पाकिस्तान के ‘सेलेक्टेड’ वजीरे आज़म के हाल के अमेरिका दौरे के बाद सब कुछ बदल गया है. अगस्त 2018 में गद्दीशीन होने के बाद से इमरान खान का यह कहकर माखौल उड़ाया जाता रहा है कि वे तो ‘एलेक्टेड’ (निर्वाचित) नहीं, ‘सेलेक्टेड’ (पसंदीदा) वजीरे आज़म हैं. लेकिन यह मज़ाक इमरान और उनके मंत्रियों को इतना नापसंद है कि नेशनल एसेम्बली के डिप्टी चेयरमैन ने सदन में इस लफ्ज़ के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.
लेकिन इमरान के हाल के अमेरिकी दौरे में सीनेटर टोनी बूकर ने उनका समर्थन करते हुए कहा, ‘अगर उनका सेलेक्शन किया गया है तो यह अब तक का सबसे उम्दा सेलेक्शन है. और अगर उन्हें एलेक्ट किया गया है तो मानना पड़ेगा कि पाकिस्तानी लोग दुनिया के सबसे बुद्धिमान मतदाता हैं.’
खान को मिला बूकर
अगर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ह्यूस्टन में डोनाल्ड ट्रंप के साथ पींगें बढ़ा रहे थे, तो पाकिस्तान टोनी बूकर को रिझा रहा था, जिन्होंने ‘सेलक्सन-एलेक्सन’ की सालभर पुरानी बहस का हमेशा के लिए निपटारा कर दिया.
#manofpeace #manofjustice #manofwisdom . @ImranKhanPTI . I say sir You are selected by the ALMIGHTY to lead Pakistan in the future .May the blessings of ALMIGHTY shine upon this nation . And may ALLAH guide us all .Pakistan hamesha Zindabad.??♥️ pic.twitter.com/Db1iM0d1U6
— Shaan Shahid (@mshaanshahid) September 29, 2019
लेकिन एक छोटी अड़चन बाकी है. टोनी बूकर नाम के कोई अमेरिकी सीनेटर वास्तव में नहीं हैं. उनका वजूद बस पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रशंसकों के ट्वीटों में ही है. एक कोरी बूकर जरूर हैं, जो न्यू जर्सी से सीनेटर हैं लेकिन उन्हें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के चुनाव वगैरह पर गौर करने का मौका नहीं मिला है. और जब लोगों ने सवाल किया कि टोनी बूकर तो कोई सीनेटर हैं नहीं, तो कुछ पीटीआई वाले कोरी बूकर के नाम से उस बयान को चलाने लगे.
इमरान पूरी दुनिया को नसीहत देते रहते हैं कि वे ‘जस्ट गूगल’ करते रहें, बेहतर होता पहले वे अपने यहां के अपने समर्थकों को यह करना सिखा देते. फिलहाल तो फर्जी सीनेटर टोनी बूकर का वजूद केवल मीम में ही है.
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लेकिन इमरान के अमेरिका दौरे की मार्केटिंग का कोई अंत नहीं है. जब वे वहां से लौटे तो उनकी अगवानी के लिए उनके सैकड़ों समर्थक और आला मंत्री हवाई अड्डे पर झंडे और फूलमालाएं लेकर पहुंच गए और नारे लगाने लगे. ट्विटर पर ‘वेलकम होम पीएमआइके’ पूरे दिन चलता रहा. यह ऐसा ही था मानो किसी बादशाह का जंग में फतह के बाद खैरमकदम किया जा रहा हो, या इमरान के मामले में कह सकते हैं कि वे फिर विश्वकप जीत कर लौटे हों. लेकिन जरा गहराई से देखेंगे तो पता चलेगा कि यह स्वागत समारोह पीटीआई नामक फर्जी ‘खबरखाने’ द्वारा चलाई गई एक मुहिम है. यह और बात है कि जब वजीरे आज़म नवाज़ शरीफ के समर्थक उनके स्वागत के लिए हवाई अड्डे पर जमा होते थे तब इमरान ‘दरबारी’ कहकर उनका मखौल उड़ाते थे.
