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Monday, 16 December, 2024
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हमेशा बड़ी फिल्में चाहता था जिन्हें मेरे अम्मी और अब्बू जन्नत से देख सकें : शाहरुख खान

अभिनेता ने अगस्त में बातचीत की थी जब वे 77वें लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में पार्डो अला कैरियरा अवार्ड-लोकार्नो टूरिज्म प्राप्त करने के लिए स्विटजरलैंड में थे, ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय अभिनेता हैं. महोत्सव के आधिकारिक यूट्यूब पेज ने कल रात इंटरव्यू को शेयर किया.

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नई दिल्ली: अभिनेता शाहरुख खान के मुरीद हर उम्र के लोग हैं, लेकिन एक सितारा शाहरुख को बेहद अजीज़ है और वह उससे बेहद प्रभावित भी रहे हैं. यह कोई और नहीं उनकी दिवंगत मां हैं. खुद अभिनेता मानते हैं कि वे आज भी उन पर और उनकी फिल्मों पर ऊपर से नज़र रखती हैं.

उनकी फिल्मों में “चांद तारे” (“यस बॉस”) और “ये तारा वो तारा” (“स्वदेश”) जैसे प्रेरणादायक गाने शामिल रहे हैं. एक पॉडकास्ट में अभिनेता ने अफसोस के साथ कहा कि वे अपने माता-पिता – मीर ताज मोहम्मद खान और लतीफ फातिमा को अपना काम दिखाने से चूक गए क्योंकि शाहरुख खान के फिल्मों में आने से पहले ही उनका इंतकाल हो चुका था.

शाहरुख ने “लोकार्नो मीट्स” पॉडकास्ट पर कहा, “किसी कारण से, मुझे हमेशा लगता था कि मैं ऐसी फिल्में बनाऊंगा जो बहुत बड़ी हों, ताकि मेरे माता-पिता उन्हें स्वर्ग से देख सकें. मुझे अब भी लगता है कि मेरी मां एक सितारा हैं और यह काम करता है. मुझे लगता है कि मैं जानता भी हूं कि वे कौन सा सितारा हैं.”

अभिनेता ने अगस्त में बातचीत की थी जब वे 77वें लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में पार्डो अला कैरियरा अवार्ड-लोकार्नो टूरिज्म प्राप्त करने के लिए स्विटजरलैंड में थे, ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय अभिनेता हैं. महोत्सव के आधिकारिक यूट्यूब पेज ने कल रात इंटरव्यू को शेयर किया.

उनकी मां दिलीप कुमार की प्रशंसक थीं और यही कारण था कि उन्होंने संजय लीला भंसाली की फिल्म “देवदास” में काम किया. 2002 की यह फिल्म शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के 1917 के उपन्यास का स्क्रीन रूपांतरण थी. दिलीप कुमार ने 1955 में इसी नाम की फिल्म में यह किरदार निभाया था.

उन्होंने कहा, “तो मुझे लगा कि अगर मैं देवदास बनाऊंगा तो उन्हें यह वाकई पसंद आएगी. वे इसकी सराहना करेंगी. वरिष्ठ अभिनेताओं के कहने के बावजूद कि ‘ऐसा मत करो’, मैं बस इसे करना चाहता था. शायद अपनी मां को यह बताने के लिए कि ‘अरे मां, मैंने देवदास की है.’ मेरे लिए यह पहली बार था और साथ ही भंसाली के साथ भी काम करना था.”

शाहरुख आमतौर पर शराब नहीं पीते. उन्होंने कहा कि उन्होंने फिल्म में देवदास की भूमिका निभाने के बाद शराब पीना शुरू कर दिया था.

उन्होंने कहा, “इससे (शराब पीने से) शायद (किरदार के साथ) मदद मिली होगी, लेकिन मैंने फिल्म के बाद शराब पीना शुरू कर दिया और यही इसका एक नुकसान है. मैं नहीं चाहता था कि आप उसके (किरदार) प्रति प्यार महसूस करें, लेकिन मैं ये भी नहीं चाहता था कि आप उससे नफरत करें. न ही मैं चाहता था कि आप उसे एक शराबी के रूप में पसंद करें जो हर उस लड़की से दूर भागता है जिससे वे प्यार करता है. मैं बस चाहता था कि वो ऐसा हो जिसे परिभाषा के दायरे में न बांधा जा सके.”

शाहरुख (58) ने यह भी बताया कि जब बात उनके हास्य बोध की आती है तो उनकी टीम उनसे कहती है, ‘‘खुद पर काबू रखो.’’

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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