scorecardresearch
Thursday, 27 November, 2025
होमदेश'दिल्ली ब्लास्ट के आरोपी भी पढ़े-लिखे, ब्रेनवॉश किए गए' —पुलिस ने AQI प्रदर्शनकारियों की मांगी रिमांड

‘दिल्ली ब्लास्ट के आरोपी भी पढ़े-लिखे, ब्रेनवॉश किए गए’ —पुलिस ने AQI प्रदर्शनकारियों की मांगी रिमांड

यह तुलना उस समय की गई जब दिल्ली पुलिस ने आरोपित प्रदर्शनकारियों की रिमांड मांगी. छह लोगों के समूह को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया.

Text Size:

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने उन प्रदर्शनकारियों की हिरासत मांगी है, जिन पर हिडमा के समर्थन में नारे लगाने का आरोप है. पुलिस ने इसकी तुलना 10 नवंबर को लाल किले के बाहर हुए धमाके से की, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे.

आरोपियों की पुलिस रिमांड के लिए बहस करते हुए, एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर भानु प्रताप सिंह ने बुधवार को कहा कि यह बहाना नहीं होना चाहिए कि प्रदर्शनकारी युवा थे, कॉलेज के छात्र थे और पढ़े-लिखे थे, क्योंकि लाल किले पर हुए धमाके के आरोपी भी युवा, पढ़े-लिखे थे और कहा जाता है कि उनका ब्रेनवॉश किया गया था.

लाल किला धमाका एमबीबीएस डिग्री होल्डर उमर उन नबी ने किया था, जिसे इस मॉड्यूल का सरगना बताया जाता है. इसमें शामिल तीन और डॉक्टरों को भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) गिरफ्तार कर चुकी है.

दिल्ली पुलिस पांच आरोपियों की कस्टडी चाहती थी, जिन्हें अदालत ने पहले ही न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. इनके साथ एक और व्यक्ति था जिसकी उम्र पकड़ते वक्त स्पष्ट नहीं थी. आरोपियों के नाम हैं: आहान अरुण उपाध्याय, अक्षय ई.आर., प्रकाश कुमार गुप्ता, बनका आकाश, समीयर फैयिस सी. और विष्णु शंकर.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट अरिंदम सिंह चीमा ने आरोपियों को तीन दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया. पुलिस ने एक हफ्ते की कस्टडी मांगी थी.

मजिस्ट्रेट ने कहा कि अतिरिक्त लोक अभियोजक ने सवाल उठाया कि अगर यह प्रदर्शन सिर्फ प्रदूषण के मुद्दे पर था, तो फिर प्रदर्शनकारी हिंसक क्यों हो गए और “हिडमा अमर रहे, कितने हिडमा मारोगे, हर घर से हिडमा निकलेगा, हिडमा जी को लाल सलाम” जैसे नारे क्यों लगाए.

पिछले हफ्ते आंध्र प्रदेश पुलिस ने मुठभेड़ में माओवादी नेता मडवी हिडमा को मार गिराया था.

ये नारे वीडियो में सुने जा सकते हैं, जिसे अदालत में चलाया गया.

पुलिस के वकील की दलील के अनुसार यह नारा प्रदूषण से जुड़ा नहीं है. उन्होंने कहा कि लाल किले की हाल की घटना को देखते हुए जांच एजेंसी को इस मामले की जांच करने से रोका नहीं जा सकता.

अतिरिक्त लोक अभियोजक ने यह भी कहा कि लाल किले मामले में आरोपी युवा, पढ़े-लिखे और कथित रूप से ब्रेनवॉश थे. इसलिए यह बहाना नहीं चल सकता कि प्रदर्शनकारी छात्र हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस को यह पता लगाना है कि इन नारों के पीछे कौन है, किस संगठन की भूमिका है और क्या साजिश है. उन्होंने कहा कि कई आरोपी हैं और न्यायिक हिरासत में पूछताछ संभव नहीं है.

दूसरी तरफ, वकील सुपंथा सिंघा, वर्तिका मणि त्रिपाठी और सिद्धार्थ तुलसी गणेशन ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की तुलना लाल किला धमाके से करना “बहुत दूर की बात” है.

‘नक्सलियों को सही ठहराना’

बुधवार को सुनवाई की शुरुआत में नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त ने एक स्टेटस रिपोर्ट देकर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा हमले के आरोपों से इनकार किया.

अदालत ने कहा कि अगर प्रदर्शनकारियों को कोई चोट आई है, तो वह पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें हटाने के दौरान उनके प्रतिरोध की वजह से लगी है, न कि हिरासत में मारपीट से.

