लड़की ने दावा किया है कि वह अपनी मर्जी से भागी थी लेकिन परिवार विभाजित रहे हैं क्योंकि बुलंदशहर के सोंडा हबीबपुर में जाति समीकरण युवा प्रेम को ठेंगा दिखाते हैं।
बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक दलित व्यक्ति का दावा है कि वह अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि उनके बेटे द्वारा एक स्थानीय मुस्लिम लड़की को भगा कर ले जाना उन्हें कथित तौर पर उनके उच्च जातीय पड़ोसियों के निशाने पर रखता है।
माना जा रहा है कि श्री कृष्णा का 21 वर्षीय पुत्र शिवकुमार 18 जून को अपनी पड़ोसन रज़िया के साथ भाग गया है लेकिन तब से अलग-अलग कहानियों ने परिणामों को वश में कर लिया है क्योंकि दोनों पक्ष उत्पीड़न के आरोप-प्रत्यारोप लगाने में सक्रिय हैं।
आरोप है कि श्री कृष्णा और उनके रिश्तेदारों पर निशाना साधने के लिए गाँव की ठाकुर आबादी ने रज़िया के परिवार को समर्थन दिया था जिसकी वजह से जातिगत तनाव भी पैदा हो चुका है।
अपने छिपने के स्थान से रविवार को दिप्रिंट से बात करते हुए श्री कृष्ण ने कहा कि उन्हें चार लोगों ने “देख” लिया था। 44 वर्षीय इस मजदूर ने आगे कहा, “मैं जितनी जल्दी हो सके यहां से बाहर निकल रहा हूं। मुझे नहीं पता कि मैं कहां जाऊंगा, लेकिन मुझे भागना पड़ेगा।”
बुलंदशहर से 26 किमी दूर खुर्जा में एक खाली स्कूल के मैदान में एक पेड़ के नीचे बैठकर उन्होंने कहा, अपने गाँव सोंडा हबीबपुर में पड़ोसियों द्वारा कथित तौर पर थूक कर चाटने के लिए मजबूर किए जाने के एक दिन बाद, कि वह बुधवार से खेतों से जंगलों में और खाली भूखंडो से होकर भाग रहे थे।
उन्हें और उनके भाई को कथित तौर पर स्थानीय लोगों द्वारा 15 मिनट से अधिक समय तक पीटा गया था जिनके बारे में उनका दावा है कि वे उन्हें एक पंचायत बैठक आयोजित करने के बहाने से बहला-फुसला कर ले गये थे।
कृष्णा ने कहा, “उन्होंने कहा कि अगर मैं अपने बेटे और रज़िया को वापस नहीं लाया तो वे मेरी पत्नी और बेटी को मेरे घर से बाहर घसीट कर निकालेंगे, चारों ओर नंगा घुमाएंगे और गाँव के सभी कुंवारे लड़कों से उनका बलात्कार करने के लिए कहेंगे।”
उन्हें तुरंत गाँव छोड़ने के लिए कहा गया और बताया गया कि उनके खेत और संपत्ति अब रज़िया के परिवार के स्वामित्व में होगी।
कृष्णा की पत्नी और दो 11 वर्षीय बेटे वर्तमान में पुलिस सुरक्षा में हैं। उन्होंने कहा, “मुझे अपनी जिंदगी के लिए डर है। मुझे पता है कि यह अंत है।”
कथित हमले में, कृष्णा की पुलिस शिकायत में उनके द्वारा नामित पांच लोगों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है और उनमें से दो लोगों — रजिया के पिता भूरा खान और एक स्थानीय व्यक्ति खिल्लू, को गिरफ्तार किया गया है।
बुलंदशहर के अपर पुलिस अधीक्षक रईस अख्तर ने गिरफ्तारियों की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “अभी तक हम अन्य तीन लोगों को गिरफ्तार नहीं कर पाए हैं।”
आरोपियों में भारतीय जनता पार्टी के एक स्थानीय नेता नारायण सिंह सोलंकी भी शामिल हैं। श्री कृष्णा के अनुसार, “सोलंकी, जो कि उच्च जाति के ठाकुर हैं, इस कस्बे को चलाते हैं। उन्होंने मुझे पीटा था और गालियां दी थीं। हर कोई उनसे डरता है और हर कोई किसी भी चीज के होने से इनकार कर देगा।”
