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Monday, 24 November, 2025
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विधानसभा सचिवालय ने अदालत से कहा- फांसीघर विवाद पर केजरीवाल व सिसोदिया सहयोग नहीं कर रहे

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नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने सोमवार को यहां उच्च न्यायालय से कहा कि फांसीघर मुद्दे पर विधानसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समिति के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं।

विधानसभा सचिवालय के वकील ने दलील दी कि समन जारी होने के बावजूद केजरीवाल और सिसोदिया एक बार भी समिति के समक्ष पेश नहीं हुए हैं और हवाला दिया कि उनकी याचिका अदालत में लंबित है।

इस साल फरवरी में दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद, विधानसभा अध्यक्ष बने विजेंद्र गुप्ता ने सदन को बताया था कि ब्रिटिश काल का यह ढांचा रिकॉर्ड के अनुसार एक “टिफिन रूम” था। ‘आप’ की पिछली सरकार के दौरान इसका जीर्णोद्धार किया गया था और 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने “फांसी घर” के रूप में इसका उद्घाटन किया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर झूठ फैलाया गया है और उन्होंने मामले को विशेषाधिकार समिति को भेज दिया।

विधानसभा सचिवालय का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता के समक्ष कहा, ‘याचिकाकर्ताओं (केजरीवाल और सिसोदिया) की ओर से लगातार सहयोग नहीं किया जा रहा है। वे विशेषाधिकार समिति के समक्ष एक बार भी पेश नहीं हुए हैं। यह उनका आचरण है।’

न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि अदालत ने इस मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है।

मेहता के मुताबिक, वादियों ने अदालत के समक्ष दावा किया है कि वे अंतरिम राहत नहीं चाहते हैं, बावजूद इसके याचिकाकर्ता समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं और लंबित याचिका का हवाला देकर अपनी उपस्थिति को टालने का प्रयास किया है।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर के लिए निर्धारित की है।

दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने पिछली ’आप’ सरकार के ‘फांसीघर’ दावों की जांच करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, राम निवास गोयल और राखी बिड़ला को 13 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा था। इसके बाद, उन्हें 20 नवंबर को पेश होने के लिए कहा गया।

केजरीवाल और सिसोदिया ने समन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और कहा है कि नोटिस से पता चलता है कि कार्यवाही किसी शिकायत या रिपोर्ट पर आधारित नहीं है, न ही इसमें विशेषाधिकार हनन या अवमानना ​के प्रस्ताव का उल्लेख है।

भाषा

नोमान दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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