नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) रूस ने भारत के साथ अपने व्यापार और ऊर्जा संबंधों को तीसरे देशों के दबाव से सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष ‘ढांचा’ बनाने का सुझाव देते हुए मंगलवार को कहा कि पश्चिमी प्रतिबंधों से भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात ‘सीमित अवधि’ के लिए घट सकता है।
रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की चार नवंबर से शुरू होने वाली भारत यात्रा से पहले पेसकोव ने दोनों देशों के संबंधों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच होने वाली शिखर वार्ता में भारी व्यापार घाटे पर भारत की चिंता, छोटे आकार वाले परमाणु रिएक्टरों में सहयोग और रक्षा क्षेत्र एवं ऊर्जा साझेदारी के मुद्दे मुख्य रूप से शामिल होंगे।
पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका के संबंध बीते दो दशकों के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। रूस से तेल आयात जारी रखने पर अमेरिका ने भारतीय उत्पादों के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है।
रूसी प्रवक्ता ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत के रूसी तेल आयात में क्रमिक कटौती करने के मुद्दे पर कहा कि यह गिरावट सीमित अवधि के लिए होगी और रूस को पश्चिमी प्रतिबंधों के असर को निष्प्रभावी करने का भरोसा है।
पेसकोव ने कहा, ‘इस तरह के गैरकानूनी प्रतिबंध झेलते हुए भी प्रदर्शन करने का हमें गहरा अनुभव है। हम ऐसे तरीके निकाल रहे हैं कि तेल व्यापार की मात्रा कम न हो।’
उन्होंने वैश्विक व्यापार प्रणाली में अमेरिकी डॉलर का राजनीतिक इस्तेमाल न करने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देश राष्ट्रीय मुद्राओं में लेन-देन करने की व्यवस्था पर विचार कर सकते हैं, जिससे भारत-रूस व्यापार तीसरे देशों के दबाव से मुक्त रहे।
पेसकोव ने कहा, ‘हमें अपने रिश्ते का ऐसा ढांचा बनाना चाहिए जो किसी भी तीसरे देश के असर से मुक्त हो। हमें अपने रिश्ते को सुरक्षित रखना है, आपसी लाभ वाले व्यापार को सुरक्षित रखना है।’
प्रवक्ता ने व्यापार घाटे को लेकर भारत की चिंता को स्वीकार करते हुए कहा कि रूस भारत को निर्यात अधिक करता है, जबकि आयात कम है।
उन्होंने कहा, “हमें पता है कि भारत इससे चिंतित है। हम आयात बढ़ाने के विकल्प देख रहे हैं और भारत से अधिक वस्तुएं खरीदने के लिए तैयार हैं।”
भारत का रूस से आयात लगभग 65 अरब डॉलर है, जबकि रूस का भारत से आयात करीब पांच अरब डॉलर ही है।
रक्षा सहयोग के क्षेत्र में उन्होंने ब्रह्मोस मिसाइलों के संयुक्त उत्पादन को मिसाल की तरह पेश करते हुए कहा कि यह उच्च प्रौद्योगिकी साझा करने का मॉडल है।
पेसकोव ने कहा, ‘रूस जटिल रक्षा प्रणालियों और तकनीकी अनुभव को भारत के साथ साझा करने के लिए तैयार है।’
उन्होंने कहा कि छोटे और मध्यम परमाणु रिएक्टरों में भी दोनों देशों का सहयोग शिखर वार्ता का हिस्सा होगा। उन्होंने कहा कि रूस भारत को यह प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।
चीन के साथ रूस के संबंधों का उल्लेख करते हुए पेसकोव ने कहा कि भारत के साथ भी उनका देश उतना ही गहरा और समान स्तर का सहयोग स्थापित करना चाहता है।
उन्होंने कहा, “हम उतनी ही दूर जाने के लिए तैयार हैं, जितना भारत तैयार है। हम हर संभव क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।”
रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा शुक्रवार को होगी। इस दौरान दोनों नेता व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और परमाणु सहयोग सहित कई महत्वपूर्ण समझौतों पर चर्चा करेंगे।
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर पेसकोव ने कहा कि रूस शांतिपूर्ण वार्ता के लिए तैयार है और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति चाहता है। उन्होंने भारत की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि मोदी सरकार शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में सक्रिय है।
उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष-विराम की दिशा में अमेरिका के मध्यस्थता प्रयासों की भी प्रशंसा की।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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