उन्होंने आगे कहा, “पुलिस उन्हें जाने देगी क्योंकि वे केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा के लिए काम करते हैं।”
हालाँकि सोलंकी ने खुद को निर्दोष कहा है। सोलंकी ने कहा, मुझे पंचायत के बारे में पता नहीं था, मैं इसलिए आया क्योंकि लोग इकठ्ठा हो रहे थे।”
उन्होंने आगे कहा, “लड़के के चाचा आये और हमें गाली देना शुरू कर दिया। वे गाँव के बच्चे थे इसलिए उन्हें एक या दो थप्पड़ लगाये गये। किसी ने भी उनसे दुर्व्यवहार नहीं किया था, थूकने-चाटने के लिए मजबूर नहीं किया था या जातिगत टिप्पणी नहीं की थी।”
उन्होंने कहा, “वह बस हमें फंसाना चाहते थे। उन्होंने टीवी पर भी मेरा नाम लिया लेकिन यह नहीं कहा कि मैं भाजपा का एक मेहनती सेवक हूँ। मैं जाति या धर्म नहीं देखता हूँ, मैं बस यहाँ महेश शर्मा (केन्द्रीय मंत्री) के अंतर्गत अच्छा काम करता हूँ।”
महेश शर्मा, जो कि यूपी में गौतम बुद्ध नगर से भाजपा सांसद हैं, दिप्रिंट द्वारा कई प्रयासों के बावजूद टिप्पणी के लिए अनुपलब्ध रहे।
दो परिवार, दो अलग-अलग कहानियां
रज़िया का परिवार शिवकुमार के ही घर वाली पतली सी गली में रहता है, उनके घर 15 मीटर की दूरी पर स्थित हैं।
रज़िया की माँ, 42 वर्षीय सकीला बेगम ने अपने घर पर दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि उनके पति पर श्री कृष्णा द्वारा झूठा आरोप लगाया जा रहा था। उन्होंने कहा, “कोरी हमारी बेटी ले गये, हमारी इज्ज़त ले गये और अब उन्होंने मेरे आदमी को जेल पहुंचा दिया है।”
कोरी वह समुदाय है जिससे शिवकुमार ताल्लुक रखते हैं। सकीला के मुताबिक, “फर्जी” पंचायत ठाकुरों और खान द्वारा नहीं बुलाई गयी थी। उन्होंने कहा, यह “हमारी लड़की हमें वापस करने के ढोंग” के तहत श्री कृष्णा द्वारा बुलाई गयी थी।
उन्होंने ‘पंचायत’ में सोलंकी द्वारा कहे गये शब्दों को दोहराया। सकीला ने आगे कहा, पंचायत में, श्री कृष्णा ने गाँव के बुजुर्गों का अपमान करना शुरू किया और उनके साथ गलत व्यवहार किया। और इसलिए उन्होंने इसे एक बार थप्पड़ मारा, बस इतना ही हुआ था। थूकने-चाटने वाली बात पूरी तरह से झूठ है। वह हमारे लोगों पर गलत आरोप लगा रहे हैं।
हिन्दू बाहुल्य सोंडा हबीबपुर में भूरा खान का परिवार एकमात्र मुस्लिम परिवार है। 80 की उम्र पार कर चुकीं रज़िया की दादी हाजरा ने कहा कि वे ठाकुरों पर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मदद के लिए निर्भर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारे लिए वे ही सब कुछ हैं। और हम क्या करेंगे?”
सोलंकी ने कहा कि श्री कृष्णा का बेटा “झूठे रिश्तों में महिलाओं को फंसाने और उनका फायदा उठाने के लिए जाना जाता था”।
सोलंकी ने कहा, “वह झूठे केसों की धमकियों के साथ पैसों के लिए लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए जाना जाता है। हम केवल दोनों समूहों के बीच सांप्रदायिक तनाव की संभावना को रोकने की कोशिश कर रहे थे।”
जातिवाद के समय में इश्क!
