मुंबई: हालांकि, इस बार के महाराष्ट्र चुनाव को एकतरफ़ा घोषित कर दिया गया है, फिर भी ऐसी कुछ विधानसभा सीटें हैं जिन पर लोगों की निगाहें लगी हुई हैं. इसके पीछे की वजह या तो उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर है या इन सीटों पर लड़ रहे अहम उम्मीदवार हैं. चुनाव आयोग बृहस्पतिवार को वोटों की गिनती करेगा.
दिप्रिंट ने 288 सीटों वाले महाराष्ट्र से ऐसी पांच सीटों का चुनाव किया है जिनके नतीजे किसी न किसी तरह का राजनीतिक संदेश देने वाले हैं.
कणकवली, सिंधुगढ़ ज़िला
इस सीट से नीतीश राणे ने जीत हासिल की है. राज्य भर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना इस विधानसभा चुनाव में गठबंधन बनाकर लड़ रहे हैं. कोंकण के सिंधुगढ़ में ये इलकौता ज़िला है जहां दोनों पार्टियां एक-दूसरे के ख़िलाफ़ लड़ रही हैं. इस मुकाबले में एक तरफ शिवसेना के पूर्व सीएम नारायण राणे के बेटे नितेश राणे हैं जो पहले कांग्रेस में गए और अंत में भाजपा में शामिल हो गए, वहीं दूसरी तरफ शिवसेना के सतीश सावंत हैं. 2014 में कांग्रेस में रहते हुए नितेश राणे ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. हालांकि, सीट बंटवारे के समझौते के तहत ये सीट भारतीय जनता पार्टी के पास थी, सालों से राणे शिवसेना के धुर विरोधी रहे हैं. इस सीट पर शिवसेना ने राणे परिवार के किसी भी व्यक्ति के लिए प्रचार करने से मना कर दिया और अनाधिकारिक तौर पर भाजपा से अनुरोध किया कि पार्टी यहां इस परिवार से किसी को टिकट न दें.
वहीं, कोंकण क्षेत्र में भाजपा की स्थिति नाज़ुक रही है और ये शिवसेना का गढ़ रहा है. सिंधुगढ़ से ताल्लुक रखने वाले राणे परिवार का ज़िले में खासा प्रभाव है और क्षेत्र में अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए भाजपा इसका इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है. इस सीट पर तो ये तक हुआ कि राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग रैलियां कीं.
कर्जत जामखेड, अहमदनगर जिला
अहमदनगर की इस सीट के राचक मुकाबले में रोहित पवाप ने जीत हासिल की है. इस सीट पर एक तरफ भाजपा के राम शिंदे हैं जो यहां से वर्तमान विधायक होने के साथ-साथ देवेंद्र फडणवीस की सरकार में मंत्री भी हैं और दूसरी तरफ पवार परिवार के सदस्य रोहित पंवर हैं जो पहली बार चुनावी राजनीति में उतरे हैं. इस सीट से दो बार विधायक रहे शिंदे ने 2014 में यहां 37,816 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
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इसके पहले पवार परिवार से राजनीति में प्रवेश करने वाले पिछले सदस्य का नाम पार्थ पवार है. वो नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार के पड़पोते हैं. उन्होंने मावल सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उन्हें शिवसेना के श्रीरंग बर्ने के हाथों करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी. इस हार के साथ वो पवार परिवार के ऐसे पहले सदस्य बन गए थे जिसे किसी चुनाव में हार मिली हो.
पूरे महाराष्ट्र में भाजपा तेज़ी से ख़ुद को मज़बूत बना रही है. हालांकि, एक सीट ऐसी है जिस पर तमाम कोशिश के बावजूद पार्टी की दाल नहीं गली है. ये सीट पवार परिवार के गृहनगर पुणे ज़िले की बारामती सीट है. बारामती लोकसभा सीट पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का राज है और विधानसभा सीट पर पवार के भतीजे अजीत पवार कायम हैं. इस बार भी इस सीट से अजीत पवार ने ही जीत हासिल की है.
2014 के लोकसभा चुनाव में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) ने इस सीट पर महादेव जनकर को उतारकर एनसीपी को कड़ी टक्कर दी थी. जनकर राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी) के प्रमुख जो कि एनडीए की सहयोगी है. इस मुकाबले में सुले ने उन्हें 70,000 वोटों से शिकस्त दी थी. हालांकि, बारामती में पवार परिवार के लिए जीत का ये सबसे छोटा अंतर था. हालांकि, उसी साल के विधानसभा चुनाव में अजीत पवार ने भाजपा के प्रभाकर गौड़े को 89,791 वोटों से आसानी से हरा दिया. सुले ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सीट पर परिवार का राज कायम रखा.
हालांकि, बारामती में एनसीपी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है, लेकिन हार-जीत का अंतर इस बात को साफ़ करेगा कि पवार परिवार के क़िले में सेंध लगाने में भाजपा कितनी सफ़ल रही है.
वर्ली, मुंबई सिटी ज़िला
आदित्य ने तो वर्ली में जमकर चुनाव प्रचार किया ही है, पार्टी ने भी इस सीट को जीतने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी है. इसके लिए एनसीपी के सचिन अहिर को भी पार्टी में शामिल कर लिया गया. सेना के प्रभुत्व वाली इस सीट पर सचिन इकलौते विपक्षी नेता थे जिनका प्रभाव था. इस सीट पर आदित्य का मुकाबला एनसीपी के सुरेश माने से होगा, माने एक दलित समाजसेवी होने के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व राज्य अध्यक्ष हैं.
एक ही राजनीतिक परिवार से आने वाले चचेरे भाई-बहन के बीच इस सीट पर बेहद ज़ोरदार टक्कर हुई. मराठावाड़ के बीड़ ज़िले की ये सीट दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे का गढ़ है और लड़ाई इस बात की है कि गोपीनाथ मुंडे की विरासत पर किसका हक़ है.
पंकजा मुंडे को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा है.
एक तरफ गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे हैं जो एक एमएलए उम्मीदवार के तौर पर तीसरी बार जीत की उम्मीद कर रही हैं, जबकि उनके विरोधी उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे हैं. धनंजय राज्य के विधान परिषद में विपक्ष के नेता हैं. 2013 में वो एनसीपी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. वो इस बात से ख़फ़ा थे कि उनके चाचा ने उनके ऊपर अपनी बेटी को तरज़ीह दी.