नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) वाणिज्य मंत्रालय ने 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) के लिए विस्तृत दिशानिर्देश तैयार करने का काम शुरू कर दिया है और वह इसी महीने से इन्हें जारी करना शुरू कर देगा। एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
सरकार ने 12 नवंबर को 2025-26 से शुरू होने वाले छह वित्त वर्षों के लिए 25,060 करोड़ रुपये के व्यय के साथ निर्यात संवर्धन मिशन को मंजूरी दी है। इससे निर्यातकों को अमेरिका के उच्च शुल्कों से निपटने में मदद मिलेगी।
इस मिशन को दो उप-योजनाओं – निर्यात प्रोत्साहन (10,401 करोड़ रुपये) और निर्यात दिशा (14,659 करोड़ रुपये) के जरिये लागू किया जाएगा।
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘निर्यात संवर्धन मिशन पर, हम पहले से ही काम कर रहे हैं। कई उप-समितियां गठित हैं जो इनमें से प्रत्येक पहलुओं पर विस्तृत दिशानिर्देशों पर विचार कर रही हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम इन्हें इसी महीने जारी करना शुरू कर देंगे। यदि सभी नहीं, तो इस महीने के अंत तक इन दिशानिर्देशों का एक बड़ा हिस्सा जारी हो जाएगा।’’
इस मिशन के तहत, कपड़ा, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों जैसे वैश्विक शुल्क वृद्धि से प्रभावित क्षेत्रों को प्राथमिक आधार पर सहायता प्रदान की जाएगी।
ये क्षेत्र अमेरिकी बाजार में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उच्च आयात शुल्क के कारण, अक्टूबर में अमेरिका को भारत का वस्तु निर्यात 8.58 प्रतिशत घटकर 6.3 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगा दिया है। दोनों देश एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।
सचिव ने कहा कि इस मिशन के माध्यम से सरकार निर्यातकों के लिए व्यापार वित्त के सभी पहलुओं पर ध्यान देने का प्रयास कर रही है।
निर्यात प्रोत्साहन के अंतर्गत ब्याज सहायता, तत्काल नकद के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचे गये सामान के बिलों की बिक्री (निर्यात फैक्टरिंग), कर्ज सुविधा, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नए बाजारों में विविधीकरण के लिए ऋण वृद्धि सहायता जैसे विभिन्न साधनों के माध्यम से एमएसएमई के लिए किफायती व्यापार वित्त तक पहुंच में सुधार पर ध्यान दिया जाएगा।
इसी प्रकार, निर्यात दिशा के अंतर्गत, गैर-वित्तीय सहायता पर ध्यान दिया जाएगा जो बाजार के लिए तैयार रहने में सहायता के साथ प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाते हैं। इसमें निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग, पैकेजिंग और व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात भंडारण और लॉजिस्टिक और व्यापार के बारे में सटीक जानकारी और क्षमता निर्माण पहल शामिल हैं।
भाषा रमण अजय
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