नई दिल्ली: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से कहा है कि वे छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को “एक और भारतीय भाषा सीखने” के लिए प्रोत्साहित करें, क्योंकि देश “अंग्रेजी-प्रधान ढांचे” से “भारतीय भाषाओं पर आधारित शिक्षा प्रणाली” की ओर बढ़ रहा है.
बुधवार को आयोग ने भारतीय भाषा समिति (BBS) द्वारा तैयार किए गए दिशानिर्देश जारी किए. यह समिति 2021 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी. दिशानिर्देशों में राष्ट्रीय मूल्यांकन और करियर से जुड़े लाभों जैसे प्रोत्साहन दिए गए हैं ताकि बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने वाले संस्थानों को ज्यादा मौके मिल सकें.
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने वाले संस्थानों को नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) और नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) जैसे आकलनों में अतिरिक्त वेटेज दिया जा सकता है. बहुभाषी ज्ञान बेहतर प्लेसमेंट और करियर के अवसरों से भी जोड़ा जा सकता है.
यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत बहुभाषावाद को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार का एक और प्रयास है, जिसमें कई भारतीय भाषाएं सीखने पर जोर दिया गया है.
आयोग ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) से “एक और भारतीय भाषा सीखने” संबंधी दिशानिर्देश लागू करने का अनुरोध किया है.
ये दिशानिर्देश सभी UGC-मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों—केंद्रीय, राज्य, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों—साथ ही संबद्ध कॉलेजों, राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा नियंत्रित तकनीकी संस्थानों को भेजे जा रहे हैं.
UGC ने कहा, “कई भारतीय भाषाओं का ज्ञान, खासकर अन्य राज्यों की भाषाओं का, छात्रों को भविष्य के रोजगार में मदद करेगा. इसलिए यह जरूरी है कि उच्च शिक्षा संस्थान विभिन्न भारतीय भाषाओं के कोर्स क्रेडिट कोर्स के रूप में पेश करें और छात्रों को अधिक भारतीय भाषाएं सीखने के लिए प्रोत्साहित करें.”
सभी लेवल पर कम से कम तीन मल्टी-लेवल लैंग्वेज कोर्स.
गाइडलाइंस के मुताबिक, सभी HEIs से उम्मीद की जाती है कि वे ये कोर्स कम से कम तीन भारतीय भाषाओं में एबिलिटी एनहांसमेंट कोर्स (AEC), क्रेडिट कोर्स, ऑडिट कोर्स, या NEP 2020 के हिसाब से दूसरे फॉर्मेट में ऑफर करें. इनमें से एक लोकल भाषा होनी चाहिए, और बाकी दो 22 तय भारतीय भाषाओं में से कोई भी हो सकती हैं.
ये कोर्स तीन स्तरों—बेसिक, इंटरमीडिएट और एडवांस—पर होंगे, जिनमें प्रवेश और बाहर निकलने की सुविधा लचीली होगी ताकि छात्र अपनी गति से आगे बढ़ सकें.
इन स्तरों को नए क्रेडिट ढांचे के तहत माइनर विषयों के रूप में भी शामिल किया जा सकता है. कोर्स का मुख्य फोकस बोलने, पढ़ने और लिखने जैसे व्यावहारिक कौशल विकसित करने पर होगा. इनके लिए स्पष्ट लक्ष्य और क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा भी होगी.
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि यह पहल स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर के सभी छात्रों, सभी विषयों के शिक्षकों, कर्मचारियों और स्थानीय समुदाय के इच्छुक सदस्यों के लिए है.
यह भी कहा गया है कि HEIs स्थानीय समुदाय के उन लोगों के लिए भी ये कोर्स उपलब्ध कराएं जो कोई भाषा सीखना चाहते हैं. ऑनलाइन कोर्स दुनिया भर के सीखने वालों को जुड़ने का मौका देंगे.
प्रभावी सीखने के साधन तैयार करना
दिशानिर्देशों में सुझाव दिया गया है कि HEIs भारतीय भाषाओं में संचार कौशल—बोलना, पढ़ना और लिखना—बेहतर बनाने के लिए गुणवत्ता वाले संसाधन तैयार करें. कोर्स सामग्री में गुणवत्ता और नैतिक मानकों का पालन होना चाहिए और “राष्ट्रीय एकता” को बढ़ावा देना चाहिए.
संस्थान CIL (केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान) पोर्टल या SWAYAM प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकते हैं, या अपने प्रिंट, ऑडियो और वीडियो मॉड्यूल तैयार कर सकते हैं.
CIL या केंद्रीय हिंदी संस्थान (KHS) जैसी भाषा संस्थाएं करिकुलम को गाइड करती हैं, जबकि नेशनल लैंग्वेज-टेक स्टैक और “भाषा सीखें” ऐप जैसे टूल सर्टिफाइड ट्रेनर्स के साथ एंगेजमेंट बढ़ाते हैं.
प्रगति की निगरानी के लिए HEIs को डैशबोर्ड बनाने चाहिए जिनमें दाखिले, कोर्स पूरा होने और बहुभाषी कौशल का डेटा होगा.
भारतीय भाषाएं सीखने को बढ़ावा
दिशानिर्देशों के अनुसार, छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को अतिरिक्त भारतीय भाषाएं सीखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं.
उदाहरण के तौर पर, बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने वाले संस्थानों को NAAC और NIRF में अतिरिक्त वेटेज दिया जा सकता है.
बहुभाषी ज्ञान प्लेसमेंट, इंटर्नशिप और स्टार्टअप इनक्यूबेशन जैसी करियर से जुड़ी सुविधाओं से भी जोड़ा जा सकता है, जिनका लाभ AICTE इंटर्नशिप और करियर पोर्टल के माध्यम से मिलेगा.
उन्होंने आगे सुझाव दिया कि जो सीखने वाले तय प्रोफिशिएंसी टारगेट हासिल कर लेते हैं, उन्हें एकेडमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट (ABC) में रिकॉर्ड किए गए माइक्रो-क्रेडेंशियल मिल सकते हैं और यह उनके एकेडमिक ट्रांसक्रिप्ट में दिखेगा. जो लोग पांच या उससे ज़्यादा भाषाएं सीखते हैं, उन्हें भारतीय भाषा उत्सव या कॉन्वोकेशन जैसे इवेंट्स में सम्मानित किया जा सकता है, जिससे कई भाषाओं में सीखना “जुनून, गर्व, प्रतिष्ठा और सम्मान की बात” बन जाएगा.
गाइडलाइंस में मेंटर्स और वॉलंटियर्स को पहचान देने पर भी ज़ोर दिया गया है. जिन मेंटर्स के ग्रुप लगातार अच्छी स्किल दिखाते हैं, उन्हें स्टैकेबल ‘लैंग्वेज मेंटर’ सर्टिफिकेट के लिए क्रेडिट मिल सकते हैं.
भारतीय भाषाएं सिखाने वाले वॉलंटियर्स को प्रशंसा पत्र या “भाषा बंधु”, “भाषा मित्र” या “लिपि गौरव” जैसे मानद उपाधियां दी जा सकती हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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