मुम्बई/नई दिल्ली: भव्य शादी समारोह, बड़े बड़े परिवारों के जमावड़े, कभी कभी ज़ोरदार थप्पड़, या शायराना लेकिन फूहड़ अंतरंग सीन्स- इन सब के बिना भारतीय दैनिक धारावाहिकों की कल्पना भी मुश्किल है.
लेकिन, 13 जुलाई को जब उनका प्रसारण फिर से शुरू होगा, तो टीवी शोज़ की यही वास्तविकता होगी, क्योंकि इंडस्ट्री, जो फिर से शूटिंग शुरू कर रही है, कोविड-19 प्रोटोकोल का सख़्ती से पालन कर रही है.
स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकोल (एसओपी) में अदाकारों के बीच स्थाई और स्पष्ट बैरियर, मेक-अप आर्टिस्टों के लिए पीपीई ओवरऑल्स, हर किसी के लिए फेस शील्ड्स व मास्क शामिल हैं. इसके अलावा शूटिंग की जगह का नियमित फ्यूमिगेशन होना चाहिए, वो हवादार होनी चाहिए और एक समय पर वहां सीमित संख्या में लोग होने चाहिएं.
महाराष्ट्र में ऊधव ठाकरे सरकार से परमीशन मिलने के बाद, स्टूडियोज़ लगभग 100 दिन के अंतराल के बाद काम पर लौट रहे हैं. इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, कि फिलहाल पूरे मुम्बई में 65 से अधिक शोज़ शूट किए जा रहे हैं.
वापसी करने वाले कुछ लोकप्रिय शोज़ हैं- बैरिस्टर बाबू (कलर्स), ये रिश्ता क्या कहलाता है (स्टार प्लस), कुमकुम भाग्य (ज़ी टीवी) और भाभीजी घर पर हैं (एंड टीवी). कलर्स टीवी ने पहले ही ख़तरों के खिलाड़ी और बैरिस्टर बाबू का प्रसारण शुरू कर दिया है.
लेकिन प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स का कहना है, कि सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की महंगी क़ीमत चुकानी पड़ रही है, जिसके लिए वो स्टाफ के कसे हुए शेड्यूल्स, मजदूरों की दरों में कमी, और काम के लंबे कैलेंडर्स गिनाते हैं.
कितना अलग दिखेगा टीवी
दिप्रिंट से बात करते हुए, इंडियन फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल के अध्यक्ष, जमनादास मजेठिया ने कहा कि दूसरी चीज़ों के अलावा, दर्शकों के चहेते शादियों के सीन्स भी, फिलहाल नज़र नहीं आएंगे.
‘नए एसओपी में साफ कहा गया है, कि सेट्स पर सीमित संख्या में लोग होंगे. इसलिए कोई भव्य शादियां, मौत के दृष्य, पार्टियों के सीन, गले लगने या छूने के सीन नहीं होंगे, जो पहले सभी शोज़ का एक अहम हिस्सा हुआ करते थे’.
इसके अलावा सोनी का इंडियन आइडल भी दर्शकों को, अपने ऑडिशंस के ख़ुशी भरे विज़ुअल्स नहीं दिखा पाएगा, जिनमें हिस्सा लेने के लिए लाखों की संख्या में अभिलाषी गायक, 24 घंटे लाइन में खड़े रहते थे, कि काश उन्हें पॉपुलर शो में जगह मिल जाए.
गायक और शो होस्ट आदित्य नारायण ने दिप्रिंट के बताया, कि ऑडिशंस अब रिमोट से किए जाएंगे, और सिर्फ 30 लोगों को इनमें हिस्सा लेने के लिए मुम्बई बुलाया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘ऑडिशन की प्रक्रिया में कुछ ख़ास है, जिसकी वजह से ये चाहे कितना भी थकाऊ हो, लेकिन प्रतियोगियों, जजों, और दर्शकों के लिए एक आनंददायक अनुभव होता है. ख़ासकर मैं तो उसे बहुत मिल करूंगा.’
