मुंबई : वसई और विरार के बीच स्थित नालासोपारा, मुंबई से लगभग 60 किलोमीटर दूर शहर का उत्तर-पश्चिमी इलाका है. ये पूरा बेल्ट – वसई, विरार और नालासोपारा- ठाकुर परिवार की राजनीतिक जागीर रही है, जो बहुजन विकास अगाड़ी (बीवीए) पार्टी के प्रमुख हैं. यह परिवार के निवास और अचल संपत्ति, शिक्षा और हॉस्पिटैलिटी व्यवसाय का केंद्र है. हालांकि, ठाकुरों को बदनाम किया जाता है. लेकिन उनका संबंध कथित डॉन भाई ठाकुर से है, जो बीवीए अध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर के भाई हैं.
आगामी 21 अक्टूबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना ने एक पूर्व पुलिसकर्मी और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा- को नालासोपारा से चुनाव में उतारा है. शर्मा ‘मुम्बई के डर्टी हैरीज़’ नाम से कुख्यात 1983 बैच से हैं. नालासोपारा ठाकुरों का गढ़ है. यहां कुल 5.12 लाख मतदाता हैं.
प्रदीप शर्मा दो बार के नालासोपारा के विधायक हितेंद्र ठाकुर के बेटे क्षितिज ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, जिन्होंने 2014 में मोदी लहर के बावजूद मजबूत 54,499 के अंतर के साथ यह सीट जीती थी.
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शर्मा ने शिवसेना में शामिल होने के बाद सितंबर में अपनी पहली सार्वजनिक रैलियों में कहा कि उद्धव साहब ने मुझसे कहा प्रदीप, आप नालासोपारा जाएं. यहां बड़े पैमाने पर गुंडागर्दी है, अत्याचार है, लोग पीड़ित हैं. आप उनका खयाल रखें ‘मैंने 36 साल तक चोर-पुलिस का किरदार निभाया है. मैं यहां गुंडागीरी समाप्त करूंगा.’
नालासोपारा में चुनाव प्रचार के दौरान प्रदीप शर्मा (केंद्र में) | फोटो : विशेष व्यवस्था द्वाराप्रदीप शर्मा को 110 से अधिक मुठभेड़ों के लिए जाना जाता है. उन्होंने इस साल जुलाई में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था और बाद में सामाजिक सेवा के दायरे का विस्तार करने के लिए सितंबर में शिवसेना में शामिल हो गए थे.
प्रदीप ने दिप्रिंट को बताया कि ठाकुर वंश के मनमानी के कई मामले हैं. अगर लोग स्थानीय राजनीतिक संगठन का विरोध करते हैं तो उन्हें एक अलग प्रकार के आतंक और गुंडागर्दी का सामना करना पड़ता है. यह समस्या मानसिक या शारीरिक हो सकती है, गुंडों द्वारा बिजली और पानी के कनेक्शन को काट दिया जाता है. यह एक तरह का सामाजिक और मानसिक उत्पीड़न है.
हालांकि, शिवसेना ने ठाकुर परिवार की कथित ठगी के लिए शर्मा को एक मजबूत प्रतिद्वंदी के रूप में पेश किया है. पूर्व पुलिसकर्मी का अतीत विविधताओं से भरा है जिसका चुनाव के दौरान प्रचार हुआ.
‘डर्टी हैरी’ के करियर में उतार – चढ़ाव
प्रदीप शर्मा मुंबई पुलिस के 1983 बैच से हैं. जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कई ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ तैयार किए हैं. जिनमें विजय सालस्कर, रवींद्र आंग्रे, प्रफुल्ल भोसले और विनायक सौदा शामिल हैं. 57 वर्षीय प्रदीप 1993 में गैंगस्टर सुभाष मकड़ावाला मुठभेड़ का हिस्सा थे.
क्लिंट ईस्टवुड-स्टारर फिल्म की तर्ज पर धीरे-धीरे शर्मा और उनके सहयोगियों को कुख्यात रूप से मुंबई के ‘डर्टी हैरीज़’ के रूप में जाना जाने लगा. लेकिन, उनका जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है.
2008 में उन्हें अंडरवर्ल्ड के साथ कथित संबंध रखने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. शर्मा ने इसके बाद महाराष्ट्र प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में अपील की, जिसने उसे अगले वर्ष बहाल कर दिया.
