नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली के एक फैक्लटी मेंबर को सोशल मीडिया पर काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. आईआईटी दिल्ली में पढ़ाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी ने हिंदुइज्म की उत्पत्ति को लेकर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि महात्मा गांधी ने ‘फाल्स हिंदू बहुसंख्यक’ के विचार को बढ़ाने में मदद की है.
दिव्या आईआईटी दिल्ली में फिलॉसफी और साहित्य पढ़ाती हैं. उन्होंने गांधी पर एक किताब भी लिखी है. पिछले सप्ताह एनडीटीवी पर हो रहे डिबेट में उन्होंने ये बयान दिया था.
दिव्या ने अपने बयान में कहा था, ‘हिंदू धर्म की खोज 20वीं शताब्दी में हुई थी. इसके पीछे कारण यह था कि निम्न जातीय लोगों की स्थिति को छुपाया जा सके.’ द्विवेदी ने एनडीटीवी चैनल पर गांधी और राजनीति मुद्दे पर हो रहे बहस के दौरान ये बातें कही थी.
Watch | Divya Dwivedi, Assistant Professor, IIT and Author Hindol Sengupta on #TheBigFight. pic.twitter.com/hkrtZK4bVS
— NDTV (@ndtv) October 4, 2019
उन्होंने कहा, ‘देश में धार्मिक अल्पसंख्यक गलत तरीके से बनाई गई धारणा की वजह से पीड़ित हैं. हिंदू धर्म के बारे में बनाई गई इस धारणा को मजबूत करने में गांधी की अहम भूमिका है. गांधी ने फाल्स हिंदू बहुसंख्यक की धारणा बनाने में मदद की.’
द्विवेदी ने कहा, ‘गांधी एक सवर्ण नेता थे. उन्होंने अपनी राजनीति के लिए ऐसा किया था. ऐसी चीजों को अब नकारने की जरूरत है.’
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इस डिबेट की वीडियो तेजी से वायरल हुई. जिसके बाद सोशल मीडिया पर आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर को निशाना बनाना शुरू कर दिया गया. कई लोगों ने उनकी छवि और प्रीमियर संस्थान में पढ़ाने को लेकर भी सवाल करने शुरू कर दिए.
द्विवेदी ने दिप्रिंट को ई-मेल के जरिए बताया कि वो इस विवाद पर कुछ नहीं बोलना चाहती. लेकिन ऐसे कई अध्ययन हैं जो मेरे दावे को साबित कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘कई सारे अकादमिक अध्ययन हैं. उन्होंने डीएन झा, वसुधा डालमिया और हेनरिच वॉन और 1921 के भारतीय जनगणना रिपोर्ट का हवाला दिया.’ उन्होंने कहा, मैंने इस मामले पर इंडियन एक्सप्रेस में एक लंबा लेख लिखा है. जिसका शीर्षक है ‘करेज टू बिगेन’.
पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर दिव्या को खूब निशाना बनाया जा रहा है. जिसमें उन्हें हिंदुइज्म के इतिहास के बारे में बताया जा रहा है.
भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रवक्ता अमृता भिंडर ने ट्विटर पर लिखा, ‘उन्हें बैठना चाहिए और अपने माथे को थोड़ा आराम देना चाहिए. 1700-1100 बीसीई : हिंदू वेदों और ऋृगवेद की रचना हुई थी. 1500 बीसीई के करीब वैदिक युग की शुरुआत हुई थी. भारतीय उपमहाद्वीप में धर्म की उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही है. विश्व का सबसे पुराना धर्म.
She should sit down and give her mind a rest 🙂
1700–1100 BCE: Hindu Vedas the Rig Veda was composed.
1500 BCE Vedic Age began in India after Indus Valley Civilisation.
Religion in Indian subcontinent tracing back to Indus Valley Civilization. Called "oldest religion" in world https://t.co/yCtNYwO358
— Amrita Bhinder (@amritabhinder) October 5, 2019
इतिहासकार एस इरफान हबीब भी द्विवेदी के ट्वीट से असहमत हैं. उन्होंने उनके बयान को बेकार बताया है.
इरफान हबीब ने ट्विटर पर लिखा, ‘उनका बयान सच में तुच्छ है. उन्हें पता भी नहीं है कि वो क्या कह रही हैं. पूरी तरह से नहीं पता कि उनका लेफ्ट से कुछ लेना-देना भी है कि नहीं.’
She was really frivolous, had no idea what she is talking about and the context of the debate. Not sure if she has anything to do with the left though. https://t.co/IFxERrQDLY
— S lrfan Habib (@irfhabib) October 6, 2019
कौन है दिव्या द्विवेदी
दिव्या गांधी एंड फिलॉसफी : ऑन थियोलॉजिकल एंटी-पोलिटिक्स किताब की सह-लेखिका हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने साहित्य में स्नातक किया है. डीयू से ही उन्होंने एम.ए. और एम.फिल पूरी की है. आईआईटी दिल्ली के सोशल साइंस विभाग से उन्होंने अपनी पीएचडी की है.
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संस्थान के वेबसाइट पर उनकी प्रोफाइल के अनुसार द्विवेदी के रिसर्च क्षेत्र में नैरोटोलॉजी और लिटरल थ्योरी शामिल है.
आईआईटी दिल्ली में पढ़ाने से पहले दिव्या दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग और सेंट स्टीफंस कॉलेज में भी पढ़ा चुकी हैं.
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