लखनऊ : महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने विपक्षी दलों को थोड़ी उम्मीदें ज़रूर दी होंगी, ठीक इसी तरह यूपी उपचुनाव में भी विपक्षी दलों को नई उम्मीदें मिली हैं. यहां 11 सीटों में 8 पर बीजेपी और 3 पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की है. वहीं लगभग हर सीट पर विपक्षी दल मजबूती से बीजेपी का सामना करते हुए दिखे. खास बात ये रही कि लोकसभा चुनाव के बाद सपा-बसपा का गठबंधन टूट गया था लेकिन इसके बावजूद समाजवादी पार्टी ने तीन सीटें जीती. वहीं लोकसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली बसपा का खाता भी नहीं खुल पाया.
यूपी में कुल 11 सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें बीजेपी ने लखनऊ कैंट, कानपुर की गोविंदनगर, सहारनपुर की गंगोह, बहराइच की बलहा, मऊ की घोसी, प्रतापगढ़ सदर, अलीगढ़ की इगलास और चित्रकूट की मानिकपुर विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है. वहीं सपा ने रामपुर, जलालपुर और बाराबंकी की जैदपुर सीट पर जीत दर्ज की है. खास बात ये रही कि 11 में से 5 सीटों पर सपा दूसरे नंबर पर रही. वहीं बसपा और कांग्रेस दो-दो सीटों पर दूसरे नंबर पर रहीं.
नहीं खुल पाया बसपा का खाता
लोकसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली बसपा उपचुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई. यहां तक कि जलालपुर सीट भी उसने गंवा दी जहां से इस्तीफा देकर उसके विधायक रितेश पांडे अंबेडकर नगर से सांसद बने थे. वहीं उपचुनाव से पहले 11 में से 1 सीट पाने वाली सपा ने 3 सीटें हासिल कर लीं.
वोट प्रतिशत (इलेक्शन कमीशन के अनुसार)
बीजेपी- 35.64
सपा- 22.61
बसपा- 17.02
कांग्रेस- 11.49
अन्य- 10.56
अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो भी सपा बसपा से आगे रही. इस उपचुनाव में सपा को 22.61 प्रतिशत और बसपा को 17.02 प्रतिशत वोट मिले हैं.
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लोकसभा के बाद छोड़ दिया था सपा का साथ
यूपी में सपा और बसपा ने गठबंधन कर एक साथ चुनाव लड़ा था. इस गठबंधन को ‘महागठबंधन’ भी कहा गया लेकिन नतीजे काफी खराब निकले. 80 लोकसभा सीट में सपा महज़ 5 सीटें जीत पाई तो वहीं बसपा ने 10 सीटें हासिल की. अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से चुनाव हार गईं तो वहीं उनके परिवार के ही धर्मेंद्र यादव बदायूं से. नतीजों के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा पर हार का ठीकरा फोड़ा. उन्होंने कहा कि सपा अपना वोट बसपा प्रत्याशियों के पक्ष में ट्रांसफर नहीं करा पाई. उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए गठबंधन खत्म करने का भी ऐलान कर दिया.
सपा ने लिया लोकसभा की हार से सबक
समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों से सबक लेते हुए सारे चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया. इसके अलावा अखिलेश यादव ने संगठन को दोबारा से खड़ा करने की बात कही. उपचुनाव के दौरान हालांकि उन्होंने महज़ एक रैली रामपुर में की लेकिन हर सीट के समीकरणों पर नज़र रखी. टिकट बंटवारे में भी लोकल फैक्टर्स का ध्यान रखा गया. वहीं बीजेपी की ओर से सीएम योगी ने हर विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार किया था. जबकि बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी की किसी भी सीट पर प्रचार नहीं किया था.
समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेता जूही सिंह की मानें तो उपचुनाव में गठबंधन न करना पार्टी हित में ही साबित हुआ. जनता यूपी में अखिलेश यादव को आज भी बेहद पसंद करती है. मुख्य विपक्षी दल के तौर पर सपा ने इस उपचुनाव में अपना लोहा मनवाया है.
सपा के वरिष्ठ नेता व सासंद आज़म खान की पत्नी तंजीन फातिमा ने रामपुर से जीत दर्ज की है. आजम खान पर जिस तरह से लगातार मुकदमे दर्ज हो रहे थे उसके बाद से इस सीट की लड़ाई अहम बन गई थी. वहीं अम्बेडकर नगर के जलालपुर से सुभाष राय, बाराबंकी के जैदपुर से गौरव रावत विजयी हुए हैं. जबकि महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों में मानखुर्द, शिवाजीनगर से महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आसिम आज़मी व भिवंडी ईस्ट से रईस शेख ने जीत दर्ज की है.
लखनऊ यूनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर कविराज की मानें तो इन नतीजों ने विपक्ष को एक नई उम्मीद दी है. अगर विपक्षी दल ज़मीनी मुद्दों को उठाएं और जनता के बीच जाएं तो 2022 में परिणाम बेहतर आ सकते हैं. वोटर्स की नब्ज़ समझना विपक्षी दलों के लिए ज़रूरी है. यूपी में सपा को इस उपचुनाव से एक नई उम्मीद ज़रूर मिली होगी.
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कांग्रेस का भी वोट प्रतिशत बढ़ा
विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत बढ़कर लगभग दोगुना हुआ है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 6.25 फीसदी वोट मिला था. उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने लगभग 11.50 फीसदी वोट पाया.
कांग्रेस के यूपी चीफ अजय लल्लू ने आरोप लगाया है कि गंगोह सीट पर भाजपा की तानाशाही और बेईमानी से नोमान मसूद को चुनाव में हराया गया. सहारनपुर की गंगोह सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार सुबह से लगातार बढ़त बनाये हुए थे लेकिन आखिरी वक्त में भाजपा ने प्रशासन की मिलीभगत से नोमान मसूद को चुनाव हरा दिया.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त किया- ‘भाजपा इतने अहंकार में है कि गंगोह में हमारे जीतते हुए प्रत्याशी को काउंटिंग सेंटर से निकालकर उनका मंत्री जनता का निर्णय बदलने के प्रयास में है. डीएम को पांच-पांच बार फोन पर लीड कम कराने के आदेश आ रहे थे. यह लोकतंत्र का सरासर अपमान है.’