नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) उर्वरक विभाग ने 2025-26 के खरीफ और वर्तमान रबी सत्र के दौरान देश भर में 3.17 लाख से अधिक निरीक्षण किए हैं ताकि उर्वरकों की कालाबाजारी, जमाखोरी और अन्यत्र उपयोग पर अंकुश लगाया जा सके।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि अधिकारियों ने कालाबाजारी के लिए 5119, जमाखोरी के लिए 667 और सब्सिडी वाले उर्वरकों के दुरुपयोग के लिए 2991 कारण बताओ नोटिस जारी किए।
अप्रैल से नवंबर तक चला यह प्रवर्तन अभियान कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और राज्य सरकारों के सहयोग से चलाया गया।
जमाखोरी के विरुद्ध अभियान के तहत 202 लाइसेंस निलंबित या रद्द किए गए और 37 प्राथमिकी दर्ज की गईं। अन्य वस्तुओं के दुरुपयोग के विरुद्ध कार्रवाई के तहत 451 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए और 92 प्राथमिकी दर्ज की गईं।
उत्तर प्रदेश प्रवर्तन में 28,273 निरीक्षण किए गए और कालाबाजारी के लिए 1,957 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। राज्य ने 2,730 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए और 157 प्राथमिकी दर्ज कीं।
महाराष्ट्र में 42,566 निरीक्षण किए गए जिसके परिणामस्वरूप ‘डायवर्जन’ संबंधी उल्लंघनों के लिए 1,000 से अधिक लाइसेंस रद्द किए गए। राजस्थान में विभिन्न श्रेणियों में व्यापक कार्रवाई के साथ 11,253 निरीक्षण किए गए, जबकि बिहार में लगभग 14,000 निरीक्षण किए गए और 500 से अधिक लाइसेंस निलंबित किए गए।
हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और गुजरात में भी बड़े पैमाने पर निरीक्षण, व्यापक निगरानी और त्वरित कानूनी कार्रवाई के माध्यम से मजबूत प्रवर्तन सुनिश्चित किया गया।
घटिया उर्वरकों के विरुद्ध समानांतर अभियान में प्रवर्तन दलों ने 3,544 कारण बताओ नोटिस जारी किए। इसके परिणामस्वरूप 1,316 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए तथा उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के अंतर्गत 60 प्राथमिकी दर्ज की गईं।
आपूर्ति श्रृंखला से घटिया सामग्री को हटाने के लिए कई स्तरों पर नियमित रूप से नमूने लिए गए और कठोर परीक्षण किए गए।
सभी प्रवर्तन कार्रवाइयां आवश्यक वस्तु अधिनियम एवं उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत की गईं ताकि सख्त अनुपालन तथा जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
बयान के अनुसार, उर्वरक विभाग ने किसानों, विक्रेताओं व हितधारकों से अनियमितताओं की लगातार जानकारी देने और पारदर्शी एवं वैध उर्वरक वितरण का समर्थन करने का आग्रह किया है।
इसमें कहा गया, ‘‘ विभाग उर्वरकों की उपलब्धता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा
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