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Thursday, 21 November, 2024
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‘सफेद बाल, टूटे दांत और झुर्रियां’, इंस्टा से लेकर मैगज़ीन के कवर तक राज, उम्र को पछाड़ बने स्टार

आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए जब आप किसी फैशन शो में जाएं और वहां किसी का सहारा लिए एक बुजुर्ग महिला मेकअप किए आपके सामने आ जाए..आप तब भी मत चौंकिएगा यदि इस महिला के दांत न हो लेकिन वो किसी टूथपेस्ट के विज्ञापन में दिख जाए.

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नई दिल्ली: जब आप एक मॉडल की कल्पना करते हैं तो आपके दिमाग में टिक-टॉक, टिक-टॉक करके हाई हील्स में एक सुंदर सी गाउन या फिर शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई स्लिम ट्रिम लड़की ही आती होगी. और अगर बात पुरुष मॉडल की करें तो वो भी बिलकुल लंबा चौड़ा, अच्छे कद वाला, सिक्स पैक्स के साथ रैंप पर स्टाइल से चलने वाला होना चाहिए.

लेकिन वक्त और बदलती सोच के साथ रैंप वॉक पर चलने वाले लोगों की जो एक छवि हमारे दिलो-दिमाग में बसी हुई थी अब वो भी बदल चुकी है. आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए तब जब आप किसी फैशन शो में जाएं और वहां किसी का सहारा लिए एक बुजुर्ग महिला मेकअप किए आपके सामने आ जाए..आप तब भी मत चौंकिएगा यदि इस महिला के दांत न हो लेकिन वो किसी टूथपेस्ट के विज्ञापन में दिख जाए. तो यहां ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की कहावत बिलकुल सटीक है.

सी कॉम डिजिटल कंपनी के फाउंडर और डायरेक्टर चंदन बागवे कहते हैं, “बुजुर्गों के तजुर्बे और उनके ज्ञान के कारण हमारा हमेशा से ही उनपर एक अलग तरह का भरोसा होता है, और जब उन्हें किसी विज्ञापन या फिर ब्रांड में यूज़ किया जाता है तो लोगों का विश्वास उस चीज़ का या ब्रांड के प्रति थोड़ा ज्यादा बढ़ जाता है. और जब ये लोग कुछ अलग और नया करते है तो वो चीज़ हमें जल्दी प्रेरित करता है.”

हाल ही में केरल के 60 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर मम्मिका का ट्रांसफॉर्मेशन वायरल वीडियो तो आपको याद ही होगा. किस तरह रातों-रात एक मज़दूर मॉडल बन गया और अब वो लुंगी या फिर कमीज की जगह ब्लेजर और उसके साथ मैचिंग पैंट में नज़र आने लगा. उनके हाथों में अब सब्जी की थैली नहीं लैपटॉप या फिर आई मैक होता है.

केवल कुछ ही सेकेंड का मम्मिका का ये ट्रांसफॉर्मेशन विडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल और शेयर किया गया. इसे 40 हजार से अधिर लाइक्स मिले हैं. केरल के कोझिकोड जिले के रहने वाले 60 वर्षीय मम्मिका जिस दिन फोटोग्राफर शारिक वायलिल के नज़र में आए मानों उसी दिन से उनके दिन बदल गए. शारिक ने उनकी तस्वीर ली और उसे अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर दिया. फोटो के वायरल होने के बाद, शारिक ने उन्हें एक मेकओवर दिया और उन्हें अपने वेडिंग सूट कंपनी के मॉडल के रूप में पोज़ करवाया.

बागवे ने आगे बताया कि “आज के समय में सबको हमेशा कुछ नया और अलग देखना होता है और वही उन्हें आकर्षित करता है. ऐसे में अगर हमारे सीनियर सिटीजन कुछ अलग और नया करते हैं, तो वो लोगों को बहुत ही आकर्षक लगता है और उन्हें लंबे समय तक वो चीज़ याद भी रहती हैं.”

60 साल के बूढ़े या फिर 60 साल के जवान

मजेदार बात ये है कि एड कंपनियां इन बुजुर्ग मॉडल पर भी खूब एक्सपेरीमेंट कर रही है. ऐसा नहीं है कि ये बुजुर्ग कोई सेलीब्रिटी हैं या फिर कई फिल्मों और टीवी सीरियल्स में काम कर चुके हैं. कई बार तो ऐसे बुजुर्ग आपके सामने आते हैं जो बिलकुल फ्रेश फेस होते हैं. और ये 60 साल के बूढ़े या फिर 60 साल के जवान वाले विज्ञापन नहीं करते जिसके घुटने में दर्द है या फिर कमर दर्द..या खांस-खास कर पूरा घर सिर पर उठा रखा है…फिर आवाज आती है जोड़ों का दर्द है तो आप ये तेल लगाइए..वहां बुजुर्ग के रूप में मशहूर लिरिसिस्ट जावेद अख्तर नजर आते हैं. लेकिन आज जहां की हम बात कर रहे हैं वहां का हीरो तो कोई भी अनजान चेहरा होता है.

