुकानदारों के बहिष्कार जैसी “रणनीति” का इस्तेमाल किया था, लेकिन ये कर्नाटक में कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं दिखा रहे हैं. इसने कहा कि कई वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़ने से भाजपा के भीतर अशांति भी स्पष्ट थी.
सहारा ने 26 अप्रैल को, 10 मई को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा के पहली बार राज्य का दौरा करने के बारे में लिखा. मैसूरु से पार्टी उम्मीदवारों के लिए चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए, प्रियंका ने भाजपा सरकार पर कर्नाटक को लूटने का आरोप लगाते हुए 40 प्रतिशत कमीशन सरकार के आरोप को दोहराया.
26 अप्रैल को इंकलाब और सियासत ने अपने पहले पृष्ठ पर यह खबर प्रकाशित की कि कर्नाटक सरकार के मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण समाप्त करने के फैसले के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई 9 मई तक के लिए स्थगित कर दी गई है.
27 अप्रैल को सहारा ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस बयान की निंदा की कि राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने पर सांप्रदायिक दंगे होंगे. अखबार ने अपने पहले पेज पर प्रियंका गांधी वाड्रा के मैसूर में डोसा बनाने की खबर भी छापी.
सियासत के 27 अप्रैल के संपादकीय में दावा किया गया है कि भाजपा धर्म और जाति के आधार पर चुनाव अभियान को गुमराह करने की हर संभव कोशिश कर रही है. इसमें कहा गया है कि पार्टी ने 4 प्रतिशत मुस्लिम कोटा की समस्या का राजनीतिकरण करने की कोशिश की, लेकिन वह काफी सफल नहीं रही. कांग्रेस जहां स्थानीय और क्षेत्रीय मुद्दों तक चुनाव प्रचार को सीमित करना चाहती है, वहीं भाजपा के पास शेखी बघारने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है. संपादकीय में कहा गया है कि हमेशा की तरह भाजपा केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगने की कोशिश कर रही है.
अगले दिन, उर्दू अखबारों ने कांग्रेस नेताओं रणदीप सिंह सुरजेवाला, डॉ. जी. परमेश्वर और कांग्रेस के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने “भड़काऊ बयान देने, दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा देने और विपक्ष को बदनाम करने” के लिए बेंगलुरु में अमित शाह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.
28 अप्रैल को सियासत ने कर्नाटक के कापू, उडुपी में राहुल गांधी के चुनाव अभियान और उनके द्वारा किए गए चुनावी वादों की सूचना दी.
यह भी पढ़ेंः ‘PM बृजभूषण सिंह को बचा रहे हैं’, धरना दे रहे पहलवानों से मिलने जंतर-मंतर पहुंची प्रियंका गांधी
पहलवानों का विरोध
सप्ताह भर में इंकलाब ने प्रमुखता से यह खबर प्रकाशित की कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों ने तीन महीने के बाद अपना विरोध फिर से शुरू कर दिया है.
सहारा ने 26 अप्रैल के संपादकीय में सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में दिल्ली पुलिस के रवैये को “आश्चर्यजनक” बताया. इसमें कहा गया है कि विपक्ष के खिलाफ मामूली आरोपों पर भी एफआईआर दर्ज करने का रिकॉर्ड रखने वाली दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह एफआईआर दर्ज करने से पहले आरोपों की जांच करना चाहती है.
इसमें ये भी कहा गया कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दिल्ली महिला आयोग के निर्देश को भी खारिज कर दिया, जिसने उसे तुरंत एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा था.
विपक्षी एकता
24 अप्रैल को, सहारा ने पहले पृष्ठ पर खबर दी कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने दावा किया कि राज्य में एकनाथ शिंदे सरकार 15-20 दिनों में गिर जाएगी.
अगले दिन इसने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पश्चिम बंगाल पहुंचने और वहां की राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने की खबर को पहले पृष्ठ पर प्रमुखता से प्रकाशित किया.
सियासत ने 25 अप्रैल को ही नीतीश और तेजस्वी की ममता और अखिलेश यादव से मुलाकात की खबर पहले पन्ने पर प्रकाशित कर दी थी. अखबार ने अपने पहले पेज पर एक अन्य खबर में नीतीश का यह बयान छापा कि वो जनता को बीजेपी से बचाना चाहते हैं.
26 अप्रैल को सियासत ने संपादकीय में कहा कि अगर नीतीश कुमार के फॉर्मूले के अनुसार सभी विपक्षी दल एकजुट हो जाते हैं, तो यह एक उपलब्धि होगी. हालांकि, ऐसा होने के लिए यह जरूरी था कि पार्टियां सिर्फ आपसी गठबंधन और सीटों पर सहमत होने के बजाय एक रणनीति विकसित करें.
27 अप्रैल को इंकलाब ने एक संपादकीय लिखा कि कैसे नीतीश विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं. लेख में कहा गया है कि माना जाता है कि देश में बड़े बदलाव की शुरुआत बिहार राज्य से हुई थी, इसलिए अगर साल के अंत में कुछ बड़े बदलाव होते हैं, तो मान लीजिए कि वे पहले से ही वसंत ऋतु में शुरू हो गए हैं.
ऑपरेशन कावेरी और छत्तीसगढ़ में माओवादी हमला
25 अप्रैल को इंकलाब ने सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए केंद्र सरकार के ‘ऑपरेशन कावेरी’ की सूचना दी.
27 अप्रैल को उर्दू अखबारों ने ‘ऑपरेशन कावेरी’ के तहत 360 भारतीयों के पहले जत्थे के दिल्ली पहुंचने की खबर अपने पहले पृष्ठ पर छापी.
उसी दिन, सहारा, इंकलाब और सियासत ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक कथित माओवादी हमले में 10 सैनिकों की मौत को पहले पन्ने पर प्रकाशित किया. सहारा ने इसे ‘बड़ा हमला’ बताते हुए लिखा कि वाहन चालक भी मारा गया.
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
(उर्दूस्कोप को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ेंः हैरानी है अतीक-अशरफ हत्याकांड से जी-20 के लिए भारत आए डेलीगेट्स को क्या संदेश जाएगा: उर्दू प्रेस