ट्रंप, एर्दोगन को सलाह देते वर्ल्ड लीडर इमरान खान
इमरान एक विश्वनेता हैं. अगर आपको यह नहीं मालूम है तो जाहिर है आप किसी गुफा में रहते हैं. पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र की 74वीं महासभा के दौरान प्रेसिडेंट ट्रंप और प्रेसिडेंट एर्दोगन जिस तरह अपने कैप्टन से सलाह ले रहे थे उसे देखकर तो हिंदुस्तानियों की चमड़ी जल गई होगी और वे बर्नोल का इस्तेमाल कर रहे होंगे. जरा गौर कीजिए, इमरान किस तरह शांति से बैठे थे और कितने गंभीर नज़र आ रहे थे! इससे जाहिर है कि पाकिस्तान के नेता को दुनिया कितनी तवज्जो देती है. उनके समर्थकों का कहना है, यह तो बेमिसाल बात है.
सचमुच में एक फोटो में ट्रंप और एर्दोगन झुक कर एक-दूसरे से बात करते दिख रहे हैं. पेंच सिर्फ यह है कि असली फोटो में इन दोनों के बीच की कुर्सी खाली है. और पीटीआई के मनचलों ने इस खाली कुर्सी पर इमरान की फोटो चिपका दी है.
बारह भारतीय मुसलमान
इमरान की पार्टी का दावा है कि दुनिया उनके भाषण, उनकी अदा, गति, टाइमिंग, भाषण कला, यानी सब कुछ पर फिदा है. वे न केवल कश्मीरियों के, बल्कि भारत के हर एक मुसलमान के सबसे बेहतरीन दूत और आवाज़ हैं. आखिर, वे दिन-रात उनकी फिक्र में डूबे जो रहते हैं! कहीं के भी भारतीय मुसलमान हों, सब के सब संयुक्त राष्ट्र में उनके भाषण को सुनने के लिए टीवी से चिपके रहें.
We have heard Imran Khan's speech with our entire family in India. It is heartening to hear the words of Islam.@FarhanKVirk@ZaidZamanHamid@CallSignMujahid#ImranKhanVoiceOfKashmir pic.twitter.com/R6hcZ2cwZP
— Saira MUSLIM (@saira_muslim) September 27, 2019
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मिसाल के तौर पर एक ऐसे भारतीय मुस्लिम परिवार की तस्वीर पेश की गई है, जो कह रहा है, ‘भारत में हमने अपने पूरे परिवार के साथ इमरान खान का भाषण सुना. इस्लाम की बातें सुनकर सुकून मिलता है.’ हकीकत यह है कि कोलकाता का यह परिवार 10 साल पहले तब के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का कैरो में दिया मशहूर भाषण सुन रहा था. जो भी हो, अगर आपको यह दिखाना है कि इमरान का भाषण 12 करोड़ मुसलमानों में हिट हो गया, तो यही उपाय है.
‘टाइम’ पत्रिका के कवर पर
इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में अपना भाषण खत्म किया और चंद सेकंड के भीतर वे ‘टाइम’ मैगज़ीन के कवर पर थे. इसी के साथ सोशल मीडिया में यह कवर इस शीर्षक के साथ छा गया— ‘वे आए, उन्होंने संघर्ष किया, वे जीत गए. खान ने कैसे जीत ली दुनिया!’ इस पूरे तामझाम से ऐसा लगता है कि ‘टाइम’ ने इमरान को सिर्फ कवर पर नहीं छापा है बल्कि पूरा अंक ही उन पर निकाला है जिसमें सिर्फ और सिर्फ एक ही स्टोरी छपी है— ‘वजीरे आज़म इमरान खान ने किस तरह बदल डाला मुस्लिम दुनिया को!’ वह भी केवल ‘टाइम’ 2018 के एक अंक के कवर पर इमरान की फोटो चिपका कर.
