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Tuesday, 25 November, 2025
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बांग्लादेश सशस्त्र बल दिवस: राजदूत रियाज ने किया भारतीय शहीदों को नमन, रिश्तों को बताया बहु-स्तरीय

लेफ्टिनेंट-जनरल मनीष लूथरा 1971 के लिबरेशन वॉर में शहीद हुए 1,668 भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए हुए इवेंट में चीफ गेस्ट थे. यह इवेंट भारत-बांग्लादेश रिश्तों में आई खटास के बीच हो रहा है.

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नई दिल्ली: भारत-बांग्लादेश संबंध “गहरे और कई स्तरों वाले” हैं, यह बात बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज़ हमीदुल्लाह ने सोमवार को कही, जब वे 1971 के मुक्ति संग्राम में शहीद हुए 1,668 भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दे रहे थे. हमीदुल्लाह यहां बांग्लादेश सशस्त्र बल दिवस के कार्यक्रम में बोल रहे थे.

भारतीय सेना के मिलिट्री ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल (DGMO) लेफ्टिनेंट-जनरल मनीष लूथरा इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, जो नई दिल्ली और ढाका के संबंधों के एक महत्वपूर्ण अध्याय को दर्शाता है.

हमीदुल्लाह ने कहा, “मुझे 1971 की लड़ाई में सबसे बड़ी कुर्बानी देने वाले 1,668 भारतीय सैनिकों का कीमती योगदान याद है. मैं भारत के उन बचे हुए सैनिकों को याद करता हूं, जिनमें से कुछ हमारे बीच मौजूद हैं. हमें भारत में, खासकर त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में अनगिनत आम महिलाओं, पुरुषों और परिवारों को भी श्रद्धांजलि देनी चाहिए, जिन्होंने बहुत कुछ सहा और लड़ाई के दौरान लाखों बांग्लादेशियों के दुख में साथ दिया.”

बांग्लादेश सशस्त्र बल दिवस हर साल 21 नवंबर को मनाया जाता है. इसी दिन 1971 में सेना, नौसेना और वायु सेना ने मिलकर पाकिस्तानी कब्जे से देश को मुक्त कराने के लिए बांग्लादेश के सशस्त्र बलों का गठन किया था.

इस वर्ष सशस्त्र बल दिवस ऐसे समय में मनाया जा रहा है जब नई दिल्ली और ढाका के बीच संबंध खासे ठंडे हैं. 17 नवंबर को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT-B) ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ‘मानवता के खिलाफ अपराधों’ के लिए मौत की सजा सुनाई, जो पिछले साल छात्र प्रदर्शनों को दबाने से जुड़ी थी.

हसीना ढाका छोड़कर फिलहाल नई दिल्ली में हैं. ढाका ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग उठाई है और पिछले शुक्रवार को इस संबंध में नई दिल्ली को नया कूटनीतिक नोट भेजा गया. पिछले सप्ताह बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) में शामिल होने और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से द्विपक्षीय बैठक के लिए नई दिल्ली पहुंचे थे.

रहमान की यह यात्रा इस साल बांग्लादेश के किसी वरिष्ठ अधिकारी की दूसरी यात्रा थी. आखिरी बार फरवरी में बांग्लादेश के ऊर्जा सलाहकार भारत ऊर्जा सप्ताह के लिए नई दिल्ली आए थे. भारत ने हसीना पर आए फैसले पर ध्यान दिया है, लेकिन प्रत्यर्पण के अनुरोध पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है.

हालांकि हमीदुल्लाह ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंध “परस्पर सम्मान और भरोसे” पर आधारित हैं.

उन्होंने जोड़ा, “दो बड़ी आबादियों और साझा भूगोल वाले इस व्यापक संबंध में चुनौतियां भी रही हैं. कई बार संवेदनशील मुद्दे भी रहे हैं. फिर भी, बांग्लादेश ने लगातार बातचीत और समझौते पर भरोसा किया है, व्यवहारिकता अपनाई है और साझा भविष्य में विश्वास किया है.”

1971 के मुक्ति संग्राम में भारत की भागीदारी 3 दिसंबर से 16 दिसंबर तक रही. भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तीसरे युद्ध में पूर्व में पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण किया और पश्चिम में युद्धविराम हुआ. पूर्वी पाकिस्तान के आत्मसमर्पण से बांग्लादेश का गठन हुआ और शेख मुजीबुर रहमान ढाका लौटे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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