नई दिल्ली : अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसला सुनाने के लिये प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई में सभी पांच न्यायाधीश न्यायधीशों ने फैसला सुनाया. न्यायालय ने निर्मोही अखाड़े की समूची विवादित जमीन पर दावे की याचिका को खारिज की. विवादित 2.77 एकड़ जमीन का कब्जा केंद्र सरकार के रिसीवर के पास बना रहेगा. सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिये किसी मुनासिब जगह पर पांच एकड़ जमीन दी जाए. केंद्र और उप्र सरकार साथ मिलकर प्राधिकार की आगे की कार्रवाई की निगरानी कर सकती हैं.
केंद्र न्यास स्थापित करने में निर्मोही अखाड़े को भी किसी तरह का प्रतिनिधित्व देने पर विचार करे केंद्र न्यास स्थापित करने में निर्मोही अखाड़े को भी किसी तरह का प्रतिनिधित्व देने पर विचार करे.
न्यायालय ने सर्वसम्मति से शिया वक्फ बोर्ड की अपील खारिज की. शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे को लेकर था, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया. न्यायालय ने कहा कि राजस्व रिकार्ड के अनुसार विवादित भूमि सरकारी है.
न्यायालय ने कहा कि निर्मोही अखाड़े की याचिका कानूनी समय सीमा के दायरे में नहीं, न ही वह रखरखाव या राम लला के उपासक. न्यायालय ने कहा, राम जन्मभूमि एक न्याय सम्मत व्यक्ति नहीं. न्यायालय ने विवादित स्थल पर पुरातात्विक साक्ष्यों को महत्व दिया. बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी. बुनियादी संरचना इस्लामिक ढांचा नहीं थी एएसआई ने इस तथ्य को स्थापित किया कि गिराए गए ढांचे के नीचे मंदिर था एएसआई यह नहीं बता पाया कि क्या मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी.
हिंदू इस स्थान को भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं, यहां तक कि मुसलमान भी विवादित स्थल के बारे में यही कहते हैं.
स्थल पर 1856-57 में लोहे की रेलिंग लगाई गई थी जो यह संकेत देते हैं कि हिंदू यहां पूजा करते रहे हैं. उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या विवाद मामले में अपना पक्ष स्थापित करने में विफल रहा.
हिंदू ये स्थापित करने में सफल रहे कि बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था. बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ था. न्यायालय ने मुसलमानों को नयी मस्जिद बनाने के लिये वैकल्पिक जमीन आवंटिक करने का निर्देश दिया.
मुसलमानों को नयी मस्जिद बनाने के लिये वैकल्पिक जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने केंद्र को मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने में योजना तैयार करने और न्यास बनाने का निर्देश दिया.