scorecardresearch
Wednesday, 12 November, 2025
होमदेश‘हमारी लैब में नहीं’: अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने लाल किला ब्लास्ट मामले में लिंक से किया इनकार

‘हमारी लैब में नहीं’: अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने लाल किला ब्लास्ट मामले में लिंक से किया इनकार

फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने कहा कि उसका लाल किला के पास हुए ब्लास्ट के मामले में गिरफ्तार किए गए तीन कर्मचारियों से कोई संबंध नहीं है. यूनिवर्सिटी ने यह भी साफ किया कि कैंपस में किसी भी तरह के केमिकल या सामग्री को न तो रखा गया और न ही इस्तेमाल किया गया.

Text Size:

नई दिल्ली: अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने लाल किला के पास सोमवार रात हुए कार ब्लास्ट केस के संदिग्धों से खुद को अलग बताते हुए बुधवार को कहा कि यूनिवर्सिटी का उनसे कोई लेना-देना नहीं है, सिवाय उन कामों के जो उन्होंने अपने आधिकारिक पद के तहत कैंपस में किए.

यूनिवर्सिटी ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ “ऑनलाइन पोर्टल्स” के दावों के विपरीत, यूनिवर्सिटी परिसर में कोई केमिकल या सामग्री न तो रखी गई और न ही उसका इस्तेमाल किया गया. यूनिवर्सिटी ने ऐसे दावों को “भ्रामक” बताया.

फरीदाबाद की यह प्राइवेट यूनिवर्सिटी तब जांच के घेरे में आई जब इसके अल-फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च के तीन स्टाफ—डॉ. उमर मोहम्मद, मुजम्मिल शकील और शहीन शाहिद का नाम लाल किला के पास हुए ब्लास्ट से जोड़ा गया. इस धमाके में 12 लोगों की मौत हुई थी.

बुधवार को यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी कर कहा, “हमें जानकारी मिली है कि हमारे दो डॉक्टरों को जांच एजेंसियों ने हिरासत में लिया है. हम यह साफ करना चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी का उन व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है, सिवाय उनके आधिकारिक कामकाज के.”

यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर भुपिंदर कौर आनंद ने बयान में कहा, “हम इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बेहद दुखी और व्यथित हैं. हम इनकी निंदा करते हैं. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उन सभी निर्दोष लोगों के साथ हैं जो इस घटना से प्रभावित हुए हैं.”

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की स्थापना 2014 में हरियाणा विधानसभा के एक्ट 21 ऑफ 2014 के तहत हुई थी. यह यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग, मेडिकल और हेल्थ साइंसेज, मैनेजमेंट (एमबीए), कॉमर्स, साइंस, ह्यूमैनिटीज, एजुकेशन, डिप्लोमा और पीएचडी कोर्सेज ऑफर करती है.

यह यूनिवर्सिटी अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की पहल पर बनी थी, जिसने पहले 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू किया था, फिर 2006 में एक टीचर्स ट्रेनिंग स्कूल की स्थापना की. 2014 में इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला और 2019 में मेडिकल कॉलेज ने काम शुरू किया.

वाइस चांसलर ने कहा, “हमारी यूनिवर्सिटी 2019 से विभिन्न शैक्षणिक और प्रोफेशनल कोर्स चला रही है और अंडरग्रेजुएट एमबीबीएस स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग दे रही है. हमारे यहां से प्रशिक्षित डॉक्टर आज देश-विदेश के प्रतिष्ठित अस्पतालों और संस्थानों में जिम्मेदार और सम्मानजनक पदों पर काम कर रहे हैं.”

‘कुछ भी संदिग्ध नहीं रखा’

यूनिवर्सिटी ने आगे कहा कि कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स “झूठी और भ्रामक खबरें” फैला रहे हैं ताकि यूनिवर्सिटी की छवि खराब की जा सके. यूनिवर्सिटी ने इन खबरों को “निराधार और मानहानिपूर्ण” बताते हुए खारिज किया.

यह सफाई तब आई जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि जांच एजेंसियां यह देख रही हैं कि क्या यूनिवर्सिटी की लैब्स में विस्फोटक बनाने की कोशिश की गई थी.

बयान में कहा गया, “यह पूरी तरह गलत और भ्रामक है कि यूनिवर्सिटी में किसी भी तरह के केमिकल या सामग्री का इस्तेमाल, भंडारण या हैंडलिंग की जा रही थी. हमारी लैब्स सिर्फ और सिर्फ एमबीबीएस छात्रों और अन्य अधिकृत कोर्सेज की शैक्षणिक और ट्रेनिंग ज़रूरतों के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं. हर लैब एक्टिविटी सुरक्षा मानकों, कानूनी नियमों और नैतिक दिशानिर्देशों के अनुसार होती है.”

वाइस चांसलर ने आगे कहा, “हम सभी संगठनों और व्यक्तियों से अपील करते हैं कि किसी भी बयान को जारी करने या साझा करने से पहले आधिकारिक स्रोतों से तथ्यों की पुष्टि करें.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: लाल किला ब्लास्ट से जुड़े 3 टीचिंग डॉक्टर, NMC की निगरानी में फरीदाबाद का अल-फला मेडिकल स्कूल


 

share & View comments