रांची: झारखंड में चुनावी माहौल बन चुका है. मुख्यमंत्री रघुवर दास जोहार जन आशीर्वाद यात्रा पर हैं. नेता प्रतिपक्ष और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन बदलाव यात्रा का आखिरी चरण पूरा कर चुके हैं. झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के प्रमुख और राज्य के पहले सीएम बाबूलाल मरांडी बीते एक माह से जनादेश यात्रा के माध्यम से जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं. तेजस्वी यादव 20 अगस्त को जनाक्रोश रैली कर दस्तक दे चुके हैं.
इन सब के बीच विपक्ष अभी तक बिखरा हुआ है. जेएमएम इस इंतजार में है कि कांग्रेस कब आधिकारिक रूप से उनके साथ आएगी. जेवीएम साफ कह चुकी है कि अगर सब साथ आएंगे, तभी वह भी साथ रहेगी, वरना सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. केवल आरजेडी और जेएमएम ने अभी तक साथ लड़ने की बात खुलकर की है. ऐसे में आखिरी चरण में अगर विपक्ष एकजुट हो भी जाता है तो इसका कितना फायदा मिल पाएगा, अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
एक नामित सदस्य के अलावा 81 विधानसभा सीटों वाले राज्य में बीजेपी जहां अबकी बार कभी 65 पार तो कभी 70 पार का नारा दे रही है, वहीं जेएमएम 55 सीट जीतने का दावा कर रही है. सवाल उठता है आखिर अभी से ही विपक्ष क्यों लाचार नजर आ रहा है.
किसी को नहीं पता कब और कैसे होगा गठबंधन
जेएमएम के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं चुनाव की घोषणा के बाद ही गठबंधन की घोषणा होगी. हम नेतृत्व करने को तैयार हैं. देरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसको लेकर मीडिया को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है.
कांग्रेस का हाल ये है कि लोकसभा चुनाव से अब तक चले आंतरिक लड़ाई के बाद फिलहाल पार्टी में एक अध्यक्ष और पांच उपाध्यक्ष बनाए गए हैं. पार्टी के भूतपूर्व अध्यक्ष और लोहरदगा के विधायक सुखदेव भगत के बीजेपी में जाने की जोरदार चर्चा है. पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार पहले ही आम आदमी पार्टी का दामन थाम चुके हैं.
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ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव कहते हैं, ’अभी प्रत्याशी और सीटें तय नहीं की गई हैं. (हो रहा है, हो जाएगा) गठबंधन से जुड़े सवाल सुनते ही उन्होंने फोन काट दिया. वहीं झारखंड प्रभारी और कांग्रेस महासचिव आरपीएन सिंह ने कहा कि, ‘अभी बात चल रही है. फिलहाल इस पर कुछ कहना संभव नहीं है. अपने स्ट्रैटजी के मुताबिक समय आने पर ही कोई बात कहेंगे.’
जेवीएम प्रमुख बाबूलाल मरांडी की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आठ में से छह विधायक बीते विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे. बचे दो विधायकों में एक (प्रकाश राम) ने हाल ही में बीजेपी का दामन थाम लिया है. दूसरा (प्रदीप यादव) यौन शोषण के आरोप में हाल ही में हाईकोर्ट से जमानत पर छूटे हैं. फिर भी बाबूलाल कह रहे हैं कि, ’इसबार बीजेपी को जड़ से खत्म कर देंगे.’ गठबंधन के सवाल पर बाबूलाल ने कांग्रेस के सुर में सुर मिलाते हुए कहा, ’बात चल रही है. उन्हें इससे परहेज नहीं है.’
पिछले चुनाव में एक सीट हासिल कर चुकी भाकपा माले के विधायक राजकुमार यादव कहते हैं, ’गठबंधन को लेकर बैठक कब होगी, यह तय नहीं है. हम लोग दस सीट डिमांड कर रहे हैं, जेएमएम को इतनी सीटें दे देनी चाहिए. सब कुछ निर्भर करता है जेवीएम और कांग्रेस के रुख पर. अगर नहीं हुआ तो हम लोग स्वतंत्र रूप से लड़ेंगे.’
सत्तारूढ़ बीजेपी अपने सहयोगी आजसू पार्टी के साथ चुनावी मैदान में उतरने जा रही है. चुनाव की घोषणा के बाद दोनों ही पार्टियां सीट साझेदारी पर खुलासा करेंगी. आजसू के प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहा, ’हम इस बार डबल डिजिट में सीटें जीतेंगे. दिल्ली में बैठक होने वाली है, इसके बाद ही घोषणा करेंगे कि कितने सीटों पर लड़ने जा रहे हैं.’
