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Friday, 22 November, 2024
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बुलंदशहर हिंसा में भीड़ का हिस्सा रहे मृतक सुमित की लगाई गई मूर्ति, परिवार ने बताया ‘गो-रक्षक वीर’

पिछले साल तीन दिसंबर को कोतवाली क्षेत्र के ग्राम महाव के जंगल में गोवंश के अवशेष मिलने पर भीड़ आक्रोशित हो गई थी जिसमें कोतवाल सुबोध कुमार और सुमित की मौत हो गई थी.

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लखनऊ: पिछले साल बुलंदशहर के स्याना में हुई हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध के साथ मारे गए युवक सुमित के परिवार ने घर पर बेटे की याद में उसकी मूर्ती की स्थापना की है. इसमें उसे ‘गो-रक्षक वीर’ बताया है. सुमित हिंसा के दौरान उस भीड़ का हिस्सा था जिसकी वजह से वहां गोली-बारी भी हुई, जिसमें बजरंग दल नेता योगेश राज व फौजी जीतू सहित 44 लोगों को जेल भी भेजा गया था. इसी हिंसा के बीच गोली लगने से सुमित और इंस्पेक्टर सुबोध की मौत हो गई थी. सरकार ने इंस्पेक्टर सुबोध को ‘शहीद’ का दर्जा दिया था.

परिवार का कहना है कि सुमित को भी इंस्पेक्टर सुबोध की तरह ‘शहीद’ का दर्जा दिया जाए.

आत्मदाह की धमकी

सुमित के पिता अमरजीत ने योगी सरकार के प्रति नाराजगी दिखाते हुए धर्मपरिवर्तन व आत्मदाह करने की धमकी दी है. सुमित के पिता की मानें तो उन्हें आश्वासन दिया गया था कि प्रकरण की ‘सीबीआई जांच’ कराई जाएगी, साथ ही उनको सभी आर्थिक सहायता दी जाएगी. इस वाक्ये को 10 महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक पूरे मामले में सरकार ने परिवार की सुध तक नहीं ली है. और न ही कोई आर्थिक सहायता ही दी है. परिवार की मांग है कि मृतक सुमित को शहीद का दर्जा दिया जाए लेकिन अभी तक वह भी पूरा नहीं किया गया है जिसकी वजह से परिजनों में रोष है.

दरअसल, सुमित की मौत 3 दिसंबर 2018 को स्याना हिंसा में बवाल के दौरान चिंगरावटी गांव में हुई थी. इसी हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को भी दंगाइयों ने मार दिया था. सरकार ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को शहीद का दर्जा भी दिया और आर्थिक सहायता के तौर पर भारी-भरकम राशि भी दी, तभी से ही मृतक सुमित के परिजन सरकार से मांग कर रहे हैं कि सुमित को शहीद का दर्जा दिया जाए.

परिवार की यह भी मांग है कि जितनी धनराशि इंस्पेक्टर सुबोध के परिजनों को सरकार ने दी है हमें भी आर्थिक सहायता के तौर पर धनराशि दी जाए. वहीं छोटे बेटे को सरकारी नौकरी व 50 लाख मुआवजा मिले लेकिन उनकी मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं. पिता का ये भी आरोप है कि सुमित की मौत इंस्पेक्टर सुबोध की गोली से ही हुई थी. मामले में पुलिस ने मृतक सुमित को भी नामजद आरोपी बनाया था.

सुमित को ‘गो रक्षक वीर’ बताया

इसी कारण सुमित के पिता ने अपनी निजी जमीन पर मृतक सुमित की प्रतिमा को स्थापित कर दिया और उस स्थल को ‘गो रक्षक वीर शहीद चौधरी सुमित दलाल धाम’ का नाम दे दिया.

अमरजीत का कहना है, ‘यदि सरकार ने अपने किए हुए वादों पर अमल नहीं किया तो सुमित की पहली पुण्यतिथि यानि 3 दिसम्बर 2019 और स्याना हिंसा एक वर्ष होने पर धर्म परिवर्तन कर आत्महत्या कर लेंगे.’

अमरजीत के इस घोषणा से शासन प्रशासन में हड़कंप मचा है.

अब तक क्या हुआ इस मामले में

बता दें बुलंदशहर में पिछले साल तीन दिसंबर को कोतवाली क्षेत्र के ग्राम महाव के जंगल में गोवंश के अवशेष मिलने पर भीड़ आक्रोशित हो गई थी. भीड़ ने वहां से गोवंश के अवशेषों को ट्रैक्टर ट्रॉली में लादकर स्याना-बुलंदशहर हाईवे स्थित चिंगरावटी पुलिस चौकी के निकट जाम लगा दिया था.

इसके बाद पुलिस पर पथराव करते हुए चौकी फूंक दी थी. बवाल में स्याना कोतवाल सुबोध कुमार शहीद हो गए थे. चिंगरावठी निवासी सुमित की गोली लगने से मौत हो गई थी. इस मामले में बजरंग दल नेता योगेश राज व फौजी जीतू सहित 44 लोगों को जेल भेजा गया था. राजद्रोह की धारा भी लगाई गई थी. इनमें योगेश राज व जीतू सहित 38 लोग जमानत पर जेल से छूट चुके हैं. गोकशी मामले में 10 लोगों को जेल भेजा गया था. छह पर रासुका लगाई गई थी. इनमें एक को ही जमानत मिल सकी है.

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