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Saturday, 16 November, 2024
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अमेरिका 2020– एक बंटा हुआ देश: महाशक्तिशाली छवि के पीछे की सच्चाई

'अमेरिका 2020- एक बंटा हुआ देश' दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र होने की दावेदारी करने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव का आंखों-देखा हाल बयां करने वाली किताब है.

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हम खबरिया चैनलों पर जो तस्वीर देखते हैं, उसके उलट अमेरिका अपने सरल और स्वाभाविक अन्दाज़ में समर्थन और विरोध की आज़ादी का निर्वाह करते चल रहा है.

विस्मय के भाव के साथ, मैं निकल पड़ता हूं ‘द वाॅशिंगटन पोस्ट’ में टिप्पणीकार और पुलित्ज़र सम्मानित पत्रकार, यूजीन रॉबिन्सन से मिलने. यूजीन दो दशकों से व्हाइट हाउस पर लिख रहे हैं और जैसा कि मुम्बई के सम्पादक सचिन कलबाग कहते हैं, वाॅशिंगटन में रहकर बिना यूजीन की टिप्पणी पढ़े आप, व्हाइट हाउस पर अपनी समझ नहीं बना सकते.

यूजीन काे धन्यवाद कि वो हमसे मिलने आए. क्योंकि अभी जिस किसी से भी बात कीजिए, वह फ़ोन या फ़ेसटाइम पर ही बात करना चाहता है.

बात राजनीति से ही शुरू हुई.

‘अमेरिकी राजनीति में हर दिन कुछ नया हो रहा है, आप बड़े मुश्किल पर रोचक समय में अमेरिका आए हैं. देश आज जितना विभाजित है, पहले कभी नहीं रहा, या तो आप राष्ट्रपति ट्रम्प के पक्ष में हैं या नहीं. बीच में कोई जगह नहीं.’

‘तो राष्ट्र कहां जाएगा, ट्रम्प राष्ट्रपति बने रहेंगे या नहीं?’

‘अभी कहना मुश्किल है. राष्ट्रपति का एक संगठित वोटर बैंक है, करीब 35 प्रतिशत लोग उनके अन्ध भक्त हैं. वे किसी भी हालत में उन्हें ही अपना वोट देंगे.’

‘कौन हैं ये लोग?’

‘व्हाइट मैन विदाउट कॉलेज डिग्री, (बिना कॉलेज डिग्री) के गोरे पुरुष.’

‘पुरुष.’

‘जी.’

और गोरी महिलाएं?

‘वो भी रिपब्लिकन वोट बैंक थीं पर ट्रम्प की हरकतों से उनका झुकाव रिपब्लिकन से दूर हो रहा है. महिलाओं के प्रति उनका रवैया आदर का नहीं है.’

यूजीन ने बताया कि उनको लगता है देश में निराशा और हताशा बढ़ रही है. ट्रम्प ब्लू कॉलर जाॅब (फ़ैक्टरी और स्किल पर आधारित रोज़गार) देने का वादा कर रहे हैं, पर ऐसा कर पाना सम्भव नहीं है. उनके हिसाब से तीन मुख्य मुद्दों पर चुनाव होगा. पहला, कोविड, दूसरा, उससे पनपा आर्थिक संकट और तीसरा, रंगभेद.

अविनाश कल्ला की किताब का कवर

हेल्थ केयर बड़ा मुद्दा है. 2018 में जब कोविड नहीं था तब लोअर हाउस के लिए हुए मध्यावधि चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी को स्वास्थ्य के मुद्दे पर बड़ी जीत हासिल हुई थी.

रंगभेद पर बात करते हुए यूजीन ने कहा, ‘अभी गैर-गोरे लोग अल्पसंख्यक हैं. इनकी संख्या करीब 30 प्रतिशत के करीब है लेकिन 2040 तक इनकी संख्या गोरों के बराबर हो जाने का अनुमान है और इनकी आवाज़ को नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता.’

यूजीन की मानें तो चुनाव को तीन राज्य सीधा प्रभावित करेंगे. ये राज्य हैं: पेंसिलवेनिया, विस्कॉन्सिन और मिशिगन. ये तीनों राज्य मूलतः डेमोक्रेटिक बहुल इलाके हैं पर पिछले चुनावों में हिलरी क्लिंटन यहां पिछड़ गईं. इन जगहों पर हार निर्णायक रही. अगर इस बार बाइडन यहां पार्टी के वोटरों को फिर से खींच सके तो ट्रम्प का जीतना मुश्किल होगा.
ट्रम्प को सुर्ख़ियों में बने रहना आता है. वे किसी भी बात को कहने में हिचकिचाते नहीं हैं. चाहे वह कितनी भी आपत्तिजनक क्यों न हो.

