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Saturday, 8 November, 2025
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भाजपा सात नवंबर को ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएगी, शामिल होंगे प्रधानमंत्री

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ ने आईजी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के शामिल होने की जानकारी साझा की.

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नई दिल्ली/गुरुग्राम: राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देश भर में 150 महत्वपूर्ण स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में सामूहिक रूप से ‘वंदे मातरम’ गाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सात नवंबर को दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में ऐसे ही एक कार्यक्रम में भाग लेंगे.

यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि पार्टी इस उपलब्धि को उत्सव के रूप में मनाने की योजना बना रही है.

चुघ ने कहा, “इस अवसर को मनाने के लिए सात नवंबर से 26 नवंबर (संविधान दिवस) तक देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. सात नवंबर को 150 महत्वपूर्ण स्थानों पर वंदे मातरम गाया जाएगा, जिसके बाद स्वदेशी उत्पादों के उपयोग की शपथ ली जाएगी.”

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ ने आईजी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के शामिल होने की जानकारी साझा की.

गुरुग्राम स्थित भाजपा कार्यालय में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए धनखड़ ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में वंदे मातरम गीत के गायन में भाग लेंगे.”

जिन स्थानों पर सात नवंबर को वंदे मातरम का गायन आयोजित किया जाएगा उनमें कारगिल युद्ध स्मारक, अंडमान और निकोबार सेलुलर जेल, ओडिशा का स्वराज आश्रम, आगरा में शहीद स्मारक पार्क और वाराणसी में नमो घाट शामिल हैं.

चुघ ने कहा, “इस दौरान कविता लेखन, पाठन और चित्रकला जैसे कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.”

धनखड़ के अनुसार, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस अवसर पर अपने प्रदेश की राजधानियों में इसी प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेंगे.

यह गीत स्वतंत्रता संग्राम के स्थलों पर भी गाया जाएगा, जिसमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सेलुलर जेल और झांसी की रानी का शहादत स्थल भी शामिल है.

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि वंदे मातरम अंग्रेजों से भारत की मुक्ति के लिए एक प्रमुख मंत्र के रूप में उभरा. इस गीत की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में की थी और रवींद्रनाथ टैगोर ने 1896 में कोलकाता में इसका लोकप्रिय गायन किया था. मातृभूमि की वंदना में गाए गए इस गीत को 1950 में राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया था.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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