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Monday, 24 November, 2025
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धर्मेंद्र-सनी-बॉबी: हिंदी सिनेमा की वह कामयाब पिता-पुत्र तिकड़ी, जिसकी कहानी अधूरी ही रह गई

जब धर्मेंद्र ने ‘अपने’ और ‘यमला पगला दीवाना’ फ्रेंचाइज़ में अपने बेटों के साथ स्क्रीन शेयर की, नतीजा था दर्शकों का पसंदीदा देओल जादू.

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नई दिल्ली: दिल तोड़ने वाले रोमांटिक हीरो और ‘ही-मैन’ बनने के बीच धर्मेंद्र ने एक और खास तरह का रोल भी बखूबी निभाया — पारिवारिक फिल्मों में पिता का किरदार, चाहे फिल्म कॉमेडी हो या एक्शन ड्रामा और यह जादू सबसे ज़्यादा तब चला, जब स्क्रीन पर उनके साथ उनके बेटे सनी और बॉबी देओल भी थे.

जब धर्मेंद्र अपने बेटों के साथ अपने (2007) और यमला पगला दीवाना फ्रेंचाइज़ (2011-2018) में आए, तो नतीजा था ऐसा देओल जादू जो सीधे दर्शकों के दिल में उतर गया, जहां कई पिता-पुत्र जोड़ियां फीकी पड़ गईं — अमिताभ और अभिषेक बच्चन (सरकार, पा) या पंकज और शाहिद कपूर (मौसम, जर्सी) — वहीं देओल तिकड़ी बॉक्स ऑफिस पर सफल रही.

पहली बार धर्मेंद्र-सनी-बॉबी को साथ देखने का मौका अपने में मिला — एक स्पोर्ट्स और इमोशनल ड्रामा, जो बॉक्सिंग की दुनिया पर आधारित था. पिता और बेटों को एक साथ देखने के उत्साह ने खासकर उत्तर भारत में दर्शकों को थिएटर तक खींचा और फिल्म अपने सुपरहिट बन गई. हिमेश रेशमिया के संगीत ने इसमें एक्स्ट्रा चमक जोड़ दी — टाइटल ट्रैक से लेकर रोमांटिक गाना ‘देखूं तुझे तो प्यार आए’ तक.

फिल्म में हर कुछ मिनट बाद सुनाई देने वाली लाइन “अपने तो अपने होते हैं” कहानी का भावनात्मक आधार बन गई थी. धर्मेंद्र ने बलदेव सिंह का किरदार निभाया — एक बॉक्सर जिसकी इमेज डोपिंग के झूठे आरोपों से खराब हो जाती है. फिल्म पिता और उसके दो बेटों, अंगद (सनी) और करन (बॉबी), की उस यात्रा को दिखाती है जहां वे पिता का सपना पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं.

धर्मेंद्र के पुराने फैंस के लिए बोनस यह था कि फिल्म में मैं इंतिकाम लूंगा (1982) की फुटेज का इस्तेमाल करके एक युवा बलदेव दिखाया गया, जहां सनी और बॉबी की एक्टिंग ठीक-ठाक थी, धर्मेंद्र एकदम सहज थे, एक ऐसे पिता के रूप में जो अपने टूटे सपनों और बेटे अंगद की अवहेलना के गुस्से से जूझ रहा है.

उनकी वापसी की एक्टिंग की आलोचकों ने खूब तारीफ की. टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा, “धरम अभी भी गरम है,” जबकि हिंदुस्तान टाइम्स ने कहा कि यह ऐसा ‘पंचनामा’ है जो स्क्रीन पर जाकर धर्मेंद्र को गले लगाने का मन कर दे. यूट्यूब पर इस फिल्म के करीब 3.4 करोड़ व्यूज़ हैं.

एक अधूरा सीक्वेल

अपने की भावनात्मक दुनिया के बाद देओल परिवार ने गियर बदला. यमला पगला दीवाना पूरी तरह कॉमेडी, कंफ्य्ज़न और धर्मेंद्र की पुरानी इमेज पर मज़ेदार इशारों से भरी हुई फ्रेंचाइज़ थी. इसका पहला हिस्सा 2011 में आया, फिर सीक्वेल 2013 और 2018 में.

इसका टाइटल भी धर्मेंद्र की पुरानी फिल्म प्रतिज्ञा (1975) के गाने ‘मैं जट्ट यमला पगला दीवाना’ से लिया गया था. पुलिस की वर्दी, लाल दुपट्टा और मस्ती से भरी अदाएं — फ्रेंचाइज़ ने उसी शरारती अंदाज़ को दोबारा जिया.

पहली फिल्म में परम्‍वीर (सनी) भारत लौटता है अपने बायोलॉजिकल पिता (धर्मेंद्र) को ढूंढने, जिससे वह जन्म के तुरंत बाद बिछड़ गया था, लेकिन उसे पता चलता है कि उसके पिता धरम सिंह ढिल्लों और भाई गजोधर (बॉबी) दोनों ठगी में माहिर हैं. यही फॉर्मूला बाद की फिल्मों में अलग-अलग तरीकों से दोहराया गया, लेकिन तीसरे पार्ट तक आते-आते जादू फीका पड़ गया और फिल्म फ्लॉप साबित हुई.

धर्मेंद्र और बॉबी देओल ने यमला पगला दीवाना (2011) में एक ठग पिता-पुत्र की भूमिका निभाई, जो कॉमेडी फ्रैंचाइज़ की पहली फिल्म थी | यूट्यूब स्क्रीनग्रैब
धर्मेंद्र और बॉबी देओल ने यमला पगला दीवाना (2011) में एक ठग पिता-पुत्र की भूमिका निभाई, जो कॉमेडी फ्रैंचाइज़ की पहली फिल्म थी | यूट्यूब स्क्रीनग्रैब

लेकिन 2020 में फैंस को फिर उम्मीद जगी, जब अपने-2 का ऐलान हुआ. बीच में फिल्म रुकी रही, लेकिन इस अगस्त में निर्देशक अनिल शर्मा ने कहा कि स्क्रिप्ट तैयार है.

देओल परिवार भी तैयार था. उन्होंने बताया, “जब मैंने कहानी धरम-जी को सुनाई, वो रो पड़े. बॉबी ने सुनकर मुझे गले लगा लिया…तीनों एक साथ फिल्म करना चाहते थे.”

लेकिन यह ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकेगी.

धर्मेंद्र के निधन से ठीक पहले उनकी एक और फिल्म इक्कीस का पोस्टर आया, जो 25 दिसंबर को रिलीज़ होने वाली थी. इसमें वह एक परम वीर चक्र विजेता के पिता बने हैं.

पोस्टर पर लिखा था — “Fathers raise sons. Legends raise nations.”

(इस फीचर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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