लखनऊ/अयोध्या: अयोध्या के ऐतिहासिक रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है. ऐसे में सबकी निगाहें अब अयोध्या पर हैं. इस अहम फैसले के लिए अयोध्या तैयार है. वहीं यूपी पुलिस प्रशासन भी चौकन्ना है. सुरक्षा के मद्देनजर योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में सभी स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों और प्रशिक्षण केंद्रों को आज से सोमवार तक बंद करने का आदेश दिया है.
अयोध्या पुलिस के आईजी रेंज डॉ. एस गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए सुरक्षा के ‘पुख्ता इंतजाम’ कर लिए गए हैं किसी को भी ‘डरने’ की जरूरत नहीं है. बता दें कि यूपी के कई संवेदनशील जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद की जा सकती हैं.
वहीं यूपी के सभी जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है.अयोध्या को लेकर आ रहे फैसले को लेकर कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए रेलवे प्रशासन ने भी अलर्ट घोषित कर दिया है. साथ ही आरपीएफ जवानों के अवकाश निरस्त कर दिए हैं. वहीं, शनिवार को रोडवेज बसें अयोध्या में प्रवेश नहीं कर पाएंगी.
पक्षकारों ने की शांति की अपील
बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू-मुस्लिम ‘विवाद’ का अंत हो जाएगा. इसके साथ ही अंसारी ने अदालत के हर फैसले को अमन-चैन के साथ मानने की बात कही है. निर्मोही अखाड़े के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत सीताराम दास ने लोगों से ‘अपील’ की है कि सभी कोर्ट के फैसले का सम्मान करें. उन्होंने कहा, हम सभी को देश के संविधान और न्याय व्यवस्था पर भरोसा करना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आए उसका सम्मान करना चाहिए.
वाॅर रूम तैयार
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले सोशल मीडिया पर बढ़ी सरगर्मियों पर नजर रखने के लिए यूपी पुलिस का ‘वॉररूम’ तैयार हो गया है.भड़काऊ व आपत्तिजनक वायरल पोस्टों पर कार्रवाई के लिए पुलिस ने कमर कस ली है. डीजीपी मुख्यालय स्तर से सभी जिलों में गठित सोशल मीडिया सेल के अधिकारियों को एडवाइजरी जारी की गई है.
अयोध्यावासियों का इंतजार खत्म
इस फैसले से पहले अयोध्या के माहौल को लेकर जो कयास लगाए जा रहे हैं अयोध्या उससे काफी अलग है. इसे कुछ ऐसे समझिए- अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के पास चाइनीज मोबाइल कंपनी का स्टोर है. इस स्टोर में दो साथी काम करते हैं. एक का नाम है- हर्ष श्रीवास्तव और दूसरे का नाम सरफराज अली. सरफराज का घर अयोध्या में ही है तो हर्ष पिछले 6 साल से यहां रह रहे हैं. दोनों के बीच 4 साल से दोस्ती है. दोनों 1992 के बाद पैदा हुए हैं लेकिन इस मुद्दे से पूरी तरह वाकिफ हैं. हर्ष मंदिर के पक्ष में हैं तो सरफराज मस्जिद को लेकिन दोनों फैसले के बाद भी मिलजुलकर साथ में ही काम करने पर यकीन रखते हैं.दोनों का वादा है जो भी फैसला होगा मंजूर होगा.
इसी तरह विवादासपद स्थल के पास रहने वाले घनश्याम यादव और इश्तियाक अहमद का कहना है. घनश्याम भाजपा से जुड़े है. मंदिर आंदोलन के वक्त भी सक्रीय थे वहीं 78 साल के इश्तियाक बचपन से यहां रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए सांप्रदायिक हिंसा में उनके कई रिश्तेदारों के मकान फूंक दिए गए लेकिन वह अमन चैन चाहते हैं. वह कहते हैं कि मंदिर से भी कोई गुरेज़ नहीं लेकिन ये मुद्दा खत्म हो. उनका आधा जीवन इसी तनाव को देखते हुए बीत गया.
इसी तरह ऐसे तमाम अयोध्यावासी हैं जो इस मुद्दे पर जल्द से जल्द फैसला चाहते हैं. श्रंगार हाट के पास भगवान की तस्वीरों की दुकान लगाने वाले महबूब अली भी चाहते हैं कि फैसला जल्द आए. वह कहते हैं कि मंदिर बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और उनकी बनाई तस्वीरों की बिक्री भी काफी होगी और अयोध्या का विकास होगा. वह बताते हैं कि यहां लोग मिल-जुलकर रहते हैं. हमें तो पता भी नहीं था कि यहां 144 लगी है, हमारे ससुराल वालों ने फोन करके हमें बताया. कोर्ट का फैसला जल्द आए. इस फैसले को जल्दी से जल्दी निपटा दिया जाना चाहिए.इससे हमारी रोजी-रोटी पर फर्क पड़ता है.
अब ‘विकास’ होने की उम्मीद
विकास की बात यहां के युवा भी कहते हैं, अच्छे स्कूल व कोचिंग अयोध्या में नहीं हैं जिस कारण उन्हें बाहर पढ़ने जाना पड़ता है. बारहवीं में पढ़ने वाले सूरज पांडे का कहना है कि इस मामले में जल्द फैसला आए ताकि सरकारों का ध्यान दूसरे मुद्दों पर भी केंद्रित हो. वह चाहते हैं अयोध्या में नए ‘रोजगार’ के माध्यम पैदा हों.
अयोध्यावासी इस मामले के जल्द निपटने के इंतजार में हैं ताकि उन्हें एक ‘न्यू अयोध्या’ मिल सके जो अब तक केवल राजनीति के चक्रव्यू में ही फंसता रहा. इस पर सियासी रोटियां सेंकने वाले नेता कहां से कहां पहुंच गए लेकिन अयोध्या महज़ पाॅलिटिकल टूल बनकर रह गया. अब इस अयोध्या को नई सुबह का इंतजार है.