नई दिल्ली: राजनीतिक सलाहकार से नेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी शुरुआती गिनती में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में संघर्ष करती दिख रही है, जिससे निराशा के संकेत मिल रहे हैं.
जेएसपी ने बिहार की 243 में से 238 सीटों पर चुनाव लड़ा. पीके ने हमेशा दावा किया था कि उनकी पार्टी या तो ‘अर्श’ पर होगी या ‘फर्श’ पर — यानी या तो 150 सीटें जीतेगी या एक भी नहीं. किशोर का पूरा अभियान प्रवासी मजदूरों पर केंद्रित था. उन्होंने वादा किया था कि छठ पर घर लौटे लाखों प्रवासियों को जेएसपी की सरकार बनने पर दोबारा 10-12 हज़ार रुपये प्रति महीने की नौकरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा.
शुरुआती रुझानों के मुताबिक, सुबह 11:40 बजे तक जेएसपी 238 की सभी सीटों पर पीछे थी.
2021 में राजनीतिक सलाहकार का करियर छोड़ने के कुछ महीनों बाद, किशोर ने 2 अक्टूबर 2022 को जन सुराज पदयात्रा शुरू की थी, जिसमें दो साल तक बिहार के हज़ारों गांवों को कवर किया गया. दो साल बाद, 2 अक्टूबर 2024 को उन्होंने अपनी पार्टी — जन सुराज पार्टी शुरू की.
भ्रष्टाचार को अपने मुख्य मुद्दों में से एक बनाते हुए, किशोर ने बिहार में अपनी पहली चुनावी परीक्षा के दौरान नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को निशाने पर लिया. उन्होंने जोरदार प्रचार किया और बीजेपी–जेडीयू सरकार के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए.
चुनाव से पहले राज्यभर में उनकी रैलियों और रोड शो में बड़ी भीड़ जुटी, लेकिन कई लोगों का कहना था कि जमीन पर चर्चा तो है, लेकिन वोटर नई पार्टी को वोट देने को लेकर संकोच में हैं. जैसे-जैसे चुनाव का माहौल एनडीए और महागठबंधन के बीच ध्रुवीकृत होता गया, जेएसपी को पीके की चर्चा को वोटों में बदलने की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा.
जन सुराज नेता, जिन्होंने अपनी पार्टी को ‘तीसरा विकल्प’ बताया था, लोगों से ‘जाति राजनीति’ से आगे बढ़कर ‘साफ-सुथरी’ सरकार चुनने की अपील करते रहे. उन्होंने बीजेपी और जेडीयू के शीर्ष नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए, जिनमें बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, दिलीप जायसवाल और मंगल पांडे शामिल थे.
उन्होंने जेडीयू पर भी निशाना साधा और बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी — जो सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं — पर भी आरोप लगाए.
हालांकि, कई लोग उम्मीद कर रहे थे कि किशोर खुद चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा. उनका कहना था कि यह पार्टी नेतृत्व का सामूहिक फैसला है.
पार्टी की उम्मीदवार सूची ने भी काफी चर्चा बटोरी क्योंकि इसमें वकील, डॉक्टर और शिक्षाविद जैसे कई पेशेवर शामिल थे. इनमें पूर्व आईपीएस अधिकारी आर.के. मिश्रा (दरभंगा से) और मशहूर गणितज्ञ के.सी. सिन्हा (कुम्हरार से) शामिल थे.
पार्टी ने कुछ ड्रामा भी देखा. चुनाव से कुछ दिन पहले किशोर ने आरोप लगाया था कि उनकी पार्टी के तीन उम्मीदवारों ने बीजेपी के दबाव में नामांकन वापस ले लिया. चुनाव से ठीक पहले आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में किशोर ने दावा किया कि दानापुर में जन सुराज के उम्मीदवार अखिलेश कुमार उर्फ मटूर शाह को बीजेपी ने रोका और उन्हें नामांकन दाखिल नहीं करने दिया. उन्होंने कहा कि उम्मीदवार को पूरे दिन बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं — जिनमें अमित शाह भी शामिल थे — के साथ रोके रखा गया.
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