नई दिल्ली: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2023-2024 में जनजातीय मामलों के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. यह पिछले साल घोषित राशि से कम से कम पांच गुना अधिक है.
नौ राज्यों में चुनाव और अगले साल आम चुनाव से पहले मोदी सरकार आखिरी पूर्ण बजट है. अमृत काल में भी यह पहला बजट है. आज की गई योजनाओं और घोषणाओं के साथ, बजट का फोकस उत्तर पूर्व के राज्यों सहित सभी राज्यों की जनजातीय आबादी पर रहा.
आदिवासी आबादी इस साल राजनीतिक दलों के लिए एक प्रमुख वोट-बैंक है, नौ राज्यों – कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव होने हैं.
इनमें से दो राज्यों, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा में 30 प्रतिशत से अधिक आदिवासी आबादी (अनुसूचित जनजाति) है, जबकि तीन, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में 85 प्रतिशत से अधिक आबादी आदिवासी है.
2023-2024 का केंद्रीय बजट, जो कि 2024 के निर्धारित आम चुनावों से पहले, केंद्र में वर्तमान भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए अंतिम पूर्ण बजट होगा, व्यापक रूप से आदिवासियों के लिए रियायतों और योजनाओं की उम्मीद हैं.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि ‘विशेष जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए, बुनियादी सुविधाओं के साथ पीबीटीजी बस्तियों को संतृप्त करने के लिए, पीएमपीवीटीजी (प्रधानमंत्री विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) विकास मिशन शुरू किया जाएगा. अगले 3 वर्षों में योजना को लागू करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे.’
कुछ चुनावी राज्यों में भाजपा का पहले से ही बहुत कुछ दांव पर लगा है. उदाहरण के लिए, उसे मध्य प्रदेश को बनाए रखने की जरूरत है, जहां आदिवासी कुल आबादी का 20 प्रतिशत से अधिक हैं, और त्रिपुरा, यहां भी आदिवासी प्रमुख मतदाता हैं. जनवरी में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विधानसभा चुनाव जीतने की जरूरत पर जोर दिया था.
पार्टी को छत्तीसगढ़ में भी जीत की ज़रूरत है, जो वर्तमान में कांग्रेस के शासन में है. राज्य की आदिवासी आबादी ने पिछले चुनाव में कांग्रेस को वोट दिया है.
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आदिवासी तक पहुंच
बीजेपी ने जनजातीय समुदाओं तक अपनी पहुंच बनाये रखने के लिए पिछले कुछ वर्षों में एसटी समुदाय के पक्ष में योजनाओं की घोषणा की है.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आदिवासी समाज और समग्र रूप से जनसंख्या के उत्थान के लिए कई उपायों और योजनाओं की घोषणा की. जनजातीय विकास योजना के लिए 15,000 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज स्वास्थ्य, स्वच्छ जल, स्वच्छता, शिक्षा, बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में कमजोर जनजातियों को सहायता प्रदान करेगा और उन्हें स्थायी आजीविका के अवसरों के साथ सशक्त भी करेगा.
पैकेज के अलावा, वित्तमंत्री ने देशभर के आदिवासी छात्रों के लिए मौजूदा 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए 38800 शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती की भी घोषणा की है. वर्तमान में इन स्कूलों के तहत लगभग 3.5 लाख आदिवासी छात्र नामांकित हैं. उन्होंने कारीगरों के लिए भी एक योजना की घोषणा की, पीएम विश्वकर्मा कौशल विकास योजना, कारीगरों के लिए एक विशेष सहायता पैकेज है. इससे उन्हें अपनी क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी. वित्त मंत्री ने कहा कि इससे मुख्य रूप से एससी, एसटी, ओबीसी समुदायों और कमजोर वर्गों से आने वाले कारीगरों को मदद मिलेगी.
पिछले केंद्रीय बजट में, आदिवासियों के लिए राज्यों में केंद्र द्वारा संचालित 16 योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए 2945.53 करोड़ रुपये की घोषणा की गई थी.
इस राशि में से 2,000 करोड़ रुपये एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए आवंटित किए गए थे, उन आदिवासी छात्रों के लिए जो उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं.
मोदी सरकार के पहली बार सत्ता में आने पर केंद्र ने 2014 में संघ स्तर पर वनबंधु कल्याण योजना भी शुरू की थी. यह योजना पहली बार 2007 में गुजरात में मोदी द्वारा शुरू की गई थी जब वह मुख्यमंत्री थे.
योजना के तहत, जिसका उद्देश्य उपलब्ध संसाधनों को एसटी के समग्र विकास में बदलना है, राज्य सरकारों को उनके वित्तीय बोझ को कम करने और आदिवासी बच्चों को शिक्षा तक बेहतर पहुंच प्रदान करने के लिए विकल्पों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
आदिवासी आबादी के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र ने बजट 2022-2023 में अनुसूचित जनजातियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड की घोषणा की. एक सामाजिक क्षेत्र की पहल के रूप में, योजना का उद्देश्य एसटी के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देना है, जो इनोवेशन और विकास प्रौद्योगिकियों की ओर उन्मुख हैं.
इस योजना का उद्देश्य एसटी उद्यमियों द्वारा नए ऊष्मायन विचारों और स्टार्ट-अप विचारों को सहायता प्रदान करना है. यह आगे ऐसे उद्यमियों को रियायती वित्त प्रदान करता है जो समाज के लिए धन और मूल्य पैदा करेंगे और साथ ही लाभदायक व्यवसायों को बढ़ावा देंगे.
इस योजना का उद्देश्य एसटी उद्यमियों को नए इनोवेटिव और स्टार्ट-अप विचारों को सहायता प्रदान करना है. यह आगे ऐसे उद्यमियों को रियायती वित्त उपलब्ध कराएगा जो समाज संपन्नता और मूल्य पैदा करेंगे और साथ ही लाभदायक व्यवसायों को बढ़ावा देंगे.
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(संपादन: अलमिना खातून)
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