अपने नेताओं को रोकने में नाकाम है विपक्षी पार्टियां
जहां तक सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी की तैयारी को देखें तो पीएम मोदी चुनाव से ठीक पहले नए विधानसभा भवन सहित कई योजनाओं का उद्घाटन कर गए हैं. गृहमंत्री अमित शाह बीते दो माह में दो बार और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा बीते चार महीने में चार बार राज्य का दौरा कर गए हैं. चुनाव प्रभारी ओम माथुर दस दिनों तक लागातार मीटिंग और प्रशिक्षण की निगरानी कर चुके हैं. केंन्द्रीय मंत्रियों का दौरा लगातार यहां जारी है.
दलबदल पर नजर डालें तो जेएमएम, कांग्रेस, जेवीएम के कई बड़े नेता बीजेपी में जाने को तैयार हैं. इस कड़ी में कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत, बिट्टू सिंह, जेएमएम विधायक जयप्रकाश भाई पटेल, कांग्रेस के (लोकसभा प्रत्याशी रह चुके) मनोज यादव सहित कई अन्य शामिल हैं. जेवीएम विधायक प्रकाश राम कमल की माला पहन चुके हैं. बात न बनने पर बीजेपी के सहयोगी आजसू के विधायक विकास मुंडा ने जेवीएम का तीर-धनुष उठा लिया है.
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आइए अब सोशल मीडिया पर तैयारी को देखते हैं. बीजेपी के पहले से चले आ रहे आधिकारिक अकाउंट के अलावा घर रघुवर, सहित कई अऩ्य अकाउंट चल रहे हैं. नाम न छापने की शर्त पर बीजेपी के बड़े नेता ने साफ कहा कि पार्टी की ओर से केवल सोशल मीडिया प्रचार पर इस बार 50 करोड़ रुपया खर्च होने जा रहा है.
बीजेपी झारखंड के आधिकारिक फेसबुक पेज को खबर लिखे जाने तक 1 लाख 96 हजार 465 लोगों ने लाइक किया है. रघुवर दास के फेसबुक पेज़ को 4 लाख 34 हजार 937 लोगों ने लाइक किया है. वहीं हेमंत सोरेन के पेज को 1 लाख 15 हजार 728 लोगों ने, बाबूलाल मरांडी पेज को 92 हजार ने लाइक किया है. साल भर सक्रिय रहने के बाद चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के सोशल मीडिया टीम में बड़े पैमाने पर लोगों को रखा गया है. वहीं जेएमएम एक छोटी लेकिन एक्टिव टीम के साथ काम कर रही है. कांग्रेस के पास ऐसा कुछ नहीं है.
इस तरह था पिछले चुनाव में आंकड़ा
चुनाव आयोग की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 65 पार्टियों ने चुनाव लड़ा था. 2.26 करोड़ मतदाता वाले इस राज्य में पहली बार कोई सरकार पांच साल चली है. बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी कुल 72 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें उसे 37 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
वहीं जेएमएम को 79 में 19 और जेवीएम को 73 में से 8 सीटें हासिल हुई थी. हालांकि बाद में 6 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे. बचे हुए दो विधायकों में एक ने राज्यसभा चुनाव के वक्त बीजेपी के पक्ष में ही मतदान किया था.
इसके अलावा कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में 62 सीटों पर लड़ी थी जिसमें उसे 6 पर जीत हासिल हुई थी, आजसू को 8 में से 5 पर, बीएसपी को 61 में से 1 पर, माले को 39 में से 1 पर जीत हासिल हुई थी. अन्य पार्टियों में झारखंड पार्टी, जय भारत समानता पार्टी (जेबीएसपी), नवजवान संघर्ष मोर्चा (एनएसएएम), मार्क्सिस्ट को-ऑर्डिनेशन (एमसीओ) को भी एक-एक सीट मिली थी. इसी चुनाव में एनसीपी, भाकपा, माकपा सहित कई अन्य पार्टियों का खाता भी नहीं खुल पाया था.
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एक तरफ विपक्ष में सीटों की साझेदारी को लेकर अभी तक खींचातानी चल रही है. वहीं बीजेपी इसका लुत्फ उठाते हुए हर दांव खेलने को तैयार दिख रही है.
(आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं.)