नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 10 नवंबर को फरीदाबाद के डॉक्टरों द्वारा चलाए जा रहे जिस आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था, वह अपने ऑपरेशन के दूसरे चरण में था. इस चरण में वह बम बनाने के लिए कच्चा माल जुटा रहे थे. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि अगले चरण में लगभग 3,000 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य सामग्री का इस्तेमाल करके बम तैयार किए जाने थे. इन बमों को अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाना था और उन्हें उन लोगों को सौंपा जाना था जो असली धमाके अंजाम देते.
अंतिम योजना राष्ट्रीय राजधानी (दिल्ली) में सिलसिलेवार धमाके करने की थी, लेकिन अब तक सुरक्षा एजेंसियों को गिरफ्तार किए गए आतंकियों से यह नहीं पता चल सका है कि वह सटीक स्थान कौन-से थे जहां धमाके होने थे.
सूत्रों ने बताया कि हो सकता है इन आतंकियों को उनके असली मास्टरमाइंड ने अंतिम लक्ष्य नहीं बताया था, जो अभी भी फरार है. पूछताछ में यह भी सामने आया है कि शुरुआती योजना अगस्त में धमाके करने की थी, लेकिन कच्चा माल जुटाने में देर होने के कारण योजना टल गई.
बताया गया है कि इसके बाद टाइमलाइन दिसंबर तक बढ़ा दी गई.
लगभग 3,000 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य सामग्री जब्त करने के बारे में बात करते हुए, जो आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाने में इस्तेमाल होनी थी, सूत्रों ने बताया कि 358 किलो सामग्री फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के डॉ. मुजम्मिल के घर से जब्त की गई.
उसी दिन, पुलिस ने फरीदाबाद के धेरा कॉलोनी स्थित अल-फलाह मस्जिद के इमाम और मेवात निवासी हफीज मोहम्मद इश्तियाक के घर पर छापा मारा, जहां से 2,563 किलो विस्फोटक बरामद किए गए.
कुल मिलाकर, इस मॉड्यूल से लगभग 3,000 किलो विस्फोटक और बम बनाने का उपकरण बरामद हुआ.
गिरफ्तारियां
सूत्रों ने बताया कि इश्तियाक की पुलिस तलाश कर रही है और उसे जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस मॉड्यूल के मुख्य सदस्य भले ही गिरफ्तार हो चुके हों, लेकिन और गिरफ्तारियां होंगी जिनमें कुछ प्रोफेसर और शिक्षाविद भी शामिल हैं जो इस आतंकी नेटवर्क का हिस्सा थे.
दिप्रिंट की पिछली रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लगातार की गई जांच के दौरान इस आतंकी मॉड्यूल का पता लगाया था. पुलिस उन लोगों को ट्रैक कर रही थी जिन्होंने जैश-ए-मोहम्मद की तारीफ करते हुए और ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए लोगों के बदले की बात करते हुए पोस्टर लगाए थे, जब उनके हेडक्वार्टर पर भारतीय वायुसेना ने हमला किया था.
19 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम थाने में इन पोस्टरों के सिलसिले में एफआईआर दर्ज की गई. इसके बाद पुलिस ने तीन ओवर ग्राउंड वर्कर (OGWs) को गिरफ्तार किया, जिन्होंने ये पोस्टर लगाए थे.
पूछताछ के आधार पर, 20 से 27 अक्टूबर के बीच शोपियां से मौलवी इरफान अहमद वागये और गांदरबल के वाकुरा से जमीर अहमद को गिरफ्तार किया गया.
5 नवंबर को डॉ. आदिल अहमद राठर, जो कुलगाम के रहने वाला है, लेकिन हाल में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित एक अस्पताल में काम कर रहा था, को पकड़ा गया. 7 नवंबर को अनंतनाग अस्पताल में उसके लॉकर से एक एके-56 राइफल और अन्य गोला-बारूद बरामद किया गया.
8 नवंबर को फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से और बंदूकें, पिस्तौलें और विस्फोटक बरामद किए गए. पूछताछ के दौरान इस मॉड्यूल में शामिल अन्य लोगों के बारे में जानकारी मिली, जिसके आधार पर फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से डॉ. मुजम्मिल को गिरफ्तार किया गया. वह मूल रूप से कश्मीर के पुलवामा जिले का था.
इन सुरागों के आधार पर कई और गिरफ्तारियां की गईं और बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद हुए.
9 नवंबर को मद्रासी नाम के एक व्यक्ति को, जो फरीदाबाद के धौज इलाके का निवासी है, उसके घर से गिरफ्तार किया गया.
विस्फोटकों की बड़ी खेप अगले दिन जब्त की गई.
इस समूह के एक सदस्य, डॉ. उमर यू. नबी, जो अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में काम करता था, एजेंसियों की कार्रवाई तेज़ होने के बाद फरार हो गया.
लाल किले के पास हुए विस्फोट में जिस कार का इस्तेमाल हुआ, उसे डॉ. उमर ही चला रहा था — यह सीसीटीवी फुटेज से साबित हुआ है.
विस्फोट में इस्तेमाल किया गया पदार्थ वही था जो फरीदाबाद में बरामद किए गए लगभग 3,000 किलो विस्फोटक के समान था. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह जांच की जा रही है कि यह धमाका पहले से प्लान किया गया था या गलती से हुआ.
जैसा कि पहले बताया गया था, एजेंसियों को शक है कि जिस जगह धमाका हुआ, वह असली टारगेट नहीं था.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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