नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर चल रहे अब विवाद के खत्म होने के साथ ही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पूरे सप्ताह उर्दू पेश की कवरेज का केंद्रीय बिंदु बनी रही; हालांकि कुछ संपादकीयों में कांग्रेस के शीर्ष पद के चुनाव में पारदर्शिता की मांग भी की गयी.
भारत की अर्थव्यवस्था के हालत भी उर्दू प्रेस के पहले पन्ने पर बने रहे और साथ ही गुजरात के खेड़ा में कथित तौर पर गुजरात पुलिस द्वारा कुछ लोगों को बेंत से पीटे जाने घटना, जिसने व्यापक आक्रोश पैदा किया था, ने भी पहले पन्ने पर जगह बनाई.
अन्य चीजों के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसाबले द्वारा अर्थव्यवस्था पर की गई टिप्पणियां भी इस सप्ताह उर्दू अख़बारों के पहले पन्ने पर बनीं.
पेश है इस सप्ताह उर्दू प्रेस में सुर्खियां बटोर रहे मुद्दों का दिप्रिंट द्वारा आपके लिए तैयार किया गया एक राउंडअप.
भारत जोड़ो यात्रा और कांग्रेस के चुनाव
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में दावेदार के रूप में उभरने के साथ ही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ एक बार फिर से पहले पन्नों पर लौट आई, जबकि कई संपादकीय में एक ‘नई’ कांग्रेस के बारे में बताया गया था.
1 अक्टूबर को ‘इंकलाब’ ने अपने पहले पन्ने पर खबर छापी कि ‘यात्रा’ अपने कर्नाटक चरण में प्रवेश कर चुकी है. इसी खबर के साथ, अखबार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की एक तस्वीर भी छापी जिसमें उन्हें लोगों की तरफ हाथ लहराते हुए दिखाया गया था.
उसी दिन लिखे गए अपने संपादकीय में अखबार ने लिखा था कि राजस्थान के राजनीतिक संकट से जुड़ी अप्रिय स्थिति से निपटने में कांग्रेस आलाकमान द्वारा दिखाई गई ‘समझदारी’ ने मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटा दिया है. संपादकीय में आगे कहा गया है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जो शुरू से ही इस दौड़ में शामिल होने के लिए उत्सुक नहीं थे, के अब दौड़ में नहीं होने के साथ ही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ एक बार फिर से फोकस में आ गई है, विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु में इसे मिली ‘सफलता’ के बाद.
2 अक्टूबर को कांग्रेस के अध्यक्ष पद से चुनाव पर आधारित अपने एक संपादकीय में, ‘सियासत’ ने लिखा है कि पार्टी के लिए, अपने नए अध्यक्ष के चुनाव की ऑप्टिक्स काफी अहम है. अब जब की अध्यक्ष पद का चुनाव फिर से पटरी पर आ गया है और राहुल गांधी लोगों से जुड़ रहे हैं, पारदर्शी तरीके से एक नया अध्यक्ष चुना जाना महत्वपूर्ण है ताकि भविष्य में उनकी कार्यशैली पर कोई सवाल न उठे.
4 अक्टूबर को छपे एक अन्य संपादकीय में, ‘इंकलाब’ ने लिखा कि यह देखते हुए कि खड़गे की जीत लगभग एक पहले से तय परिणाम जैसा है, उन्हें अपने कार्यकाल को कामयाब बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इसमें कहा गया है कि उनका कार्यकाल ऐसे समय में आया है जब पार्टी – जो दो आम चुनाव और कई विधानसभा चुनाव हार चुकी है – पूरी तरह से बिखरी हुई है. यह कहते हुए कि ‘ भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले पार्टी कार्यकर्ता काफी निराश थे, संपादकीय में लिखा गया है कि नए कांग्रेस अध्यक्ष के पास करने के लिए काफी कुछ होगा.
7 अक्टूबर को ‘सियासत’ ने अपने पहले पन्ने पर राहुल गांधी द्वारा अपनी मां सोनिया गांधी के जूतों के फीते बांधते हुए एक तस्वीर छापी. साथ छपी खबर में कहा गया था कि यह पहली बार है कि सीनियर गांधी (सोनिया गांधी) भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुईं और इससे ‘खुशी और उत्साह’ पैदा हुआ है. सोनिया कर्नाटक के मांड्या में यात्रा में शामिल हुई थीं.
‘इंकलाब’ और ‘रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा’ दोनों ने इस यात्रा के बारे में ख़बरें छापीं. ‘इंकलाब’ की प्रमुख खबर में मां-बेटे की जोड़ी, जो लोगों के अपार समूह से घिरी हुई थी, की तस्वीर भी थी. राहुल के ‘भावनात्मक’ ट्वीट के हवाले से इस खबर की सुर्खी में कहा गया था कि कांग्रेस ‘भारत को एकजुट करने के लिए चुनौतियों का सामना करेगी’. अखबार ने यह भी बताया कि यात्रा में सोनिया की भागीदारी ने कांग्रेस के उत्साह को बढ़ावा दिया और दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के सामने एक नई एलईडी स्क्रीन लगाई गई है.
