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Wednesday, 12 November, 2025
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दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 दंगों के दोषी को सर्जरी और पारिवारिक शादी के लिए दी अंतरिम जमानत

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने यह जमानत मंजूर की. अदालत ने कहा कि सहारावत को 6 दिसंबर को आत्मसमर्पण करना होगा.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को 1984 सिख विरोधी दंगों के दोषी नरेश सहारावत को सर्जरी और परिवार में शादी के आधार पर 6 दिसंबर तक अंतरिम जमानत दे दी है.

नरेश सहारावत 1984 के महिपालपुर सिख हत्याकांड में उम्रकैद की सज़ा काट रहा है. उसे 2018 में पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था. इस मामले में सह-अभियुक्त यशपाल सिंह को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी.

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने यह जमानत मंजूर की. अदालत ने कहा कि सहारावत को 6 दिसंबर को आत्मसमर्पण करना होगा. अदालत के समक्ष अधिवक्ता धरमराज ओहला ने बताया कि नरेश सहारावत की पित्ताशय (गॉलब्लैडर) की सर्जरी 13 नवंबर को गंगाराम अस्पताल में निर्धारित है, जबकि परिवार में उसकी भतीजियों की शादियां 27 और 29 नवंबर को हैं.

दलीलें सुनने के बाद अदालत ने दोनों को अंतरिम जमानत दे दी. इससे पहले भी सहारावत को अपनी मां के निधन पर 10 दिन की अंतरिम जमानत दी गई थी, जो 13 नवंबर को समाप्त होनी थी.

इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से अधिवक्ता तरन्नुम चीमा पेश हुईं. सहारावत की सज़ा के खिलाफ अपील वर्तमान में हाई कोर्ट की खंडपीठ के समक्ष लंबित है.

यह मामला 1 नवंबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद महिपालपुर क्षेत्र में अवतार सिंह और हरदेव सिंह की हत्या से जुड़ा है. इस मामले की दोबारा जांच केंद्र सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने की थी.

पटियाला हाउस कोर्ट ने 14 नवंबर 2018 को नरेश सहारावत और यशपाल सिंह को दोषी ठहराया था और 20 नवंबर 2018 को सज़ा सुनाई थी. दोनों ने 2019 में हाई कोर्ट में सज़ा के खिलाफ अपील दायर की थी.

इसी बीच, 29 अक्टूबर को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ अभियोजन पक्ष को लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया था. यह मामला जनकपुरी और विकासपुरी थानों में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है.

जनकपुरी केस में 1 नवंबर 1984 को दो सिखों सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह की हत्या हुई थी, जबकि विकासपुरी केस 2 नवंबर को गुर्चरण सिंह को जलाए जाने से जुड़ा है.

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