लेकिन चीज़ों के हटने का मतलब ये नहीं है, कि टीवी शोज़ का प्रसारण बिल्कुल नीरस हो जाएगा. अनुपम सरोज, जिन्होंने नेकेड (एमएक्स प्लेयर) जैसे शो निर्देशित किए हैं, को विश्वास है कि इन बंदिशों से, शोज़ के निर्माताओं की क्रिएटिविटी को बढ़ावा मिलेगा.
उन्होंने कहा,’आउटडोर दृष्यों और भीड़ दिखाने वाले दृष्यों के लिए, निर्देशक अब वीएफएक्स और स्टॉक शॉट्स का बहुत सहारा लेंगे. लेयरिंग, कंपोज़िटिंग, और अगर निर्माताओं के पास बजट है, तो फिर थ्री-डी मैपिंग का इस्तेमाल बहुत बढ़ जाएगा”.
कसे हुए बजट, वेतन में कटौती
इंडियन फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल के मजेठिया ने दिप्रिंट को बताया, कि पिछले तीन महीने में टीवी इंडस्ट्री को, 400 करोड़ से ज़्यादा का नुक़सान हुआ है.
इंडस्ट्री का संघर्ष इसलिए और बढ़ गया है, कि स्टूडियोज़ को लगातार बहुत ऊंचे किराए अदा करने पड़ रहे हैं, चूंकि स्टूडियो मालिकों ने किराए छोड़ने से मना कर दिया है.
प्रोड्यूसर केवल सेठी ने बताया,’मैं एक स्टूडियों के लिए 7 लाख रुपए अदा कर रहा हूं, जिसके अंदर एक करोड़ की कीमत का सेट लगा है. हमारी अब स्टूडियो मालिकों से बात चल रही है, और हमने उनसे 50 प्रतिशत किराया माफ करने का अनुरोध किया है’.
टीवी सीरियल्स की शूटिंग फिर से चालू होने के साथ ही, वो प्रवासी लोग जो कार्पेंटर, मेसन, और सहायक का काम करते थे, और यूपी और बिहार में अपने पैतृक स्थानों को चले गए थे, अब लौट आए हैं. लेकिन अब वो घटे हुए वेतन पर काम करेंगे.
फेडरेशन फॉर वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉईज़ (एफडब्लूआईसीई) के अध्यक्ष, बीएन तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘वो अब 12 घंटे से अधिक काम कर रहे हैं, और उनके पेमेंट में 33 प्रतिशत की कटौती कर दी गई है. ये वो लोग हैं जिन्होंने सबसे ज़्यादा मुसीबत उठाई है, लॉकडाउन के दौरान भी, चूंकि वो सब दिहाड़ी मज़दूर हैं, और हर रोज़ 1,000 से 1,500 रुपए के बीच कमाते हैं’.
तिवारी ने कहा,’लॉकडाउन के दौरान हमने वर्कर्स के लिए कुछ पैसों का इंतज़ाम किया, और उनके खातों में 3,000 रुपए से 5,000 रुपए तक डलवाए. लेकिन मुम्बई जैसे शहर में, जहां रहन-सहन का ख़र्च बहुत ज़्यादा है, ये रक़म बहुत कम है’. उन्होंने ये भी कहा कि फेडरेशन प्रोड्यूसर्स से मांग कर रही है, कि प्रवासी मज़दूरों को दोगुना वेतन दिया जाए, जिससे उनकी मुसीबतें कम हो सकें.
नए एसओपी के अनुसार, प्रोडक्शन हाउसेज़ को वर्कर्स के रहने का बंदोबस्त सेट्स के क़रीब ही करना होगा, क्योंकि उनमें से अधिकांश मुम्बई की तंग चॉल्स में रहते हैं, जिनमें साझा टॉयलट्स होते हैं, जिससे उनके कोविड-19 के संपर्क में आने का ख़तरा रहता है. लेकिन तिवारी ने कहा कि बहुत कम ही इसका पालन कर रहे हैं.