अब यह मत पूछिए कि इस अंक में क्या-क्या छपा है, क्योंकि इसके लिए डेडलाइन बहुत पास था और ‘टाइम’ के संपादकों के पास समय की भारी कमी थी. इसलिए फिलहाल तो आपको केवल कवर से संतोष करना पड़ेगा. भला हो इंसाफ़ियों का, 2019 में इमरान दो बार ‘टाइम’ के कवर पर नुमाया हो चुके हैं— इससे पहले, अप्रैल में जब उन्हें दुनिया के ‘100 सबसे रसूखदार’ हस्तियों में शुमार किया गया था.
एक सही आवाज़— रानी मुखर्जी
पाकिस्तान में ट्विटर के आगमन के बाद से पीटीआई के इसके सदस्यों के लिए ‘रानी मुखर्जी’ एक सही आवाज़ बनी हुई हैं. पाकिस्तान और भारत के सियासी रिश्ते जिस भी हाल में हों, रानी मुखर्जी अपनी राय देती रहेंगी. अगर कभी आपको असली-नकली का फर्क समझ में न आए, तो इसका खुलासा करने के लिए रानी की राय का इंतज़ार कीजिए.
What a brilliant & tremendous speech by the Pakistani PM @ImranKhanPTI at the #UNGA. He spoke his heart out for the Oppressed Kashmiris & rightly exposed the RSS controlled regime. Wish we Indians had leadership like him.
— Rani Mukerji (@RANIMUKERJl) September 27, 2019
‘पाकिस्तानी पीएम ने क्या शानदार भाषण दिया! @इमरानखानपीटीआई यूएनजीए में’. उन्होंने सताए गए कश्मीरियों के लिए अपना दिल खोलकर रख दिया और आरएसएस के हुक्म पर चलने वाली सरकार का भांडा फोड़ दिया. काश हमारे भारतीय लोगों को भी उनके जैसा नेता मिलता!’ रानी मुखर्जी का ट्वीट. यह और बात है कि उनके परिचय में इसे ‘पैरोडी एकाउंट’ कहा गया है— लेकिन इसमें जो कुछ लिखा जाता है वह इमरान के समर्थकों के लिए वेदवाक्य है. एक ही ट्वीट ऐसा है जिसे 4000 से ज्यादा ‘लाइक’ मिले हैं और करीब 2000 रीट्वीट मिले हैं.
अमेरिका में पुतिन–इमरान दोस्ती
हमें बताया जाता है कि न्यू यॉर्क में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और वजीरे आज़म इमरान खान ने दावत के दौरान खुल कर बातें की. हम सोच में पड़ गए कि उन दोनों ने भला क्या बातें की होंगी. कूटनीतिक लिहाज़ से यह एक अच्छी खबर थी. ठीक? लेकिन हम अभी इस पर खुश होने जा रहे थे कि हमें पता चला कि पुतिन तो उस समय न्यू यॉर्क में थे ही नहीं. वे तो रूस में वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के साथ थे.
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‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में भाड़े पर विज्ञापन
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के पहले पन्ने पर पैसे देकर विज्ञापन छपवाइए, सबसे ऊपर ऐड शीट लगवाइए, और अधिकृत पार्टी हैंडल से ट्वीट कीजिए— ‘दुनिया अब कश्मीर मसले पर ध्यान देने लगी है और यह अपने आप में पाकिस्तान की कूटनीतिक जीत है. हमारा एकमात्र लक्ष्य यह है की दुनिया कश्मीरियों की आवाज़ को सुने, बावजूद इसके कि मोदी कश्मीर में मीडिया ब्लैकआउट करके इसे खामोश करना चाहते हैं.
आज@एनवाइटाइम्स! #इमरानखानवॉइसऑफकश्मीर’. झूठ का पर्दाफाश हो जाए तो ट्वीट को मिटा दीजिए. प्रायोजित विज्ञापन, ‘न्यू यॉर्क टाइम्स’ के पहले पन्ने पर नहीं.
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(लेखिका पाकिस्तान में एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. ये इनके निजी विचार हैं. इनका ट्विटर हैंडल है— @nailainayat.)