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Thursday, 21 November, 2024
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भारतीय दवाइयों को खरीदने के लिए विश्व की तुलना में 70 फीसदी कम भुगतान करते हैं : अध्ययन

एक अध्ययन ने दुनिया भर में दवाइयों की कीमतों की तुलना की और पाया कि केवल थाईलैंड, केन्या, मलेशिया और इंडोनेशिया भारत की तुलना में सस्ते हैं.

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नई दिल्ली : एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारतीयों को दवा खरीदने के लिए दुनिया के बाकी हिस्सों से 70 फीसदी कम भुगतान करना पड़ता है. लंदन और बर्लिन स्थित डिजिटल हेल्थकेयर प्रदाता मेडबेले के अनुसार भारत दवाओं के मामले में दुनिया के पांच सबसे सस्ते देशों में शामिल है, जिसकी कीमतें वैश्विक स्तर पर औसत से 73.82 प्रतिशत कम हैं.

ब्रांड और जेनेरिक दवाओं दोनों के लिए वैश्विक स्तर की तुलना में 93 प्रतिशत कम कीमतों के साथ थाईलैंड शीर्ष पर है, इसके बाद केन्या, मलेशिया और इंडोनेशिया शामिल हैं.

कार्यप्रणाली

यह अध्ययन 50 देशों के एक तुलनात्मक सूचकांक पर आधारित है, जो दुनिया की कुछ सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं जैसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन ड्रग वियाग्रा, उच्च कोलेस्ट्रॉल ड्रग लिपिटर, सामान्य एंटीबायोटिक ज़ीथ्रोमैक्स और इंसुलिन लैंटस के लिए लागत के अंतर का खुलासा करता है.

मेडबेले ने 13 प्रचलित औषधीय यौगिकों का चयन किया और विभिन्न देशों में दवाइयों की कीमतों के आधार पर तुलना की.


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स्टार्ट-अप ने कहा, ‘दवाइयां जिनकी तुलना की जाती है, उनमें कई सामान्य स्थितियों में होती हैं जैसे हृदय रोग और अस्थमा से चिंता विकारों और स्तंभन दोष के लिए दवाइयां.

चित्रण : सोहम सेन/ दिप्रिंट

सर्वेक्षण ने दोनों ब्रांड कंपाउंड और इसके जेनेरिक संस्करणों की औसत कीमतों का इस्तेमाल किया और कीमत की तुलना करने के लिए खुराक के आकार को सामान्य किया.

उदाहरण के लिए भारत में, वियाग्रा को एक कीमत पर बेचा जाता है, जो कि विश्व स्तर से 41 प्रतिशत कम है, जबकि लिपिटर 85 प्रतिशत सस्ता है. एंटीबायोटिक एज़िथ्रोमाइसिन और इसका ब्रांडेड संस्करण जीथ्रोमैक्स 89 प्रतिशत सस्ता है, जबकि इंसुलिन ग्लार्गिन (लैंटस ब्रांड) 88 प्रतिशत सस्ती है.

भारत सबसे सस्ता होना चाहिए

फार्मा उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को आदर्श रूप से सबसे सस्ती दवाओं वाला देश होना चाहिए.

एक फार्मा विशेषज्ञ ने दिप्रिंट को बताया, हालांकि अध्ययन ने कुछ मॉलिक्यूल्स को चुना है, इसलिए यह एक समग्र चित्र नहीं है. इसके अलावा, उसने पेटेंट दवाओं को भी चुना है, जो कि केन्या जैसे कम से कम विकसित देशों में मुफ्त में वितरित की जाती है, जो कि भारत की तुलना में उनकी औसत कीमतों को कम करती है.


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फार्मा विशेषज्ञ ने कहा, इसके अलावा थाईलैंड और मलेशिया में इन पेटेंट दवाओं की पहुंच अनिवार्य लाइसेंसिंग प्रावधान के माध्यम से अधिक है, इसलिए कुछ पसंदीदा दवाओं ने भारत को पांचवें स्थान पर धकेल दिया है. अन्यथा भारत विश्व में सबसे सस्ती दवाएं बेचता है.

सबसे महंगे देश

अमेरिकी दवाओं के लिए सबसे अधिक भुगतान करते हैं – वैश्विक स्तर की तुलना में लगभग 300 प्रतिशत अधिक. वियाग्रा की लागत अमेरिका में लगभग 76 डॉलर है, जबकि भारतीय 6 डॉलर का भुगतान करते हैं. आयरलैंड वियाग्रा के लिए सबसे कम राशि का भुगतान करता है, जहां पर कीमत लगभग 0.55 डॉलर है.

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चित्रण : सोहम सेन/ दिप्रिंट

ज़िथ्रोमैक्स के लिए यूएस को 16 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है, वहीं भारत को दवा की सबसे कम कीमत 0.28 डॉलर का भुगतान करना होता है.

वहीं, जर्मनी (बाकी दुनिया के मुकाबले 125 फीसदी अधिक), यूएई (122 फीसदी), इटली (90 फीसदी) और डेनमार्क (80 फीसदी) के साथ दुनिया के दूसरे सबसे महंगे देश हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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