नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सस्टेनेबिलिटी रैंकिंग मंगलवार को जारी की गई जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली को भारत का सर्वश्रेष्ठ संस्थान माना गया है और इसके बाद आईआईटी बंबई और आईआईटी खड़गपुर को जगह दी गई है।
स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी ने 2023 में रैंकिंग की शुरुआत होने के बाद पहली बार शीर्ष स्थान हासिल किया है।
टोरंटो विश्वविद्यालय को 2024 और 2025 की विश्व रैंकिंग में सर्वश्रेष्ठ चुना गया था जो इस साल दूसरे स्थान पर फिसल गया है। तीसरा स्थान ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन को मिला जो पिछले साल पांचवे स्थान पर था।
इस वर्ष 26 नई प्रविष्टियों के साथ, भारत उन चार उच्च शिक्षा प्रणालियों में से एक है, जिनके 100 से अधिक विश्वविद्यालय इस रैंकिंग में शामिल हैं।
लंदन में कार्यरत क्यूएस ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत के 103 विश्वविद्यालयों में से 32 ने इस साल अपनी रैंकिंग में सुधार किया है, 15 ने पिछले साल वाली ही रैंकिंग बरकरार रखी है और 30 की रैंकिंग में गिरावट आई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली एक बार फिर भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला संस्थान है, जो इस साल 205वें स्थान पर है। हालांकि, संस्थान का समग्र स्कोर पिछले संस्करण की तुलना में अधिक है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘इस वर्ष रैंकिंग में शामिल 15 आईआईटी में से छह ने 2025 की तुलना में 2026 में अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। आईआईटी दिल्ली उन छह आईआईटी में से एक है, जिसने तीन साल पहले प्रारंभिक रैंकिंग के बाद से महत्वपूर्ण प्रगति की है।’’
बयान के मुताबिक इस रैंकिंग के 2026 संस्करण में कई भारतीय विश्वविद्यालयों ने अपना सर्वोच्च स्कोर हासिल किया और नौ ने शीर्ष 700 स्थानों में जगह बनाई है। इनमें वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आईआईटी रुड़की, शूलिनी यूनिवर्सिटी ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंसेज, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब विश्वविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, राउकेला स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), आईआईटी-बीएचयू और यूपीईएस शामिल हैं।
क्यूएस की सीईओ जेसिका टर्नर ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, भारतीय विश्वविद्यालय ज्ञान के आदान-प्रदान और पर्यावरणीय स्थिरता के मामले में उत्कृष्ट हैं। उच्च शिक्षा प्रणाली, विशेष रूप से आईआईटी और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में, कुछ उत्कृष्ट व्यक्तिगत प्रदर्शन भी हैं। जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में उच्च शिक्षा की भूमिका इन रैंकिंग में उजागर होती है। सतत विकास में भारत की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता।’’
भाषा धीरज नरेश
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