दिप्रिंट से बातचीत में बागवे ने आगे बताया कि बुजुर्गों को एड में प्रयोग करने का ये चलन इसलिए भी बड़ा है क्योंकि वो जब भी कुछ कहते या फिर करते है तो एक खास तरह की विश्वसनीयता उस चीज़ के साथ जुड़ जाती है.

अब फेविकोल कॉल के विज्ञापन में आने वाली कबाड़ीवाली को ही लीजिए. उसने किसका ध्यान नहीं खींचा होगा. आपका मूड कितना ही ख़राब क्यों न हो इस कबाड़ी वाली ने ‘और मैंने चिपका लिया‘ वाले इस डायलॉग से आपको एक बार मुस्कुराने पर मजबूर कर ही दिया होगा.

कानो में झुमके, हील, चश्मा पहने और एक पर्स लटकाए उनके इस फंकी लुक और इस एड ने खूब चर्चा बटोरी थी. जहां लड़की के फ़ोन टूटने पर वो कहती है, “ओ यस”.

ऐसा पहली बार या फिर अचानक नहीं है कि बुजुर्ग लोग मॉडलिंग करते हुए या फिर टीवी एड में नज़र आ रहे हैं. मानों टीवी इंडस्ट्री में बाकि चीज़ो की तरह इनका भी ट्रेंड आता है और फिर कुछ समय के लिए खो जाता है, जबतक की दोबारा किसी नए चेहरे या फिर वायरल वीडियो से इनका कमबैक न हो.

वैसे तो विज्ञापन कंपनियां इस बहाने आपको सोचने का मौका भी देती हैं और घर में बुजुर्गों की क्या और कितनी जरूरत है इसका संदेश भी देती हैं.


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‘उम्र में क्या रखा है’

“उम्र में क्या रखा है, किसी भी काम को करने का जज्बा होना चाहिए. मेरी उम्र 60 साल से ज्यादा है और मैं एक एक्टर एवं माॅडल हूं.” चंडीगढ़ में एक सरकारी अफसर रह चुके दिनेश मोहन ने अपनी जिंदगी को दोबारा जीना 60 साल की बाद ही शुरू किया है. समय से पहले रिटायर हुए दिनेश कई साल तक डिप्रेशन में रहे. घर पर रहने के कारण उनका वजन इतना बढ़ गया था कि एक समय के बाद वो खुद उठ कर खड़े भी नहीं हो पाते थे.

बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में दिनेश बताते हैं कि डेढ़ साल तक किसी और के सहारे के साथ चलने से लेकर रैंप पर चलने का सफर बहुत ही अलग रहा और ये बहुत लोगो को प्रेरित करेगा. दिनेश की वजन घटाने से पहले और बाद की ‘बिफोर-आफ्टर’ स्टोरी भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई हैं.

दिनेश मोहन | फोटो: सोशल मीडिया dinesh.mohan.58

इंस्टाग्राम पर 316K फॉलोवर्स के साथ मोहन की ये स्टोरी काफी वायरल हुई और लोगो को प्रेरित भी किया. दिनेश बताते हैं कि “वजन कम करने के बाद मेरे दोस्त मुझे देखकर हैरान रह गए थे. जिसके बाद मेरे दोस्तों ने ही एजेंसी को फोटो भेजा और एक दो जगह फोटो वायरल होने के बाद मुझे मॉडलिंग के लिए बहुत कॉल भी आने लगीं.”

वह कहते हैं, “मेरी सोच में जवान, बच्चा, बूढ़ा जैसे शब्द नहीं हैं. मैंने जो भी किया है इस उम्र में आकर किया और कमाया है और मुझे अपनी उम्र पर गर्व है.”

झुर्रियों और सफेद बालों वाली मॉडल

टीवी, फिल्म या फिर मॉडलिंग की दुनिया में ऐसा अक्सर ही देखा गया है कि कई बार लोग सालों साल काम करने के बाद भी वो मकाम हासिल नहीं कर पाते हैं जो वो अपने बुढ़ापे में आकर कमा लेते हैं.

क्या आप झुर्रियों और सफेद बाल वाली एक महिला को मॉडलिंग करते हुए और मैगज़ीन कवर पर देखना पसंद करेंगे! अगर आपका जवाब नहीं होने वाला है तो पहले आपको 61 वर्षीय बिकिनी मॉडल यजेमीना रॉसी की ये तस्वीरें देख लेनी चाहिए.

रॉसी दो बच्चों की दादी हैं और उन्हें अपने नेचुरल सफेद बाल पसंद है, उन्हें अपनी झुर्रियां दिखाने में भी कोई शर्म नहीं. 60 साल की उम्र में फिर से मॉडलिंग करियर में वापस आने वाली याजेमीना ने वैसे ही मॉडलिंग करना पसंद किया जैसी अब वो दिखती हैं. ‘फिर से’ से हमारा मतलब ये हैं कि रॉसी की मॉडलिंग करियर की शुरुआत उन्होंने 28 साल की उम्र में ही कर दी थी. लेकिन एक उम्र के बाद उन्हें मॉडलिंग से दूरी बनानी पड़ी.

