नई दिल्ली: आर्थिक मंदी और नौकरियां चले जाने के डर के बावजूद देश के बड़े शिक्षण संस्थानों में शुमार आईआईटी में 2018-19 के विद्यार्थियों को अच्छा प्लेसमेंट मिला है. इस साल हुए प्लेसमेंट के बाद विद्यार्थियों में उम्मीद जगी है कि अगले साल भी उन्हें अच्छी नौकरी मिलेंगी. इस साल भी संस्थान में अच्छी कंपनियां नौकरियां देने आ सकती हैं.
हालांकि विदेशों से नौकरियों के ऑफर न मिलने का डर अभी भी बना हुआ है.
पुराने आईआईटी दिल्ली, बाम्बे, मद्रास, कानपुर, रुड़की के साथ-साथ नए बने आईआईटी मंडी में भी सत्र 2018-19 में अच्छा प्लेसमेंट हुआ है. पूरी दुनिया में जिस तरह से आर्थिक मंदी का माहौल बना हुआ है उसके बावजूद छात्रों का अच्छा प्लेसमेंट शुभ संकेत है.
इंटर्नशिप सेशन अभी चल रहा है. दिसंबर से प्लेसमेंट शुरू होंगे.
आईआईटी कानपुर में प्लेसमेंट कॉर्डिनेटर मोहम्मद अनस ने दिप्रिंट को बताया, ‘आर्थिक मंदी के कारण 2018-19 के प्लेसमेंट पर कोई असर नहीं पड़ा है. यहां तक की इंटर्नशिप ऑफर पर भी कोई असर नहीं पड़ा है. कानपुर में विद्यार्थियों को अच्छे इंटर्नशिप ऑफर मिल रहे हैं.’
आंकड़ें
आईआईटी के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार आईआईटी बॉम्बे के 1186 विद्यार्थियों को 2018-19 में नौकरी मिली है. यह संख्या 2017-18 में 1,117 थी जबकि 2016-17 में 1,114 थी.
आईआईटी मद्रास में 2018-19 में 1151 छात्रों को नौकरी मिली है. 2017-18 में यह आंकड़ा 971 था. वहीं 2017-17 में 935 छात्रों को नौकरी मिली थी.
आईआईटी दिल्ली से 2018-19 में ग्रेजुएट हुए लगभग 1000 छात्रों को नौकरी मिली है. 2017-18 के मुकाबले इस साल प्लेसमेंट में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
आईआईटी दिल्ली में प्लेसमेंट अधिकारी के अनुसार 2018-19 का साल अभी तक का सबसे अच्छा प्लेसमेंट सत्र रहा है. लेकिन उन्होंने कहा कि संस्थान निश्चित संख्या के बारे में नहीं बता सकता.
आईआईटी कानपुर में प्लेसमेंट में 1045 छात्र शामिल हुए थे. इनमें से 813 छात्रों की नौकरी लगी है. प्रतिशत में यह लगभग 78 फीसदी है. 2017-18 में 804 और 2016-17 में 630 छात्रों को नौकरी मिली थी.
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आईआईटी रुड़की में पिछले तीन सालों से हर साल 1000 से ज्यादा छात्रों को नौकरी मिलती रही है. 2018-19 में 1127, 2017-18 में 1022 और 2016-17 में 1167 छात्रों को संस्थान की तरफ से नौकरी मिली थी.
पुराने आईआईटी के इतर नए आईआईटी जैसे कि मंडी में भी पिछले सत्र में अच्छा प्लेसमेंट हुआ है. मंडी आईआईटी के वेबसाइट के अनुसार 2018-19 में 85 छात्रों को नौकरी मिली थी.
आईआईटी मंडी के प्लेसमेंट कार्डिनेटर के अनुसार इंटर्नशिप सेशन अभी शुरू हुआ है. हमें उम्मीद है कि कंपनियों की तरफ से अच्छे संकेत मिलेंगे.
अभी तक के सारे आंकड़ें संस्थान के वेबसाइट से और प्लेसमेंट सेल से हासिल किए गए हैं.
सब कुछ धारणाओं का खेल है
यह पूछने पर कि आर्थिक मंदी का प्लेसमेंट पर कोई फर्क क्यों नहीं पड़ा है. आईआईटी बाम्बे के वरिष्ठ फैक्लटी सदस्य ने कहा, ‘जो कंपनी आईआईटी से पहले से जुड़ी हैं वो अभी भी इससे जुड़ी हुई हैं.’
सदस्य ने कहा, ‘प्लेसमेंट ऑफर ज्यादातर संस्थान की छवि के अनुसार होता है. अगर किसी कंपनी को लगता है कि आईआईटी बाम्बे या कोई भी आईआईटी के बच्चे अच्छे होते हैं तो वो यहां से छात्रों को नौकरी देते हैं. फिर कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आर्थिक स्थिति अच्छी है या बुरी है.’
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार आर्थिक मंदी सबसे पहले असंगठित क्षेत्र को प्रभावित करता है. जो कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद बुरी स्थिति में है. संगठित क्षेत्र में बाद में फर्क दिखता है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत का कहना, ‘आर्थिक मंदी तो है लेकिन इसने अभी संगठित क्षेत्र को प्रभावित नहीं किया है. इसके प्रभाव को देखने के लिए अभी समय लगेगा. जब बात आईआईटी ग्रेजुएट की होती है तो इन लोगों की हमेशा ही मांग होती है. वो भी जब ऑटोमेशन तेजी से हो रहा है. आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और इंटरनेट के दौर में आईआईटी के लोगों की जरूरत है.’
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जब अंतरराष्ट्रीय ऑफर की बात होती है तो पिछले साल के मुकाबले इस साल अच्छे प्लेसमेंट की उम्मीद कम है.
आईआईटी दिल्ली के प्लेसमेंट कॉर्डिनेटर उत्कर्ष अग्रवाल कहते हैं, ‘संस्थान को पिछले साल देश और विदेशी कंपनियों से अच्छे ऑफर मिले थे. लेकिन इस साल विदेशी ऑफर मिलने की उम्मीद थोड़ी कम है.’
अग्रवाल ने कहा, ‘अगर आर्थिक मंदी का असर दिसंबर में होने वाली प्लेसमेंट में ही पता चलेगा.’
आईआईटी ग्रेजुएट को देश के सबसे अच्छे इंजीनियरों के तौर पर जाना जाता है. वैश्विक इंप्लोएब्लिटी रैंकिंग ने इस साल आईआईटी बांम्बे के ग्रेजुएट को सबसे अच्छा माना है. टॉप 10 की सूची में आईआईटी दिल्ली, मद्रास, खड़कपुर और कानपुर का नाम भी शामिल है.
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