उच्चतम न्यायालय सबरीमाला की समीक्षा याचिकाओं पर नौ महीनों तक बैठी रही और फिर सीजेआई गोगोई की विदाई से पहले के कार्यदिवस पर मामले को एक बड़ी बेंच के पास भेज दिया. यह कीमती समय की बर्बादी है. सीजेआई को अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में बड़े निर्णय देने की इस आत्ममुग्धता को समाप्त करना चाहिए.