ट्रम्प ने अपने कई मुख्य सलाहकारों को किनारे कर दिया है. इनमें स्टीव बैनन, माइकल कोवन और रॉजर स्टोन शामिल हैं. स्टीव बैनन की www.breitbart.com वेबसाइट ने 2015/16 में ट्रम्प और राइट विंग का काफी एजेंडा चलाया था, वे अभी बाहर हुए हैं. माइकल कोवन उनके करीबी सलाहकार थे, लेकिन अब बाहर हैं. रॉजर स्टोन दो दशकों से ट्रम्प के करीबी हैं और उन्हें व्हाइट सुप्रेमेकिस्ट कहा जाता है, उन्हें 40 महीने की कोर्ट से सज़ा मिलने के बाद अभी राहत मिली है. उनकी भूमिका भी सन्देह के घेरे में है.

इस पर यूजीन ने कहा, ‘ट्रम्प बड़े ही शातिर हैं, उन्हें पता है कब किससे दूरी बनानी है और कब किससे संवाद करना है. वे दूरी बना लेते हैं पर सम्बन्ध जोड़े रहते हैं और बातचीत जारी रखते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘आपने जिन लोगों का जिक्र किया, मेरा मानना है कि बेनोन और स्टोन अभी भी पर्दे के पीछे रहकर ट्रम्प के लिए काम कर रहे हैं. पिछली बार इनसे नज़दीकी ट्रम्प के लिए काफ़ी विवादास्पद रही थी, इस बार वे ख़ुद कई विवादों से घिरे हुए हैं और इनसे सार्वजनिक तौर पर दूर हैं. बेनोन से पूरी तरह, स्टोन का कहना मुश्किल है, पिछली बार भी वे कैम्पेन से आधिकारिक तौर से हट गए थे पर काम फिर भी जारी रखा था. इस बार भी कुछ ऐसा हो सकता है इसकी पूरी सम्भावना है.’

अब ज़रा ट्रम्प के प्रतिद्वन्द्वी पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडन की बात करते हैं. बाइडन के साथ हैं भारतीय और अफ्रीकी मूल की कमला हैरिस. प्राइमरी में कमला को काफ़ी सराहा गया और बाद में बाइडन ने उन्हें अपना ‘रनिंग मेट’ यानी उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बना लिया.

कमला, यूएसए की सीनेट मेम्बर हैं और कैलि‍फोर्निया से हैं. बेहद उम्दा वक़्ता हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी यह उम्मीद करती है कि इनके ज़रिये वह एफ़्रो अमेरिकन और भारतीय मूल के वोटरों को आकर्षित कर लेंगी. उनकी मां भारतीय थीं, पिता अफ्रीकी मूल के थे.

यूजीन ने बताया कि ‘कमला ने अपनी पिच ठीक ढंग से नहीं रखी. उन्होंने प्रोफ़ेशनल कैम्पेन मैनेजर की जगह पर अपनी बहन को यह अहम ज़िम्मेदारी सौंपी, और यह काफ़ी महंगा पड़ा. अमेरिकी चुनाव में कैम्पेन मैनेजर का चुनाव काफ़ी महत्त्वपूर्ण होता है और वे यहां पिछड़ गईं. डेमोक्रेटिक पार्टी में उनसे कई लोगों को उम्मीदें थीं. पर उनका दौड़ में रहना पार्टी के लिए अच्छा है.’

51 राज्यों से बना यूएसए भले ही अपना राष्ट्रपति चुन रहा हो, पर यहां चुनाव एक ही नियम-कानून से नहीं होता. हर राज्य के अपने नियम और कायदे हैं. कोई राज्य अपने यहां 14 दिन तक मतदान रख सकता है तो कोई महज़ एक दिन में ही मतदान सम्पन्न कर सकता है. मसलन, फ़्लोरिडा अपने यहां डाक वोटों की गिनती आधिकारिक गिनती से पहले ही शुरू कर देगा पर बाकी राज्यों में यह काम सामान्य वोटों की गिनती के साथ ही होगा, कैलि‍फोर्निया में वोटिंग वाले दिन अर्थात् नवम्बर 3, तक डिस्पैच किए डाक मत ही वैध माने जाएंगे. यहां के नियम उन्हें यह आज़ादी देते हैं. इस बार भी कई लोग अपने मताधिकार का प्रयोग डाक मत के ज़रिये करेंगे.

यूजीन की मानें तो मिशिगन, विस्कॉन्सिन और पेंसिल्वेनिया का चुनाव ही तय करेगा कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा. उन्होंने कहा, अगर डेमोक्रेटिक बहुल राज्यों में फिर से नीला परचम लहराया तो इस चुनाव का अन्तिम नतीजा भी यही रहेगा.

एक मंजे हुए पत्रकार से मिलकर लगा कि हमें आमतौर पर अमेरिकी चुनाव के बारे में कितनी काम जानकारी है.

(अविनाश कल्ला वरिष्ठ पत्रकार हैं. ‘अमेरिका 2020 : एक बँटा हुआ देश’ इनकी पहली किताब है जिसे राजकमल प्रकाशन के उपक्रम सार्थक ने छापा है)


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