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Wednesday, 3 December, 2025
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काम के प्रति प्रेम को सद्गुण मानना ​​कर्मचारियों और टीम के लिए प्रतिकूल हो सकता है

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(मिजीओंग वॉन, राइस विश्वविद्यालय)

ह्यूस्टन (अमेरिका), 30 नवंबर (द कन्वरसेशन) नए स्नातकों के लिए यह एक लोकप्रिय सलाह है, ‘‘अपनी पसंद की नौकरी ढूंढ़ो, और फिर तुम्हें जिदगी में एक दिन भी काम नहीं करना पड़ेगा।’’ अमेरिकियों को अक्सर बताया जाता है कि अपने काम के प्रति प्रेम ही सफलता का सबसे सटीक रास्ता है।

एक प्रबंधन प्रोफेसर होने के नाते, मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि इस सलाह का समर्थन करने वाले ठोस शोध मौजूद हैं। मनोविज्ञान में, इस विचार को ‘आंतरिक प्रेरणा’ कहा जाता है यानी ऐसा काम करना जो आपको संतुष्टि देता है।

जो लोग आंतरिक रूप से प्रेरित होते हैं, वे अपने काम में सच्चा आनंद और जिज्ञासा महसूस करते हैं, और अपने लिए सीखने या चुनौतियों पर विजय पाने के अवसरों का आनंद लेते हैं। शोध से पता चलता है कि आंतरिक प्रेरणा आपके काम में प्रदर्शन, दृढ़ता और रचनात्मकता को बढ़ाती है।

फिर भी, मेरे सह-लेखकों के हालिया शोध से पता चलता है कि अपने काम से प्यार करने का यह प्यारा सा विचार नैतिक रूप से आपको बढ़त दिला सकता है। आजकल, लोग खुद को और दूसरों को इस आधार पर आंकने लगे हैं कि वे आंतरिक रूप से प्रेरित हैं या नहीं। जो पहले व्यक्तिगत पसंद हुआ करती थी, वह कई लोगों के लिए एक नैतिक अनिवार्यता बन गई है कि आपको अपने काम से प्यार करना चाहिए, और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह किसी न किसी तरह से गलत है।

नैतिक प्रेरणा : जब कोई तटस्थ पसंद नैतिक अर्थ से भर जाती है, तो समाज वैज्ञानिक उसे ‘नैतिकता’ कहते हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि कोई व्यक्ति शुरू में अपने स्वास्थ्य कारणों से शाकाहार अपनाए, लेकिन बाद में उसे ही सही मानने लगे, और उसी के अनुसार दूसरों का मूल्यांकन करने लगे।

आंतरिक प्रेरणा को नैतिकता में बदलना भी इसी तर्क पर आधारित है। लोग कई कारणों से काम करते हैं – जुनून, कर्तव्य, परिवार, आर्थिक सुरक्षा या सामाजिक प्रतिष्ठा। लेकिन एक बार जब आंतरिक प्रेरणा नैतिकता महसूस होने लगती है तो आप जो करते हैं उससे प्यार करना न केवल आनंददायक होता है, बल्कि इसे अपना सद्गुण समझने लगते हैं। पैसे, प्रतिष्ठा या पारिवारिक दायित्व के लिए काम करना कम सराहनीय, यहां तक कि संदिग्ध लगने लगता है।

वर्ष 2023 के एक अध्ययन में, सहयोगी शोधकर्ता जूलिया ली कनिंघम, जॉन एम. जाचिमोविक्ज और मैंने 1,200 से अधिक कर्मचारियों का सर्वेक्षण किया, और उनसे पूछा कि क्या वे सोचते हैं कि व्यक्तिगत आनंद के लिए काम करना सद्गुण है।

हमने पाया कि जिन लोगों ने ऐसा महसूस किया, उनका मानना ​​था कि बाकी सभी लोगों को भी आंतरिक रूप से प्रेरित होना चाहिए। वे वेतन या पहचान के लिए काम करने जैसे अन्य उद्देश्यों को नैतिक रूप से कमतर मानने लगते हैं।

उदाहरण के लिए, वे इस बात पर सहमत थे कि ‘‘आप नैतिक रूप से आर्थिक लाभ और सुविधाओं से अधिक काम को प्यार करने के लिए बाध्य हैं।’’

आप पर फर्क : पहली नजर में, काम के प्रति प्रेम को एक गुण मानना, सिर्फ फायदे ही देता है। अगर किसी नौकरी का उद्देश्य या रोजमर्रा के काम व्यक्तिगत रूप से सार्थक हैं, तो आप चुनौतियों के बावजूद डटे रह सकते हैं, लेकिन नौकरी छोड़ना किसी आदर्श के साथ विश्वासघात जैसा लग सकता है।

हालांकि, यह गुण उल्टा भी पड़ सकता है। जब आंतरिक प्रेरणा आनंद के बजाय एक नैतिक कर्तव्य बन जाती है, तो आपको अपने काम से लगातार प्यार न करने के लिए अपराधबोध हो सकता है। किसी भी नौकरी में सामान्य भावनाएं जैसे ऊब, थकान या काम न करने का विचार, नैतिक विफलता और आत्म-दोष की भावनाओं को जन्म दे सकती हैं। अगर आप अपराधबोध के कारण अस्थिर भूमिकाओं में बने रहते हैं, तो समय के साथ यह दबाव काम में गड़बड़ियों का कारण बन सकता है।

आंतरिक प्रेरणा का नैतिक मूल्यांकन केवल स्वयं तक ही सीमित नहीं है; यह दूसरों के मूल्यांकन के हमारे तरीके को भी बदल देता है। जो लोग आंतरिक प्रेरणा का नैतिक मूल्यांकन करते हैं, वे अक्सर दूसरों से भी यही अपेक्षा रखते हैं।

185 टीम के लगभग 800 कर्मचारियों पर किए गए एक अध्ययन में, हमने पाया कि जिन कर्मचारियों ने आंतरिक प्रेरणा का अनुभव किया, वे उन टीम के सदस्यों के प्रति अधिक उदार थे जो अपने काम से प्यार करते थे। हालांकि, वे उन सहकर्मियों की मदद करने के लिए कम इच्छुक थे जिन्हें वे कम उत्साही मानते थे।

(द कन्वरसेशन) शफीक नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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