कहानी के मुख्य किरदार शिवकुमार और रज़िया के ठौर-ठिकाने पर कोई चर्चा नहीं है।
ऐसा कहा जाता है कि कंप्यूटर विज्ञान में डिग्री रखने वाले शिवकुमार ने अपने पिता के साथ करियर की संभावनाओं के बारे में असहमति के बाद 25 मई को पहले ही गांव छोड़ दिया था। श्री कृष्णा ने कहा कि रज़िया के लापता होने की सूचना दो हफ्ते बाद मिली थी और उसके परिवार वालों ने अनुमान लगाया कि वह शिवकुमार के साथ रहने के लिए यहाँ से गयी है।
एक कोरी और एक मुस्लिम के मिलाप पर उग्र दोनों परिवार बाद में युगल की तलाश में और उन्हें वापस लाने के लिए एक साथ आये।
श्री कृष्णा ने कहा, “मैंने उन्हें (रज़िया के परिवार को) बताया था….मैं आपके साथ हूँ। यदि हम उन्हें ढूंढ लेते हैं, यदि आप उन्हें सजा देना चाहते हैं या जान से मारना चाहते हैं, जेल भेजना चाहते हैं या गाँव से निकालना चाहते हैं, चाहे जो कुछ भी करना चाहते हैं, मैं उसमें मदद करूँगा और पैसा भी दूंगा।”
आगे उन्होंने कहा, “गाँव की एक लड़की के लिए उसी गाँव की ही एक बहू बनना असंभव है। यह शर्मनाक है।”
कपल का पीछा
इसके बाद उनको ढूँढने के व्यर्थ प्रयास हुए। रज़िया की भांजी के संकेत के बाद, कि उन्होंने अलीगढ़ के एक होटल में एक कमरा बुक किया था, श्री कृष्णा और भूरा 7 जून को कस्बे में दाखिल हुए लेकिन उन्हें वहां नहीं पा सके।
उनके विस्तृत परिवारों के उत्तरवर्ती संकेतों ने बताया कि जोड़ा कानपुर पहुंचा था लेकिन भूरा ने निर्णय लिया कि एक बड़े शहर में उनकी खोज व्यर्थ है।
कृष्णा ने कहा, “न ही भूरा खान और न ही मैं, दोनों उनसे कोई मतलब नहीं रखना चाहते थे इसलिए उन्होंने मुझे बताया कि घर पर इंतजार करते हैं और अगले दिन 9 जून को शिवकुमार के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कराई।”
आखिर में शिवकुमार और रज़िया 19 जून को दिल्ली में पाए गये। बुलंदशहर के पास खुर्जा नगर में सिविल कोर्ट के समक्ष रज़िया ने बयान दिया कि वह शिवकुमार से प्यार करती है और स्वेच्छा से उसके साथ रहने का फैसला किया था।
श्री कृष्णा ने कहा, “उसने बताया कि उसके माता-पिता उसे मारते थे और किसी अन्य व्यक्ति से जबरन उसकी शादी कराने की कोशिश कर रहे थे, और इसलिए उसने अपनी इच्छा से घर छोड़ा था।”
रज़िया के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि श्री कृष्णा ने उसे अपने बेटे के पक्ष में गवाही देने की धमकी दी थी, लेकिन अदालत ने जोड़े के पक्ष में फैसला सुनाया था। परिवारों का मानना है कि दोनों ने उसी दिन शादी कर ली थी, लेकिन उन्होंने शादी नहीं की थी, पुलिस और श्री कृष्णा के वकील ने इसकी पुष्टि की।
श्री कृष्णा, जो लगता है अपने बेटे को अस्वीकार कर चुके हैं, ने कहा कि उन्होंने तुरंत जोड़े को गाँव छोड़ने के लिए कहा क्योंकि उन्हें स्थानीय लोगों से प्रतिशोध का डर था।
श्री कृष्णा ने दिप्रिंट को बताया, “वे तुरंत चले गए और मुझे नहीं पता कि अब वे कहाँ हैं।”
‘हेरफेर का कोई सवाल नहीं’
पंचायत के दो असंगत संस्करणों में खुर्जा नगर पुलिस स्टेशन के अधिकारी वीरेंद्र सिंह की जांच द्वारा तैयार रिपोर्ट भी मौजूद है।
सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “साक्ष्यों के आधार पर, यह सामने आया है कि, पंचायत के दौरान, कृष्णा के भाई ने कहा था कि वह दो दिन में रज़िया को ढूंढ़कर वापस ले आयेंगे। लेकिन स्थानीय नेताओं ने कहा कि उसे दो घंटों में ऐसा करना होगा। फिर एक लड़ाई शुरू हुई, जिसमें कृष्णा को प्रताड़ित किया गया।“
हालांकि पुलिस को अभी यह निर्धारित करना है कि क्या 15 मिनट के हमले के बारे में दावा, थूक कर चटवाने की बात, या सामूहिक बलात्कार की धमकी सच है या नहीं। सिंह आगे बताते हैं कि, “सच्चाई सामने लाने के लिए इस मामले में कई जांचें और विभिन्न साक्ष्य जुटाने होंगे।”
उन्होंने कहा “यह सम्मान का विषय है। समस्या यह है कि लड़की मुस्लिम है और मुसलमानों को ठाकुर राज द्वारा समर्थन प्राप्त है और ठाकुर लोग नहीं मानते कि इस तरह की एकता समाज में स्वीकार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि वह “अदालत के सामने रज़िया की गवाही लेने के लिए व्यक्तिगत प्रभारी थे”।
उन्होंने कहा, “वह एक वयस्क है, नाबालिग नहीं, इसलिए पुलिस और न्यायाधीश के सामने हेरफेर या दबाव का सवाल ही नहीं उठता है।”
Read in English: Dalit boy, Muslim girl and a Thakur panchayat: How forbidden love rocked this UP village