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Monday, 10 February, 2025
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पुस्तक मेले में इस साल हिंदी में गंभीर वैचारिक किताबों की मांग बढ़ी

जलसाघर में कई प्रसिद्ध लेखकों ने किताब लॉन्च, हस्ताक्षर सत्र और चर्चाओं में भाग लिया. इसके अलावा, विशेष पठन सत्र आयोजित किए गए, जिसमें दर्शकों की सक्रिय भागीदारी देखी गई.

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नई दिल्ली: नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2025 रविवार को संपन्न हो गया, जिसमें पुस्तक प्रेमियों की भारी भागीदारी देखी गई.

इस दौरान राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल जलसाघर में हर दिन बड़ी संख्या में पाठक आते रहे. क्लासिक हिंदी किताबों के साथ-साथ, हाल ही में छपी किताबों को भी आगंतुकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली. नई लॉन्च की गई किताबों में कथेतर (नॉन-फिक्शन) की इस साल सबसे अधिक बिक्री हुई.

विश्व पुस्तक मेले में, राजकमल प्रकाशन समूह ने विभिन्न विधाओं में 45 नई किताबों का लोकापर्ण किया. जलसाघर में कई प्रसिद्ध लेखकों ने किताब लॉन्च, हस्ताक्षर सत्र और चर्चाओं में भाग लिया. इसके अलावा, विशेष पठन सत्र आयोजित किए गए, जिसमें दर्शकों की सक्रिय भागीदारी देखी गई.

राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक माहेश्वरी ने कहा, ‘‘हर साल की तरह, विश्व पुस्तक मेले में आने वाले पुस्तक प्रेमियों की संख्या पिछले संस्करणों की तुलना में बढ़ी है. पाठकों के बीच पुस्तकों के प्रति बढ़ती रुचि हम सभी के लिए एक उत्साहजनक संकेत है.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘इस साल मेले में बिक्री के आंकड़े हिंदी में गंभीर बौद्धिक पुस्तकों की बढ़ती मांग को दर्शाते हैं. इसके अलावा, हिंदी पुस्तकें पढ़ने के इच्छुक लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, खासकर युवा पाठकों में. यह एक सकारात्मक विकास है. हम अपने पाठकों तक नया और उच्च-गुणवत्ता वाला साहित्य लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उत्कृष्ट साहित्य को आम जनता तक पहुंचाने के अपने समर्पण के साथ, हम उच्च-गुणवत्ता वाली किताबों को प्रकाशित करना जारी रखेंगे.’’

इस साल विश्व पुस्तक मेला में सबसे अधिक बिकने वाली राजकमल प्रकाशन समूह की नई किताबों की सूची में, शैलेन्द्र – यूनुस ख़ान की ‘उम्मीदों के गीतकार’, रोमिला थापर की ‘असहमति की आवाज़ें’, जावेद अख़्तर की ‘सीपियां’, रतनलाल की ‘धर्मान्तरण : आंबेडकर की धम्म यात्रा’, जसिंता केरकेट्टा की ‘प्रेम में पेड़ होना’ शामिल हैं.

इसके अलावा राजकमल की क्लासिक किताबों की सूची में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ‘रश्मिरथी’, श्रीलाल शुक्ल का प्रसिद्ध उपन्यास ‘राग दरबारी’, मन्नू भंडारी का ‘आपका बंटी’, फणीश्वरनाथ रेणु का ‘मैला आंचल’, काशीनाथ सिंह का ‘काशी का अस्सी’, ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ के दोनों भाग शामिल हैं.

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