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अमित शाह का जम्मू-कश्मीर दौरा
6 अक्टूबर को दी गयी एक खबर में ‘सहारा’, ‘सियासत’ और ‘इंकलाब’ ने अपने-अपने पहले पन्ने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जम्मू-कश्मीर की तीन दिवसीय यात्रा के बारे में जानकारियां दीं.
अखबारों ने बताया कि शाह ने इस केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा हालात की समीक्षा की. उन्होंने शाह के हवाले से कहा कि वह कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान से बात करने के बजाय वहां के युवाओं से बात करना पसंद करेंगे.
‘सहारा’ की खबर की सुर्खी में कहा गया था कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को देश में ‘सबसे शांतिपूर्ण जगह’ बनाएगी.
‘इंकलाब’ ने यह बताया कि शाह ने बारामूला में अजान बजने की आवाज सुनकर अपना भाषण रोक दिया.
6 अक्टूबर को, ‘सहारा’ के पहले पन्ने में जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई दो मुठभेड़ों की खबर थी. इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए थे.
अर्थव्यवस्था
1 अक्टूबर को, ‘सहारा’ ने रेपो रेट में उस दिन से लागू होने वाली बढ़ोत्तरी की खबर दी. यह कहते हुए कि इस बढ़ोतरी से उन लोगों को फायदा होगा जो अपना पैसा सावधि जमा (फिक्स्ड डिपाजिट) में रखते हैं, अख़बार ने बताया कि रेपो रेट बढ़ने से बैंक द्वारा दिया गया कर्ज भी महंगा हो जाएगा.
2 अक्टूबर को, ‘सहारा’ और ‘सियासत’ ने अपने पहले पन्ने पर जानकारी दी कि वाणिज्यिक उपयोग के गैस सिलेंडरों की कीमतों में कमी आई है.
3 अक्टूबर को अपने पहले पन्ने की खबर के रूप में, ‘सहारा’ ने बताया कि आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने देश में गरीबी, बेरोजगारी और बढ़ती असमानता के बारे में चिंता जताई है. अपने भाषण में, दत्तात्रेय ने कहा था कि देश में बढ़ती आर्थिक असमानता एक प्रमुख मुद्दा है और साथ ही उन्होंने उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया.
6 अक्टूबर को छापे गए अपने संपादकीय में, ‘सियासत’ ने लिखा था कि यह देखते हुए कि बेरोजगारी, गरीबी और बढ़ती आर्थिक असमानता पर ये टिप्पणीयां संघ परिवार और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ओर से आयीं है, सरकार को इस पर जरूर ध्यान देना चाहिए.
संपादकीय में कहा गया है कि जनता को इसका जवाब चाहिए और सरकार को सच्चाई का सामना करना चाहिए तथा समस्या को हल करने में मदद करने हेतु उसे इसे स्वीकार करना ही चाहिए.
खेड़ा में बेंत से पीटे जाने की घटना
6 अक्टूबर को ‘इंकलाब’ ने अपने पहले पन्ने पर खबर छापी कि गुजरात के खेड़ा जिले के उंधेला गांव में कुछ मुसलमानों को एक गरबा कार्यक्रम में कथित रूप से पथराव करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. खबर में कहा गया है कि इसके बाद कुछ सादे कपड़ों वाले पुलिसकर्मियों ने उन्हें एक खम्भे से बांध दिया और फिर उन्हें सरेआम बेंत से पीटा गया.
अखबार ने बताया कि गुजरात और मध्य प्रदेश के गरबा कार्यक्रमों में मुस्लिम युवाओं को अंदर जाने से मना किए जाने के बाद कई जगहों पर हिंसा और शारीरिक हमले की खबरें आईं हैं. इसने यह भी कहा कि गरबा स्थलों में प्रवेश करने की कोशिश वाले लोगों के साथ मारपीट के कुछ वीडियो भी वायरल हुए हैं.
समान नागरिक संहिता
2 अक्टूबर को ‘इंकलाब’ ने अपने पहले पन्ने पर खबर दी कि सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड) पर दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. अखबार ने बताया कि याचिकाकर्ता ने अदालत से लॉ कमीशन ऑफ़ इंडिया (विधि आयोग) की उस सिफारिश पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था जिसमें भारत की सामाजिक वास्तविकताओं के संदर्भ में समान नागरिक संहिता को गैर-जरुरी करार दिया गया था.
उसी दिन अखबार ने यह भी बताया कि कैसे न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ 11 घंटे से भी कम समय में 75 मामलों की सुनवाई करने में कामयाब रहे.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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