नई दिल्ली: श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने में शुक्रवार को आकस्मिक धमाका उस वक्त हुआ, जब ज्वलनशील सामग्री से भरी बोरियों पर लाख की सील लगाई जा रही थी. यह जानकारी धमाके में घायल दो पुलिसकर्मियों के बयानों से दिप्रिंट को मिली है.
लाख की सील भारत में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जब्त की गई चीज़ों—जैसे प्रतिबंधित सामान, दस्तावेज़, नकदी या अन्य सबूत—को सुरक्षित रखने का पारंपरिक तरीका है. रेज़िन-आधारित मोम को एक छोटी लौ से गर्म करके पिघलाया जाता है और फिर उसे जब्त किए गए सामान के खुले हिस्से पर लगाया जाता है. इसके बाद उस पर आधिकारिक मुहर लगाई जाती है.
यह धमाका, जिसमें कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए, उस थाने में हुआ जो एक अंतरराज्यीय ‘व्हाइट कॉलर’ टेरर मॉड्यूल पर कार्रवाई के केंद्र में था. इसी स्टेशन में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने वह ज्वलनशील सामग्री रखी थी जो हरियाणा के फरीदाबाद में मॉड्यूल के ऑपरेटिवों के दो घरों पर छापेमारी के दौरान बरामद हुई थी.
यह टेरर मॉड्यूल, जिसमें फरीदाबाद में रहने वाले कश्मीरी डॉक्टर भी शामिल थे, कथित तौर पर 10 नवंबर को नई दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके के पीछे था.
प्रोटोकॉल पर सवाल
पुलिस स्टेशन में हुए धमाके ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा ज्वलनशील सामग्री को संभालने और रखने के तरीकों पर चिंता बढ़ा दी है.
एक ऐसा ही धमाका सितंबर 2021 में ओडिशा में हुआ था, जब पुरी के बालंगा थाने में रखी विस्फोटक सामग्री में आग लग गई थी, जिससे पूरी इमारत ढह गई थी. कोई जनहानि नहीं हुई थी, लेकिन इस घटना के बाद ओडिशा पुलिस ने एक सर्कुलर जारी कर पुलिस स्टेशनों में विस्फोटक रखने पर रोक लगा दी थी.
राज्य पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों को जारी अपने अपडेटेड सर्कुलर में कहा था, “विस्फोटक सामग्री, संक्षारक पदार्थ और अत्यधिक ज्वलनशील चीज़ें सामान्य तौर पर पुलिस स्टेशन के मालखाने में नहीं रखी जानी चाहिए. बहुत ज़रूरी परिस्थिति में, अगर इन्हें मालखाने में रखना भी पड़े, तो यह तभी किया जाए जब बम निरोधक दस्ते या अन्य विशेषज्ञ एजेंसियों द्वारा जांच कर ली जाए और सभी ज़रूरी सावधानियां बरती जाएं.”
ओडिशा SOP से परिचित एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि बड़ी मात्रा में विस्फोटक रखना किसी भी केस की ट्रायल प्रक्रिया में सबूत के मूल्य को नहीं बढ़ाता. इसके बजाय, यह मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों के लिए सुरक्षा खतरा पैदा करता है.
उन्होंने कहा, “बरामदगी की मात्रा आम तौर पर किसी केस में सबूत के मूल्य को बहुत नहीं बढ़ाती. इसे सैंपल लेने के बाद उसी जगह तुरंत नष्ट कर देना चाहिए. बम निरोधक दस्ते, जो नमूना लेने और विस्फोटक को नष्ट करने में मदद करते हैं, ऐसे प्रमाणपत्र जारी करते हैं जो सामग्री की प्रकृति और मात्रा को साबित करते हैं और ये अदालत में मान्य होते हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि ज्वलनशील सामग्री रखना एक “सुरक्षा खतरा” है और इसे पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.
पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO), जो भारत में ज्वलनशील सामग्री के भंडारण और हैंडलिंग को नियंत्रित करता है, का कहना है कि ऐसी चीज़ें सिर्फ अच्छी स्थिति वाले लाइसेंसशुदा मैगज़ीन (भंडारगृह) में ही रखी जानी चाहिए. विस्फोटकों के बक्सों की परतें एक-दूसरे से कम से कम 60 सेमी दूर रखी जानी चाहिएं और मैगज़ीन पर लगे लाइटनिंग कंडक्टरों की हर साल जांच होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी रेज़िस्टेंस (10 ओहम से कम) और गुणवत्ता ठीक है.
