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Monday, 17 November, 2025
होमविदेश2024 में ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के लिए बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना को फांसी की सज़ा

2024 में ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के लिए बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना को फांसी की सज़ा

78 साल की हसीना की गैर-हाज़िरी में सुनवाई हुई क्योंकि पिछले साल अगस्त में हलचल के दौरान देश छोड़ने के बाद से वह नई दिल्ली में स्वैच्छिक निर्वासन में रह रही हैं.

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नई दिल्ली: बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले साल हुए छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन पर कार्रवाई के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए फांसी की सज़ा सुनाई है. इसी कार्रवाई ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था.

एक टेलीविज़न पर सुनाए गए फैसले में, ट्रिब्यूनल ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्ज़मान खान कमाल को भी फांसी की सज़ा दी और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को पांच साल की जेल की सज़ा सुनाई.

सरकार-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए थे. यह अवधि 1971 के आज़ादी युद्ध के बाद देश की सबसे घातक अवधि मानी जा रही है. 78 साल की हसीना की गैर-हाज़िरी में सुनवाई हुई क्योंकि वह पिछले साल अगस्त में हलचल के दौरान देश से भागने के बाद से ही नई दिल्ली में स्वैच्छिक निर्वासन में रह रही हैं.

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने सुरक्षा कड़ी कर दी थी, क्योंकि फैसले से पहले देश में तनाव बढ़ गया था. यह फैसला अगले साल फरवरी में होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले आया है. हसीना की पार्टी, अवामी लीग, चुनाव आयोग द्वारा उसका पंजीकरण निलंबित किए जाने के बाद से प्रभावी रूप से चुनाव लड़ने से रोकी गई है.

अदालत का आदेश पढ़े जाने से ठीक पहले हसीना ने अपने अवामी लीग समर्थकों के लिए एक ऑडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा: “वे जो भी फैसला सुनाना चाहें, सुना दें. इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. अल्लाह ने मुझे यह ज़िंदगी दी है, वही इसे खत्म कर सकता है. मैं फिर भी अपने लोगों की सेवा करूंगी.”

पूर्व प्रधानमंत्री के समर्थकों ने हसीना के खिलाफ चल रहे इस केस के विरोध में राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया. तनाव की आशंका को देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ढाका और देश के कई हिस्सों में अर्धसैनिक सीमा रक्षक बल और पुलिस तैनात कर दी.

मुकदमे के दौरान, अभियोजन पक्ष ने अवामी लीग प्रमुख के लिए फांसी की सज़ा की मांग की थी.

हसीना के बेटे सजीब वाज़ेद ने फैसले से पहले रॉयटर्स से कहा था कि अगर पार्टी पर लगा प्रतिबंध नहीं हटाया गया तो अवामी लीग समर्थक फरवरी के चुनावों को रोक देंगे और चेतावनी दी थी कि विरोध प्रदर्शन हिंसा में बदल सकते हैं.

फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा: “लगभग एक महीने तक चलने वाली ज्यादती को रोकने के लिए कदम उठाना उनकी (हसीना की) जिम्मेदारी थी. उन्होंने दोषियों के खिलाफ कोई सज़ा देने वाला कदम नहीं उठाया.”

ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि हसीना ने ड्रोन का इस्तेमाल करने और प्रदर्शनकारियों की लोकेशन ट्रेस करने, साथ ही आंदोलन को दबाने के लिए हेलीकॉप्टर और घातक हथियार भेजने के निर्देश दिए थे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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