लेकिन इस बार 60 साल की उम्र में जब उन्होंने अपने नेचुरल अबतार में कमबैक किया तो सब उनकी फिटनेस और खूबसूरती को देखते ही रह गए. रॉसी कई जानी मानी मैगज़ीन की कवर फेस रह चुकी हैं और वो अपने इसी अंदाज में सफेद बालों के साथ ही मॉडलिंग एवं फोटोशूट करती हैं.

अपने एक यूट्यूब में यजेमीना कहती हैं कि “मेरे लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती और मैं 2045 तक जीना चाहती हूं.”


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ऐज इज़ जस्ट अ नंबर

क्या कोलगेट टूथपेस्ट की एड में ऐसे किसी व्यक्ति का कोई काम है, जिसके दांत ही नहीं हैं. एड का नाम भी है “टूथलेस ग्रेनी” लेकिन अगर आप कोलगेट का नया विज्ञापन देखेंगे तो उसकी लाइमलाइट एक ऐसी दादी है जिसके दांत ही नहीं है. और ये विज्ञापन देख कर आप शायद एक पल के लिए मुस्कुरा भी दें कि विज्ञापन बनाने वाले ने क्या ही दिमाग लगाया है..बिना दांत वाली से टूथपेस्ट का विज्ञापन? अपने दांत न होते हुए भी दादी कोलगेट का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कैसे कर रहीं हैं.

क्रोम पिक्चर्स द्वारा निर्मित इस विज्ञापन के बारे में उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए हमने उन्हें कई मेल एवं कॉल किए, लेकिन लेख के छपने तक उनका कोई जवाब नहीं आया. प्रतिक्रिया मिलने पर लेख को अपडेट किया जाएगा.

ऐसे ही बहुत सारे विज्ञापन फिल्म या फिर टीवी सीरियल हैं जिनमें लीड एक्टर्स के साथ साथ एक बुजुर्ग किरदार बहुत ही मशहूर होता हैं या फिर कई बार सारे लाइमलाइट ही वही ले जाते हैं. टीवी सीरियल ‘बालिका वधु’ में दादीसा का किरदार निभाने वाली सुरेखा सिकरी को आज भी लोग दादीसा के नाम से ही जानते हैं.

ऐसे में अगर ये कहे की इन सीनियर एक्टर्स और मॉडल्स की उम्र से ज्यादा इनका काम बोलता हैं तो गलत नहीं होगा. इनके लिए तो ये कहना बनता है कि ऐज इज़ जस्ट अ नंबर.

दिप्रिंट से बातचीत में चंदन ने आगे बताया कि एड में किरदार हमेशा कहानी और प्रोडक्ट के हिसाब से चुने जाते है, लेकिन अगर उसका किरदार कोई सीनियर ऐज ग्रुप से हो और वह एक कॉमिक अवतार में नज़र आए तो यह उस एड के प्रभाव को थोड़ा और बड़ा देता है.

सिर्फ दो चम्मच

अब आपको एक और एड और उसके प्रमुख फेस यानि एक बुर्जुग के बारे में याद दिलाते है… आपको फॉर्चून तेल का वो ‘घर का खाना’ वाला एड तो याद ही होगा…अरे वही वाला, याद नहीं आया क्या! इस एड में एक बुजुर्ग महिला हर रोज अस्पताल अपने बेटे से मिलने आती है और साथ में घर का बना हुआ दाल लाती है, जिसे वो अपने बेटे को पिलाना चाहती है. दादी हर रोज हाथ में खाने का डिब्बा लेकर आती है और नर्स से कहती हैं ‘सिर्फ दो चम्मच’, लेकिन हर बार नर्स दादी को मना कर देती है.

आखिर में जब दादी अपने बेटे के जन्मदिन पर नर्स को अपने हाथ का बना हुआ खाना खिलाती है, तो नर्स उनके हाथ का घर का बना हुआ खाना खाकर भावुक होकर उन्हें अपने बेटे को दाल खिलाने की इजाज़त दे देती है.

आपने अक्सर ही चाय के विज्ञापन में देखा होगा की एक खूबसूरत सी लड़की किस तरह चाय पीकर तरो-ताज़ा हो जाती है या फिर उसका दिमाग तेज़ी से काम करने लगता है. लेकिन हाल में ब्रुक बॉन्ड रेड लेबल चाय का एक एड आया जिसमें कोई खूबसूरत स्लिम-ट्रिम लड़की नहीं बल्कि एक बुजुर्ग महिला है जो अस्पताल में केवल उन लोगो के साथ चाय पीने आती हैं जो अकेले है.

चंदन बागवे कहते हैं, “अगर हमें लोगों के नज़रिए में किसी भी तरह का थोड़ा बदलाव लाना होता है तो इसमें सीनियर ऐज ग्रुप के लोग मददगार होते है. वो जब भी कोई फनी या फिर सीरियस केरैक्टर में कुछ करते हैं तो वह लोगों को लंबे समय तक याद रहता हैं.”


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