नए एसओपी में सेट पर मौजूद रहने वाले लोगों की संख्या को भी, 50 तक सीमित कर दिया गया है. इनमें जूनियर कलाकार, डांसर्स, फाइटर्स और एक्सट्राज़ भी शामिल हैं, जो भीड़ का हिस्सा होते हैं. आमतौर पर, सेट पर 70-80 लोग रहते हैं. इस प्रतिबंध की वजह से जॉब भी कम हुए हैं.
तिवारी ने कहा,’सीरियल देखते समय, बहुत से लोगों को ये दिखाई नहीं देंगे, लेकिन ये शो का एक अहम हिस्सा होते हैं, और इनकी जीविका टीवी इंडस्ट्री पर निर्भर होती है’.
एसोसिएशन ने अब ये भी मांग की है, कि अगर कोई कोविड-19 से बीमार होता है, और उसे इलाज की ज़रूरत है, तो उसे 2 लाख रुपए दिए जाएं. मौत होने की सूरत में मरने वाले के परिवार को 25 लाख रुपए दिए जाएंगे.
तिवारी ने कहा,’ऐसा करना ज़रूरी था. काम करते हुए यदि उन्हें संक्रमण हो जाए, तो वर्कर कोविड-19 के इलाज का ख़र्च नहीं उठा सकता. इसलिए ये फैसला लिया गया, और सिंटा (सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन) के साथ एक समझौता किया गया, कि अगर इंडस्ट्री में कोई भी, चाहे वो आर्टिस्ट हो या वर्कर, कोविड-19 से मरता है, तो उसके परिवार को 25 लाख रुपए दिए जाएंगे’.
धीमी रफ्तार, लंबे घंटे
हालांकि शूटिंग पूरी रफ्तार से शुरू हो गई है, लेकिन फिर भी कलाकारों, निर्माताओं और निर्देशकों में घातक वायरस से संक्रमित होने का डर है, ख़ासकर फिल्म सिटी के अंदर से दो मामलों की ख़बर आने के बाद.
एक केस महानायक अंबेडकर (ज़ी 5) के सेट्स से था- जिसमें लीड के पिता का रोल कर रहे एक्टर को इनफेक्शन हो गया था- दूसरा मेरे साई (सोनी) के सेट्स से था.
सेट पर सीमित संख्या में लोग होने की वजह से, शूटिंग में अब ज़्यादा समय लग रहा है.
मजेठिया ने कहा, ‘एक आदमी, मसलन कोई लाइट बॉय, या स्पॉट बॉय, तीन लोगों का काम कर रहा है’.
क्षमता में इस कमी से आने वाले दिनों में, पांच-दिवसीय हफ्ते के शेड्यूल पर भी ख़तरा पैदा हो जाएगा. कश्मीर (2003) जैसा इनामी शो निर्देशित करने वाले डायरेक्टर, सुहेल तातारी ने दिप्रिंट को बताया,“लॉकडाउन से पहले शोज़ में दिन भर में, क़रीब 14-18 मिनट की फुटेज शूट की जाती थी. लेकिन मुझे फिलहाल ऐसा होता दिखाई नहीं देता, इसलिए या तो एपिसोड्स की लंबाई कम होगी, या हफ्ते में टेलीकास्ट होने वाले एपिसोड्स की संख्या घट जाएगी”.
लेकिन चैनलों और निर्देशकों का दावा है, कि शूटिंग भले ही धीमी चल रही हो, लेकिन वो रफ्तार पकड़ रहे हैं, और एडवांस में कंटेट का एक बैंक तैयार करके, वो लॉकडाउन से पहले के लेवल पर पहुंच जाएंगे.
नोएल स्मिथ, जिनके निर्देशन में बन रहे इश्क में मर जावां का, कलर्स टीवी पर प्रीमियर होने वाला है, का कहना था कि 2-3 दिन के शुरूआती संघर्ष के बाद, अब वो लोग पटरी पर आ गए हैं. उन्होंने कहा, “अब कोई बदलाव नहीं होगा, क्योंकि हमें हालात के हिसाब से ढलना है, और वायदे के मुताबिक़ डिलीवर करना है. दर्शक पुराने शेड्यूल और अवधि के हिसाब से ही अपने पसंदीदा शोज़ देख सकेंगे”.