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Thursday, 6 November, 2025
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दिल्ली दंगे केस: आरोपियों की दलीलें पूरी, अब 9 नवंबर से दिल्ली पुलिस रखेगी अपनी बात

ये याचिकाएं शरजील इमाम, उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा, मीरन हैदर और शफ़ा-उर-रहमान द्वारा दायर की गई हैं, जिन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा जमानत खारिज किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2020 के उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगे से जुड़े यूएपीए मामले में सुनवाई की, जिसमें बड़ी साज़िश के आरोपों के तहत जेल में बंद आरोपियों की ज़मानत याचिकाओं पर बहस हो रही है. इस सुनवाई में सभी छह आरोपियों ने अपने पक्ष की दलीलें पूरी कर लीं. अब दिल्ली पुलिस 9 नवंबर से अपनी दलीलें पेश करना शुरू करेगी. इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजनिया की पीठ कर रही है.

ये याचिकाएं शरजील इमाम, उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा, मीरन हैदर और शफ़ा-उर-रहमान द्वारा दायर की गई हैं, जिन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा जमानत खारिज किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

दिल्ली पुलिस ने इन जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए अपने हलफनामे में कहा है कि ये दंगे “पूर्व नियोजित साज़िश” का हिस्सा थे. पुलिस के मुताबिक, यह योजना उस वक्त लागू की गई, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की यात्रा पर थे. इससे अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित करना और सीएए को वैश्विक स्तर पर मुस्लिम विरोधी कानून के रूप में पेश करना उद्देश्य था.

पुलिस ने कहा कि सीएए के विरोध के नाम पर इसे “शांतिपूर्ण प्रदर्शन” की तरह दिखाया गया, जबकि इसका असली मकसद लोगों को भड़काकर साम्प्रदायिक सद्भाव को तोड़ना था. पुलिस का दावा है कि इस साज़िश के कारण 53 लोगों की मौत हुई, बड़ी मात्रा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा और सिर्फ दिल्ली में 753 एफआईआर दर्ज की गईं. पुलिस के अनुसार, इस तरह की हिंसा को देश के अन्य हिस्सों में फैलाने की भी योजना थी.

हलफनामे में यह भी कहा गया कि यूएपीए जैसे मामलों में “जेल और न कि ज़मानत” मूल सिद्धांत है, क्योंकि आरोप देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने से जुड़े हैं. पुलिस ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने कानूनी प्रक्रिया में जानबूझकर देरी की और ट्रायल शुरू होने से रोकने की कोशिश की.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से पूछा था कि क्या इस बात पर विचार किया जा सकता है कि कुछ आरोपी लगभग पांच वर्षों से ट्रायल शुरू होने का इंतजार करते हुए जेल में हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को शरजील इमाम, उमर खालिद और अन्य की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं. हाई कोर्ट ने कहा था कि उनका रोल गंभीर था और उनके बयानों ने सामुदायिक आधार पर भीड़ को भड़काया. यह दंगे सीएए और एनआरसी के खिलाफ हुए विरोध के दौरान भड़के थे, जिनमें 53 लोगों की मौत हुई और 700 से अधिक घायल हुए.

अब सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी, जब दिल्ली पुलिस अपने तर्क रखेगी.

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