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Wednesday, 3 December, 2025
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छत्तीसगढ़: कोयला खदान के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन, 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल

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अंबिकापुर, तीन दिसंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में बुधवार को एक कोयला खदान के विस्तार का विरोध कर रहे ग्रामीणों के एक समूह के साथ झड़प और पथराव में 30 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि झड़प के दौरान कुछ ग्रामीण भी घायल हुए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि बिश्रामपुर इलाके के परसोड़ी कला गांव के लोग कोल इंडिया की कंपनी ‘साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड’ (एसईसीएल) की अमेरा कोयला परियोजना के विस्तार का विरोध कर रहे थे जबकि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया बहुत पहले पूरी हो चुकी थी।

एसईसीएल ने एक बयान में दावा किया कि इन ग्रामीणों को कुछ असामाजिक और अवैध गतिविधियों (जैसे कोयला चोरी) में संलिप्त तत्वों द्वारा उकसाया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों को शांत करने के बाद बुधवार शाम को खदान में खनन का काम फिर से शुरू हो गया।

खदान के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य 2016 में पूरा हो गया था।

सरगुजा जिले के अतिरिक्त जिलाधिकारी सुनील नायक ने बताया कि विरोध के बारे में जानकारी मिलने के बाद जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी विरोध स्थल के लिए रवाना हुए थे।

उन्होंने बताया कि 2016 में परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य किया गया था और कुछ ग्रामीणों को जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजा दिया गया था लेकिन कई लोगों ने मुआवजा लेने से मना कर दिया और खनन के काम में रुकावट डालने की कोशिश की।

नायक ने बताया कि अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की और उनसे कहा कि जमीन अधिग्रहण का काम पहले ही पूरा हो चुका है और एसईसीएल को अपने अधिकृत काम करने की इजाजत दी जानी चाहिए।

अधिकारी ने बताया, “अगर वे (ग्रामीण) अपनी चिंताएं बताना चाहते हैं, तो कानूनी रास्ते मौजूद हैं।”

उन्होंने बताया कि विरोध के दौरान कुछ ग्रामीण हिंसक हो गए और उन्होंने पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया।

अधिकारी ने बताया कि इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।

नायक ने बताया कि गंभीर रूप से घायल लोगों को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

उन्होंने बताया कि ग्रामीणों से बात की जा रही है और उनसे खनन कार्य में रुकावट नहीं डालने व अधिकारियों के साथ सहयोग करने की अपील की गई है।

वहीं सरगुजा क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक दीपक झा ने बताया, “पथराव में 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हालात काबू में हैं और खदान में खनन से जुड़ी गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं।”

घटना के वीडियो में दिख रहा है कि प्रदर्शनकारी अमेरा कोयला खदान के अंदर घुस रहे हैं और पुलिस के साथ उनकी झड़प हो रही है।

पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े।

एसईसीएल ने बयान जारी बताया कि खदान के लिए आवश्यक भूमि परसोडीकला, अमेरा, पूहपुटरा और कटकोना गांवों में स्थित है, जिसका कुल क्षेत्रफल 664.184 हेक्टेयर है।

बयान के मुताबिक, इस भूमि का अधिग्रहण वर्ष 2001 में किया गया था और अधिग्रहित भूमि के एक हिस्से का कब्जा मिलने के बाद वर्ष 2011 में खनन कार्य प्रारम्भ किया गया।

बयान में बताया गया कि उत्पादन, वर्ष 2019 तक जारी रहा लेकिन कुछ ग्रामीणों द्वारा वैधानिक/स्वीकृत प्रावधानों से अधिक लाभ की मांग और तीव्र विरोध की वजह से खनन कार्य बंद करना पड़ा।

एसईसीएल ने आरोप लगाया कि इन ग्रामीणों को कुछ असामाजिक और अवैध गतिविधियों (जैसे कोयला चोरी) में संलिप्त तत्वों द्वारा उकसाया गया था।

इस संबंध में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।

नायक ने बताया कि खनन क्षेत्र में हालात तनावपूर्ण बने रहने के कारण अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है।

वहीं परसोड़ी कला गांव की एक प्रदर्शनकारी लीलावती ने बताया कि वह परियोजना के लिए अपनी जमीन नहीं देंगी।

उन्होंने कहा, “हमें अपने गांव की मिट्टी से प्यार है और हम इसे छोड़ना नहीं चाहते। एसईसीएल कोयला ले लेगा लेकिन हमारा क्या होगा? हमारे पुरखे इसी जमीन पर रहते थे और इसी से अपना गुजारा करते थे। अब हमारी बारी है। क्या मेरे बेटे और पोते को भीख मांगने के लिए छोड़ दिया जाए? हमारी पूरी जमीन खदान के लिए ली जा रही है। हम इसे न तो कंपनी को देंगे और न ही प्रशासन को।”

भाषा जितेंद्र

जितेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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