2010 में वह फिर से मुसीबत में आ गए, जब उन्हें अपराधी लखन भैया की कथित फर्जी मुठभेड़ के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी में चार साल बिताने के बाद उनको 2013 में एक स्थानीय अदालत ने बरी कर दिया था. हालांकि, सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय में उनके बरी होने को चुनौती दी थी.
देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली सरकार उन्हें 2017 में ठाणे के एंटी एक्सटॉर्शन सेल के प्रमुख के रूप में वापस लाई और उन्होंने जबरन वसूली के मामले में भगोड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कास्कर की गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
पुलिस वाले शर्मा और राजनीतिज्ञ शर्मा में अंतर
लखन भैया के फर्जी मुठभेड़ मामले में शर्मा की कथित संलिप्तता और अंडरवर्ल्ड के साथ कथित संबंधों ने उनकी राजनीतिक छवि को कुंद कर दिया. न केवल उनके प्रतिद्वंद्वी बीवीए के लोग उन मामलों के लिए निशाना बना रहे हैं, जिसमें शर्मा को उलझाया गया है बल्कि राजनीति में नयी पारी की शुरुआत करने वाले प्रदीप ने चुनाव में लखन भैया केस मामले में खुद को नए विवाद में भी पाया.
पिछले हफ्ते, एक वीडियो सामने आया था जिसमें दावा किया गया है कि शर्मा ने जेल के ढाई साल अस्पताल में बिताए थे. उसका जवाब देने के लिए उन्होंने एक क्लिप जारी किया था जिसमें कहा गया था यह ढाई महीने का था, ढाई साल का नहीं. मेरी जबान फिसल गई होगी. मैं ढाई महीने अस्पताल में था.’
इस महीने की शुरुआत में प्रदीप को दाऊद के पूर्व सहयोगी श्याम गारिकापट्टी के साथ नालासोपारा में एक रैली में भी देखा गया था. शर्मा के चुनावी हलफनामे ने भी हलचल मचा दी थीं. उन्होंने अपनी और पत्नी की कुल संपत्ति 36.21 करोड़ घोषित की थी, इस पर सवाल उठा कि एक लोक सेवक अपनी सेवा अवधि के दौरान इतनी संपत्ति कैसे हासिल कर सकता है. उनके प्रतिद्वंदी क्षितिज ठाकुर ने उनके और उनकी पत्नी की 63.67 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की.
हालांकि, शर्मा को भरोसा है कि विपक्ष के अभियान से उनको कोई समस्या नहीं होगी.
यह सब विकास के मुद्दों और सवालों से ध्यान भटकाने के लिए विपक्ष की रणनीति है. जो मैं यहां सवाल उठा रहा हूं विपक्ष उसका जवाब और सामना नहीं कर सकता है. मुझे जनसमर्थन मिल रहा है और यहां के लोग वर्तमान स्थितियों से पूरी तरह असंतुष्ट हैं. ‘वे एक बदलाव की तलाश में हैं … और मैं यहां बदलाव और विकास के लिए आया हूं.’
प्रदीप शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश से हैं, उन्होंने यह भी दावा किया कि विरार और नालासोपारा के लोगों में एक डर का माहौल विकसित किया गया है, जिसने ठाकुर गिरोह के हाथों वर्षों की क्रूरता देखी है.
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इसके जवाब में क्षितिज ठाकुर ने दिप्रिंट से कहा, ‘मुझे उनके (शर्मा के) बयानों पर हंसी आ रही है. गुंडागर्दी का यह मुद्दा पांच साल में केवल तीन बार क्यों आता है – स्थानीय निकाय चुनावों, लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों के दौरान? और अगर शर्मा जैसा कोई पूर्व पुलिसकर्मी इस तरह के बयान देता है तो इसका मतलब है कि वह अपने स्वयं के पुलिस बल के काम पर संदेह कर रहे हैं.
ठाकुर ने कहा, ‘शर्मा को अपहरण, जबरन वसूली, फर्जी मुठभेड़ों के मामलों से जोड़ा गया है. एक अपराध का नाम बताइए जिसमें उनका नाम नहीं जोड़ा गया है. नालासोपारा के लोग होशियार हैं.’
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