कोलकाता, आठ नवंबर (भाषा) दार्जिलिंग हिल्स में प्रशासनिक मामलों के लिए गठित एक स्वायत्त निकाय ने कहा है कि क्षेत्र के स्कूलों के छात्रों को प्रार्थना के दौरान राज्यगान के गायन से छूट दी गई है।
पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) ने छह नवंबर को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि सभी राज्य संचालित और राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में अब से राष्ट्रगान के साथ-साथ रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित और पूर्व में राज्यगान घोषित ‘बांग्लार माटी बांग्लार जोल’ भी गाया जाएगा।
‘बांग्लार माटी बांग्लार जोल’ (बंगाल की भूमि, बंगाल का पानी) गीत नोबेल से सम्मानित टैगोर द्वारा 1905 में बंगाल के विभाजन के विरोध में लिखा गया था।
गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन सचिव पी. डी. प्रधान ने सात नवंबर को जिला स्कूल निरीक्षक को भेजे नोटिस में कहा कि जीटीए क्षेत्र के कई संस्थानों में राष्ट्रगान के अलावा नेपाली भाषा में भी पारंपरिक गान और सुबह की प्रार्थना होती है।
नोटिस में कहा गया है, ‘मुझे आपको यह बताने का निर्देश दिया गया है कि जीटीए क्षेत्र के स्कूलों में विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं और संवाद की भाषा को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में सुबह के दौरान प्रार्थना की नियमित परंपरा का पालन किया जाएगा। आपसे यह भी अनुरोध है कि जीटीए क्षेत्र के सभी माध्यमिक स्कूलों को इस बारे में सूचित करें।’
डब्ल्यूबीबीएसई के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि जीटीए क्षेत्र के स्कूलों को राज्य गान अनिवार्य करने के निर्णय से छूट दी जाएगी।
इस बीच, दार्जिलिंग के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक नीरज तमांग जिम्बा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा कि स्कूलों में प्रार्थना के दौरान राज्यगान अनिवार्य रूप से गाए जाने के निर्देश देने वाले डब्ल्यूबीबीएसई के नोटिस ने उनके निर्वाचन क्षेत्र और उसके बाहर ‘गंभीर संवैधानिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक चिंताएं’ पैदा कर दी हैं।
जिम्बा ने कहा, ‘हमारा संविधान विविधता के माध्यम से एकता का जश्न मनाता है, न कि हुक्म के माध्यम से एकरूपता का…किसी भी नागरिक, छात्र या संस्थान को ऐसी प्रथा या प्रतीक अपनाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।’’
भाषा आशीष पवनेश
पवनेश
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