PESO के दिशानिर्देश यह भी कहते हैं कि एक मैगज़ीन में रखे गए विस्फोटकों की ऊंचाई 2.5 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. विस्फोटकों का परिवहन सिर्फ उन्हीं वाहनों में होना चाहिए जो सड़क योग्य और तकनीकी रूप से फिट हों. और हर ऐसे वाहन में दो फायर एक्सटिंग्विशर होना अनिवार्य है.
क्या मोम है वजह
जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा जब्त किए गए 2,900 किलो विस्फोटक और गोला-बारूद में 2,000 किलो से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट शामिल था.
अमोनियम नाइट्रेट, जैसा कि दिप्रिंट ने पहले भी रिपोर्ट की है, एक आम तौर पर मिलने वाला उर्वरक है जिसे ईंधन के साथ मिलाकर आईइडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाया जा सकता है, लेकिन जलने के लिए इसे हमेशा ईंधन की ज़रूरत नहीं होती.
एडवाइजरी में कहा गया है कि 2015 की अमेरिकी सरकारी एडवाइजरी में कहा गया है कि शुद्ध अमोनियम नाइट्रेट आमतौर पर स्थिर होता है, लेकिन किसी भी तरह का मिलावट इसकी संवेदनशीलता बढ़ा देती है. गर्मी, स्टोरेज स्पेस और दूसरी चीजों—जैसे मोम—के संपर्क से भी धमाका हो सकता है.
एडवाइजरी में कहा गया था, “अमोनियम नाइट्रेट एक मजबूत प्रारंभिक प्रेरक स्रोत या बहुत ज्यादा तापमान पर बंद जगह में होने पर विस्फोट, विस्फोटक टूट-फूट (explosive decomposition) या विस्फोटक प्रतिक्रिया (explosive reaction) करने में सक्षम है. अगर ईंधन या संवेदनशीलता बढ़ाने वाले तत्व (sensitising contaminants) मौजूद हों, तो इसके फटने की संभावना और बढ़ जाती है.”
एक उदाहरण देते हुए एडवाइजरी में बताया गया कि टेक्सास में 1947 में अमोनियम नाइट्रेट ले जा रहे दो कार्गो वाहन फट गए क्योंकि कम्पाउंड को “मौम की कोटिंग के साथ बनाया गया था और पेपर बैग में स्टोर किया गया था.”
इसमें लिखा था, “मोम, AN के साथ रिएक्ट कर सकता था और विस्फोटक स्थिति बना सकता था.” यह भी लिखा था कि दूसरे विस्फोट की वजह शायद पहला विस्फोट होने के बाद लगी आग थी.
अमोनियम नाइट्रेट जब जलता है तो यह नाइट्रोजन ऑक्साइड भी निकालता है, जो आगे विस्फोट को और बढ़ा सकता है.
जांच के आदेश
जम्मू-कश्मीर पुलिस के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) नलिन प्रभात ने शनिवार को कहा कि धमाका हादसा था और यह तब हुआ जब फॉरेंसिक साइंसेज लेबोरेटरी (FSL) की टीम जब्त किए गए सामान से सैंपल इकट्ठा कर रही थी.
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे ने शनिवार को नई दिल्ली में पत्रकारों को बताया कि 9 और 10 नवंबर को फरीदाबाद में हुई रेड में “बहुत बड़ी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ, केमिकल और रासायनिक सामान” बरामद किए गए थे.
उन्होंने कहा, “बरामद सामान को नौगाम थाने के ओपन एरिया में सुरक्षित रखा गया था. तय प्रक्रिया के तहत, बरामद सामान के सैंपल को आगे फॉरेंसिक और केमिकल जांच के लिए भेजना ज़रूरी था.”
लोखंडे ने कहा कि जब्त सामान की मात्रा “बहुत ज्यादा” होने के कारण FSL टीम पिछले दो दिनों से जांच का काम कर रही थी.
उन्होंने कहा, “बरामद सामान अस्थिर और संवेदनशील प्रकृति का था, इसलिए इसे बहुत सावधानी से संभाला जा रहा था, लेकिन इसी दौरान 14.11.2025 को रात करीब 11:20 बजे बड़ा विस्फोट हो गया.”
संयुक्त सचिव ने यह भी बताया कि पुलिस स्टेशन के इस विस्फोट की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. हालांकि, और जानकारी अभी आना बाकी है.
नौगाम धमाके के वीडियो में दिखाई देता है कि आग वाहनों और आसपास के घरों तक फैल गई. पुलिस की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) के एक कर्मचारी, FSL टीम के तीन सदस्य, पुलिस की क्राइम विंग के दो कर्मचारी, दो राजस्व अधिकारी और एक दर्जी की इस धमाके में मौत हो गई.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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