scorecardresearch
Thursday, 6 November, 2025
होमदेशबंगाल: अदालत ने 2002 की मतदाता सूची के आधार पर एसआईआर के लिए ईसीआई को हलफनामा देने के निर्देश दिए

बंगाल: अदालत ने 2002 की मतदाता सूची के आधार पर एसआईआर के लिए ईसीआई को हलफनामा देने के निर्देश दिए

Text Size:

कोलकाता, छह नवंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से कहा कि वह एक हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करे कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया 2002 की मतदाता सूची के आधार पर क्यों की जा रही है।

अदालत ने उस जनहित याचिका पर आयोग से जवाब तलब किया है जिसमें याचिकाकर्ता ने एसआईआर की प्रक्रिया 2002 की मतदाता सूची के आधार पर किये जाने को चुनौती दी है।

निर्वाचन आयोग पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों में एसआईआर कर रहा है। पश्चिम बंगाल में 2026 (मार्च-अप्रैल) में विधानसभा चुनाव होने हैं।

निर्वाचन आयोग ने अदालत के समक्ष यह दलील दी कि यह याचिका विचार करने योग्य ही नहीं है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निर्वाचन आयोग को जनहित याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए 19 नवंबर तक एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।

याचिकाकर्ताओं ने आग्रह किया है कि ईसीआई को दस्तावेजों और सूचना के आधार पर 2025 की स्थिति के अनुसार ही एसआईआर प्रक्रिया के निर्देश दिए जाएं।

ईसीआई की ओर से पेश अधिवक्ता अनामिका पांडे ने पीठ के समक्ष दलील दी कि यही मुद्दा उच्चतम न्यायालय में भी लंबित है इसलिए यह रिट याचिका विचारणीय ही नहीं है।

याचिकाकर्ताओं ने जमीनी स्तर पर मतदान प्रक्रिया संचालित करने वाले बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के लिए पर्याप्त सुरक्षा की भी मांग की है। उनका दावा है कि उनमें से कुछ को काम के दौरान भयपूर्ण माहौल का सामना करना पड़ रहा है।

अधिवक्ता ने पीठ के समक्ष कहा कि अंतिम एसआईआर 2002 में की गई थी। खंडपीठ में न्यायमूर्ति पॉल के अलावा न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन भी शामिल थे।

भाषा यासिर सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments