नई दिल्ली : आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज़ से मंगलवार को सामने आया है कि भारत में श्रम बाजार पूर्व-कोविड स्तरों से आगे निकल गया है, बेरोजगारी दर 2020-21 के तीन वित्तीय वर्षों के दौरान गिरी है.
इसमें कहा गया है, ‘शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में श्रम बाजार पूर्व-कोविड स्तरों से आगे निकल गया है, बेरोजगारी दर 2018-19 में 5.8 प्रतिशत से गिरकर 2020-21 में 4.2 प्रतिशत हो गई है.’
सर्वेक्षण दस्तावेज में कहा गया है कि जहां महामारी ने श्रम बाजार और रोजगार अनुपात दोनों को प्रभावित किया; हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में निरंतर प्रयासों और महामारी के बाद त्वरित कदमों और टीकाकरण से मदद मिली है.
सरकार ने सर्वेक्षण पेश किए जाने के बाद एक विज्ञप्ति में कहा, ‘समय के साथ, 100 से अधिक वर्कर्स को रोजगार देने वाले बड़े कारखानों की ओर एक साफ रुझान दिख रहा है, वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 20 तक उनकी संख्या में 12.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.’
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट सत्र के पहले दिन संसद में 2022-23 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया.
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की देखरेख में तैयार आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज़ में चालू वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में अर्थव्यवस्था की स्थिति और विभिन्न संकेतकों और अगले वर्ष के लिए दृष्टिकोण के बारे में जानकारी दी गई है.
आर्थिक सर्वेक्षण ने अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 में वास्तविक रूप से 6.5 प्रतिशत की बेसलाइन जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘वैश्विक स्तर पर आर्थिक और राजनीतिक विकास के आधार पर, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का परिणाम संभवत: 6.0 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच रहेगा.’
बजट 2023, जिसे बुधवार को पेश किया जाना है, 2024 के अप्रैल-मई में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव के साथ अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होने की संभावना है.
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