दिल्ली पुलिस ने बताया कि रविवार शाम करीब 4.15 बजे, प्रदर्शनकारियों का एक ग्रुप, जो ज्यादातर ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (SFI), और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (JNUSU) से जुड़ा था, दिल्ली कोऑर्डिनेशन कमिटी फॉर क्लीन एयर के बैनर तले इंडिया गेट परिसर में घुस गया.

अलग-अलग बयानों में JNUSU और AISA ने कहा है कि इंडिया गेट पर हुए विरोध प्रदर्शन में उनके किसी भी सदस्य की कोई भूमिका नहीं थी.

AISA ने कहा, “हमारे ध्यान में आया है कि 23.11.25 को इंडिया गेट पर हुए विरोध प्रदर्शन को लेकर दर्ज एफआईआर में दिल्ली पुलिस ने गलत तरीके से AISA (और JNUSU) को आयोजक बताया है. AISA स्पष्ट रूप से कहा है कि दिल्ली पुलिस द्वारा हमें आयोजक बताना पूरी तरह गलत है. एफआईआर में दिल्ली पुलिस या सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार के किसी सदस्य द्वारा मीडिया के ज़रिए किया गया ऐसा दावा AISA और JNUSU के खिलाफ एक साज़िश है.”

इसी तरह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) ने कहा कि “हमारे ध्यान में आया है कि दिल्ली पुलिस ने रविवार को इंडिया गेट पर हुए विरोध प्रदर्शन को लेकर दर्ज एफआईआर में JNUSU को आयोजक बताया है.”

उन्होंने कहा, “हमारे पास इसका रिकॉर्ड है कि हमने दिल्ली पुलिस को साफ तौर पर बताया था कि JNUSU न तो इस कार्यक्रम का आयोजक है और न ही सहभागी. दिल्ली पुलिस को बार-बार यह जानकारी देने के बावजूद हमें नामित करना उसकी नीयत पर सवाल खड़े करता है.”

पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारी ‘दि हिमखंड’ नाम से सोशल मीडिया अकाउंट चला रहे थे और उन्होंने नारे लगाने, पोस्टर दिखाने और बैनर लगाने शुरू कर दिए.

पुलिस ने कहा कि जब उन्हें हटाने की कोशिश की गई, तो झड़प हुई. इसी दौरान एक प्रदर्शनकारी वाफिया ने पेपर स्प्रे अक्षय को दिया, जिसने उसे एक कॉन्स्टेबल पर स्प्रे कर दिया.

पहले प्रदर्शनकारियों पर BNS की धारा 74/79/115(2)/132/221/223(a)/61(2) के तहत मामला दर्ज किया गया था. बाद में हिड़मा के समर्थन में नारे लगाने के आधार पर एफआईआर में धारा 197(d) भी जोड़ दी गई, जो भारत की संप्रभुता, एकता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली गलत जानकारी फैलाने से जुड़ी है.

अतिरिक्त लोक अभियोजक सिंह ने कहा कि सरकार नक्सलवाद खत्म करने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े आरोपी ऐसे कृत्यों को “अनावश्यक हीरोइज़्म” दे रहे हैं और नक्सलियों के अवैध कामों को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे काम सुरक्षाबलों का मनोबल गिराते हैं.

पुलिस ने सात दिन की कस्टडी के लिए छह आधार बताए, जिनमें फंडिंग का पता लगाना, समूह के पीछे समन्वय और जुटान की प्रक्रिया समझना, और अन्य आरोपियों की पहचान शामिल थी.

अन्य कारणों में आरोपियों से पूछताछ कर साजिश का पता लगाना और उनके कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) मिलान करना शामिल था. पुलिस पेपर स्प्रे के स्रोत का भी पता लगाना चाहती थी.

मजिस्ट्रेट चीमा ने कहा कि जांच अधिकारी ने आरोपियों को पुलिस कस्टडी में लेकर पूछताछ की जरूरत बताई है ताकि पता लगाया जा सके कि किसने ये नारे लगाए, कौन-कौन शामिल था, CDR और मोबाइल चैट के आधार पर और कौन संदिग्ध है और फंडिंग कहां से हुई.

दिल्ली में हाल में हुए हमले को देखते हुए, मजिस्ट्रेट ने कहा कि जांच एजेंसी के अधिकार इस शुरुआती चरण में सीमित नहीं किए जा सकते, खासकर जब आरोप ऐसे नारों से जुड़े हों जो देश की संप्रभुता, एकता और सुरक्षा को खतरे में डालते हैं.

उन्होंने कहा कि आरोप गंभीर हैं, बड़ी साजिश का पता लगाना जरूरी है और प्रभावी जांच के लिए पुलिस कस्टडी जरूरी है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: कैसे मसाज भारत में ब्लाइंड लोगों के लिए एक नया करियर विकल्प बन रहा है


share & View comments